26.1.17

सबक और आशा...


            एक बेटा अपने वृद्ध पिता को रात्रि भोज के लिए एक अच्छे रेस्टॉरेंट में लेकर गया । खाने के दौरान वृद्ध पिता ने कई बार भोजन अपने कपड़ों पर गिराया ।  रेस्टॉरेंट में बैठे दुसरे खाना खा रहे लोग वृद्ध को तिरस्कारपूर्ण नजरों से देख रहे थे, लेकिन वृद्ध का बेटा शांत था ।

             खाने के बाद बिना किसी शर्म के बेटा, वृद्ध को वॉश रूम ले गयाउसके कपड़े साफ़ किये, चेहरा साफ़ किया, बालों में कंघी की, और चश्मा पहनाकर बाहर लाया । सभी लोग खामोशी से उन्हें ही देख रहे थे । बेटे ने बिल का पेमेन्ट किया और अपने परिवार सहित बाहर जाने लगा । तभी डिनर कर रहे एक अन्य वृद्ध ने बेटे को आवाज दी और उससे पूछा- "क्या तुम्हे नहीं लगता कि यहाँ अपने पीछे तुम कुछ छोड़ कर जा रहे हो ?"

            बेटे ने जवाब दिया- "नहीं सर, मैं कुछ भी छोड़ कर नहीं जा रहा ।"

            वृद्ध ने कहा "बेटे, तुम यहाँ छोड़ कर जा रहे हो, प्रत्येक पुत्र के लिए एक शिक्षा (सबक) और प्रत्येक पिता के लिए उम्मीद (आशा)...

            दोस्तों आमतौर पर हम लोग अपने बुजुर्ग माता पिता को अपने साथ बाहर ले जाना पसंद नही करते और कहते हैं क्या करोगे आप से चला तो जाता नही, ठीक से खाया भी नही जाता । आप घर पर ही रहो वही अच्छा होगा ।

            किंतु आप यह क्यों भूल जाते हैं कि जब आप छोटे थे और आप के माता पिता आप को अपनी गोद मे उठा कर ले जाया करते थे । आप जब ठीक से खा नही पाते थे तो माँ आपको अपने हाथ से खाना खिलाती थी और खाना गिर जाने पर डाँट नही प्यार जताती थी । फिर वही माँ बाप उनके बुढापे मे भार स्वरुप क्यो लगने लगते है ?

          इस पृथ्वी पर तो माँ-बाप की तुलना भगवान से ही की गई है इसलिये उनकी सेवा कीजिये और उन्हे प्यार दीजियेक्योकि एक दिन आप भी बूढे होंगे फिर अपने बच्चो से सेवा की उम्मीद कैसे करेंगे किंतु यदि इसे पढने के बाद अगर 10% लोगों में भी बदलाव आ गया तब तो यह पोस्ट अपने उद्देश्य में सार्थक है ही ।

23.1.17

तिमारदारी का बदलता स्वरुप.

     पिताजी बीमार पड़ गये, उन्हें आनन-फानन में नज़दीक के अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा । अस्पताल पहुँचते ही बेटे ने अस्पताल के बेड पर उनकी फोटो खींची और फेसबुक-वॉट्सएप पर Father ill admitted to hospital  स्टेटस के साथ अपलोड कर दी ।

           
फेसबुकिया यारों ने भी 'Like' मार-मार कर अपनी 'ड्यूटी' पूरी कर दी । बेटा भी अपने मोबाइल पर पिताजी की हालत 'Update' करता रहा । पिताजी व्याकुल आँखों से अपने 'व्यस्त' बेटे से बात करने को तरसते रहे...! 

           
आज बेटे ने देखा कि पिताजी की हालत कुछ ज्यादा ख़राब है ! पुराना वक्त होता तो बेटा भागता हुआ डाक्टर को गुहार लगाता, पर उसने झट से 'बदहवास' पिता की एक-दो फोटो और खींच कर 'Condition critical'  के स्टेटस के साथ अपलोड कर दीफेसबुकिया यारों ने हर बार की तरह इस बार भी अपनी ज़िम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभा दी ।

           
दो-चार घनिष्ठ मित्रों ने बेहद मार्मिक कमेंट कर अपने संवेदनशील होने का प्रमाण दिया । 'वाह ! इनकी आँख के आँसू भी साफ दिख रहे हैं । 'फोटो  कैमरे से लिया है या मोबाइल से ?'

           
तभी नर्स आई - 'आप ने पेशेंट को दवाई दी

            दवाई

           बिगड़ी हालत देख, नर्स ने घंटी बजाई 'इन्हें एमरजेंसी में ले जा रहे हैं !

           
थोड़ी देर में 'बेटा' लिखता है- 'पिताजी चल बसे ! सॉरी..नो फोटो..मेरे पिताजी का अभी-अभी देहांत हो गया !  ICU में फोटो खींचनी अलाउड नहीं थी....'

           
कुछ कमेंट्स आए - 'ओह, आखरी वक्त में आप फोटो भी नहीं खींच पाए !'

           '
अस्पताल को अंतिम समय पर यादगार के लिए फोटो खींचने देना चाहिए थी !'

            'RIP'       'RIP'

            '
अंतिम विदाई की फोटो जरूर अपलोड करना'

           
पिताजी चले गए थे... पर बेटा संतुष्ट था.... इतने 'लाइक' और 'कमेंट्स' उसे पहले कभी नहीं आए थे....

