एक ने वोट मिलते ही 3/- रु. प्रति लीटर की बात करते हुए 5/- रु. प्रति लीटर की मूल्यवृद्धि कर आम नागरिक को वर्ष भर में अनेकों बार चोट पहुँचाई तो दूसरे ने पेट्रोल की आग में अपनी रोटी पकाई । क्या कांग्रेसी, क्या भाजपाई सभी ने पेट्रोल की आग में काडी दिखाई ।
किसी भी राजनीतिक पार्टी को हक नहीं है देश की जनता के आंसू पोंछने के दिखावे में विरोध जताने का... या मरहम लगाने का दिखावा करने का । केन्द्र ने यदि भाव बढाए तो राज्य ने कौनसे कर घटा दिये । जितने दाम कांग्रेस ने केन्द्र में बैठकर बढाये उसी अनुपात में भाजपा ने राज्य में टेक्स बढाया और दिखावे के लिये... सारे भाजपा नेता अपनी-अपनी लक्झरी गाडियों में बैठकर पार्टी मुख्यालय पर उपस्थित होकर, अपनी गाडियां वहीं खडी कर दो किलोमीटर की साईकिल रेली का दिखावा कर और वापस अपनी-अपनी लक्झरी कारों में बैठकर अपने ठिकानों पर रवाना हो लिये । क्या विरोध है...वाह ! आम आदमी से किसी को कोई लेना-देना नहीं है । मंहगाई की आग में झुलसते नागरिकों की चीखो-पुकार से भले ही चारों ओर कोहराम मच रहा हो लेकिन सरकार को तेल कंपनियों का सिर्फ वो घाटा नजर आ रहा है जिसकी जिम्मेदार खुद सरकार है ।
आज भी खाडी देशों से भारत में पेट्रोल सिर्फ 16.50 रु. लीटर आ रहा है जिस पर 50/- रु. प्रति लीटर से भी अधिक का सरकारी टेक्स जुडकर यही पेट्रोल 69/- रु. प्र. ली. देश की जनता को इस एहसान के साथ बेचा जा रहा है कि हम घाटा उठा रही कम्पनियों को सबसिडी देकर आप तक इतना सस्ता पेट्रोल, डीजल, गैस व मिट्टी का तेल पहुँचा रहे हैं । इसमें तेल कंपनियों का 20/- रु. प्रति लीटर का मुनाफा भी शामिल चल रहा है किन्तु इनका व्यापार घाटा भी सुरसा के मुंह के समान बढता ही जा रहा है । देश को चलाने वाला हर शख्स चाहे अफसरशाह के रुप में हो या राजनीतिज्ञ के रुप में निरन्तर आम आदमी को लूटकर अपनी तिजोरी भरते चले जाने की जुगत में लगा हुआ है । नेता, अधिकारी और पूंजीपति आम जनता को लूटकर दोनों हाथों से धन उलीच रहे हैं । सरकार नित नये टेक्स लगाकर खजाना भर रही है और यही जुटाई हुई अतिरिक्त दौलत भ्रष्टाचार के जरिये इन नेताओं के खातों में विदेशी बैंकों में जमा होती जा रही है ।
देश में व्यवस्थाएँ बदहाल हैं, देशवासी कंगाल हैं, अधिकारी निहाल हैं और नेता मालामाल हैं. चारों ओर लूट मची है, हर अमीर को अपने स्तर पर लूट करने की पूरी छूट मिली हुई है । अंबानी का पेट खरबों से भी नहीं भर रहा है इसलिये वो भी स्पेक्ट्रम घोटालों में हाथ आजमा रहा है । टाटा हो या बिडला कोई भी बाजी लगाने में पीछे नहीं दिखना चाह रहा है । अत्यधिक आमदनी के लिये जिस देश में तेल, अनाज, सीमेन्ट व सभी जीवनोपयोगी आवश्यक वस्तुओं का उपरी स्तर पर सट्टा करवाया जा रहा है, जहाँ खिलाडियों को नीलाम किया जा रहा है, हर बडा और बडा बनने के चक्कर में अपने घर में अधिक उजाला करने के कोशिश करते हुए आम जनता के आशीयां जलाए चले जा रहा हो और आम जनता के रुप में हम निरन्तर जलते हुए भी उनके लिये मोहरा बने जा रहे हैं । हम एक चिंगारी भी नहीं बन पा रहे हैं इसलिये निरन्तर सिकुडते-सिमटते जा रहे हैं । हमें बचाने न तो कभी कोई दल आएगा और न ही इस दलदल से हमें निकाल पाएगा । आम जनता ही एकजुट होकर टेक्स न देने की क्रांतिकारी राह पर चल सके तब तो फिर भी कुछ परिवर्तन सम्भव हो । वर्ना तो बोलो ही राम... बोलो ही राम...! चल ही रहा है ।
भारत सहित पडोसी देशों में बिक रहे पेट्रोल के सामान्य भावों का अन्तर...
क्यूबा 29/- रु., बर्मा 30/- रु., नेपाल 34/- रु., पाकिस्तान 35/- रु., अफगानिस्तान 36/- रु., बांगला देश 50/- रु. और (हमारा प्यारा हिन्दुस्तान) भारत 70/- रु. प्र. ली. । उस पर भी पेट्रोलियम कंपनियाँ घाटे में । आखिर ये छोटे-छोटे पडौसी देश अपने नागरिकों को इतने सस्ते भावों पर यही पेट्रोल कैसे उपलब्ध करवा पा रहे हैं ?
सभी तथ्य दैनिक अग्निबाण के सौजन्य से.