फिजूलखर्ची से बचें- यह एक महत्वपूर्ण कारण है जो
आगे-पीछे हमें दुःखों के जाल में ढकेल सकता है । हमारी आमदनी चाहे जो हो किन्तु
अनावश्यक तडक-भडक व दिखावे में पडकर हम किसी भी गैरजरुरी खर्च से यदि स्वयं को
बचाते चलने का प्रयास करेंगे तो आर्थिक कारणों से दुःखी होने की संभावना नहीं
रहेगी । इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि हम कंजूस हो जावें, बल्कि जहाँ आवश्यक हो वहाँ बडे से
बडे खर्च में भी पीछे नहीं हटें किन्तु जहाँ आवश्यकता न हो वहाँ व्यर्थ के दिखावे
या फिजूलखर्ची से बचें ।
स्वयं को समझदार साबित करने की कोशिश से बचें-
हम अपनी समझ के मुताबिक
पर्याप्त समझदार हो सकते हैं शायद हों भी किन्तु कई बार जब हम अपनी समझदारी
के किस्से किसी के सामने बखान करने बैठ जाते हैं तो सामने वाले के मन-मस्तिष्क में
हमारी छबि खराब ही होती है जो आगे चलकर हमारे दुःख का कारण भी बन सकती है, और किसी तेज-तरार्र से पाला पड जाने
पर हमें ये भी सुनने को मिल सकता है कि "आपको पूरा हक है कि आप स्वयं
को संसार में सबसे समझदार समझें, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप
सामने वाले को बेवकूफ समझें"। अतः अपने बुजुर्गों की यह सलाह भी
गांठ बांधलें कि जो सुख चाहे जीव को तो भोंदू बनके जी ।
निश्चित रुप से ये वे
माध्यम हैं जो आपके-हमारे व किसी के भी जीवन को सुखपूर्वक गुजरवाने में हमेशा
मददगार साबित होते हैं । बाकि तो जीवन में सात सुखों की जो शास्त्रोक्त परिभाषा है
चलते-चलते हम उसे भी समझ ले-
पहला सुख निरोगी काया,
दूजा सुख घर में हो माया,
तीसरा सुख पतिव्रता नारी,
चौथा सुख पुत्र आज्ञाकारी,
पांचवां सुख घर में सुवासा,
छठा सुख राज्य में पांसा, और
सातवां सुख सन्तोषी जीवन ।
अब इनमें से आप कितने सुखों
से परिपूर्ण हैं यह तो आप ही बेहतर समझ सकते हैं । मेरी भावना तो यही है कि--
सुखी रहें सब जीव जगत के, कोई कभी न घबराए,
बैर-भाव, अभिमान छो़डकर, नित्य नये मंगल गाएँ ।
अनुकरणीय बातें।
जवाब देंहटाएंइन बातों को ध्यान में रखने की जरुरत है| मगर दूसरा सुख ना हो तो ? अच्छी रचना आभार
जवाब देंहटाएंsabhi baate vicharniya
जवाब देंहटाएंjo sukh chahe to bhondoo ban ke ji...
जवाब देंहटाएंkisi ne sach kaha hai -
bane raho pagla, kaam karega agla,
bane raho lull, salary pao full...
samajhdaar ki maut hai...
sukhi rahne ke naayab tarikon main kuch aur formule, shayad ye bhi kaam aayein.
सार्थक पोस्ट ...विचारणीय बातें
जवाब देंहटाएंयह आलेख बहुत महत्वपूर्ण है....
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रेरणादायक है|
आप की बातों से सहमत हूँ
बिलकुल ठीक ..... शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंहम सभी अपने जीवन में सुखी रहना चाहते हैं किन्तो लोग सुखी नहीं रहने देते. सुशील बाकलीवाल जे एक बेहतरीन लेख जिस पे बातचीत होती चाहिए, यह सिंदर प्रयास जैसी टिप्पणी वाली पोस्ट नहीं.
जवाब देंहटाएंकिसी को दुःख न दें, क्षमाभाव रखें , बहुत ही अच्छी नसीहतें हैं लेकिन इनको अपनाने वाला शक के देरे मैं आ जाता है या फिर बेवकूफ कहलाता है. इसमें लोगों की ग़लती नहीं आज का युग ही ऐसा है. क्षमा करने वाला कायर और मारने वाला बहादुर कहलाता है.
बहुत काम के सारे बिंदु.... आभार
जवाब देंहटाएंhi sushil ji,
जवाब देंहटाएंnaye blog writers ke liye zaroori sujhav wala lekh padha....bahut achcha hai
Saadhuvaad :)
Useful tips .
जवाब देंहटाएंसुखों की परिभाषा बहुत पसंद आई, भाई जी ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर पोस्ट ।
सुखी रहने के प्रयास में ही ब्लागिंग करते हैं।
जवाब देंहटाएंसार्थक पोस्ट ...विचारणीय बातें| आभार|
जवाब देंहटाएंसुखी जीवन का मूल है, आपके इस लेख में, बहुत अच्छी सीख..........
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर विचारणीय पोस्ट्।
जवाब देंहटाएंSundar baaten, Aabhar.
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पैरों तले जमीन खिसक जाए!
क्या इससे मर्दानगी कम हो जाती है ?
सार्थक,जीवनोपयोगी लेख...
जवाब देंहटाएंLa-Jbaab post -----
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