           
कुछ खास रिश्तेदार अस्पताल आ गए थे...      कुछ एक ने उसे गले लगाया...     गले लगते हुए भी बेटा मोबाइल पर कुछ लिख रहा था ।

           
बेटा कितना कर्त्तव्यनिष्ठ था !  बाप के जाने के समय भी.... सबको 'थैंक्स टू ऑल' लिख रहा था...!

           
रिश्ते अपना नया अर्थ खोज रहे थे !

22.1.17

जीवन में साथी की अहमियत...

              
            मेरी पत्नी ने कुछ दिनों पहले घर की छत पर कुछ गमले रखवा दिए और एक छोटा सा गार्डन बना लिया । पिछले दिनों मैं छत पर गया तो यह देख कर हैरान रह गया कि कई गमलों में फूल खिल गए हैं, नींबू के पौधे में दो नींबू भी लटके हुए हैं और दो चार हरी मिर्च भी लटकी हुई नज़र आई ।

           
मैंने देखा कि पिछले हफ्ते उसने बांस का जो पौधा गमले में लगाया था, उस गमले को घसीट कर दूसरे गमले के पास कर रही थी । मैंने कहा तुम इस भारी गमले को क्यों घसीट रही हो ? पत्नी ने मुझसे कहा कि यहां ये बांस का पौधा सूख रहा है, इसे खिसका कर इस पौधे के पास कर देते हैं । मैं हँस पड़ा और कहा - अरे पौधा सूख रहा है तो खाद डालो, पानी डालो । इसे खिसका कर किसी और पौधे के पास कर देने से क्या होगा ? पत्नी ने तब मुस्कुराते हुए कहा ये पौधा यहां अकेला है इसलिए मुर्झा रहा है । इसे इस पौधे के पास कर देंगे तो ये फिर लहलहा उठेगा । 

           
पौधे भी अकेले में सूख जाते हैं, और उन्हें अगर किसी और पौधे का साथ मिल जाए तो जी उठते हैं । यह बहुत अजीब सी बात थी। एक-एक कर कई तस्वीरें आखों के आगे बनती चली गई...

           
मां की मौत के बाद पिताजी कैसे एक ही रात में बूढ़े, बहुत बूढ़े हो गए थे । हालांकि मां के जाने के बाद सोलह साल तक वो रहे, लेकिन सूखते हुए पौधे की तरह । मां के रहते हुए जिस पिताजी को मैंने कभी उदास नहीं देखा था, वो मां के जाने के बाद खामोश से हो गए थे । मुझे पत्नी के विश्वास पर पूरा विश्वास हो रहा था...  लग रहा था कि सचमुच पौधे भी अकेले में सूख जाते होंगे । 

           
बचपन में एक बार मैं बाज़ार से एक छोटी सी रंगीन मछली खरीद कर लाया था और उसे शीशे के जार में पानी भर कर रख दिया था । मछली सारा दिन गुमसुम रही । मैंने उसके लिए खाना भी डाला, लेकिन वो चुपचाप इधर-उधर पानी में अनमनी सा घूमती रही । सारा खाना जार की तलहटी में जाकर बैठ गया, मछली ने कुछ नहीं खाया । दो दिनों तक वो ऐसे ही रही, और एक सुबह मैंने देखा कि वो पानी की सतह पर उल्टी पड़ी थी । आज मुझे घर में पाली वो छोटी सी मछली याद आ रही थी । बचपन में किसी ने मुझे ये नहीं बताया था, अगर मालूम होता तो कम से कम दो- तीन या ढ़ेर सारी मछलियां खरीद लाता और मेरी वो प्यारी मछली यूं तन्हा न मर जाती । 

           
बचपन में माँ से सुना था कि लोग मकान बनवाते थे तो रोशनी के लिए कमरे में दीपक रखने के दीवार में दो मोखे इसलिए बनवाते थे क्योंकि माँ का कहना था कि बेचारा अकेला मोखा गुमसुम और उदास हो जाता है ।

           
मुझे लगता है कि संसार में किसी को भी अकेलापन पसंद नहीं । आदमी हो या पौधा, हर किसी को किसी न किसी के साथ की ज़रुरत होती है ।

           
आप अपने आसपास झांकिए, अगर कहीं कोई अकेला दिखे तो उसे अपना साथ दीजिए उसे मुरझाने से बचाइए और अगर आप अकेले हों, तो आप भी किसी का साथ लीजिएखुद को भी मुरझाने से रोकिए ।

           
अकेलापन संसार में सबसे बड़ी सजा है । गमले के पौधे को तो हाथ से खींच कर दूसरे पौधे के पास किया जा सकता है, लेकिन आदमी को करीब लाने के लिए जरुरत होती है रिश्तों को समझने की, सहेजने की और समेटने की ।
 
           
अगर मन के किसी कोने में आपको लगे कि ज़िंदगी का रस सूख रहा हैजीवन मुरझा रहा है तो उस पर रिश्तों के प्यार का रस डालिए । खुश रहिए और मुस्कुराइए ।  कोई यूं ही किसी की भी गलती से आपसे दूर हो गया हो तो उसे अपने करीब लाने की कोशिश कीजिए और हो जाइए हरे-भरे ।

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...