अभी दो दिन पहले आदरणीय ताऊ ने ब्लागरत्व, जलागरत्व और ताऊत्व गुण प्रधान समीक्षक की तीन श्रेणियां हिन्दी ब्लाग जगत के पाठकों को समझाई उसे पढकर मेरी इस चिन्तनशाला में भी एक ऐसी कहानी सामने आई जिसमें ताऊ की बताई तीनों ही श्रेणियों के पात्र मौजूद दिख रहे थे तो ये सोचकर कि मौका भी है और दस्तूर भी. मैं ताऊ से परमिशन लिये बगैर ही ये गाथा आपके सामने प्रस्तूत कर रहा हूँ । आप भी इसका रसास्वादन करें-
किस्सा कुछ यूं था कि एक तोतली
महिला की तीन पुत्रियां थी और वंशगुणों के प्रभाव से तीनों ही तोतली भी थीं । अब
परिवार में चार तोतलों के कारण शादी-ब्याह में समस्या आना भी स्वाभाविक था ।
जैसे-तैसे नाई जो उस समय रिश्तों के वाहक भी होते थे कि मान-मनौव्वल से एक दिन
लडके वालों का उनके घर लडकी देखने आना तय हुआ और उनके आने के पहले ही माँ ने तीनों
लडकियों को चेतावनी भी दे दी कि उन लडके वालों के सामने तुममें से कोई भी अपना
मुंह नहीं खोले । लडकियों ने भी मां की सीख समझ ली ।
समय
पर लडके वाले घर आए और देखने व मिलने का क्रम चालू होते ही चौके में बिल्ली को दूध
की तपेली में मुंह मारते देख ब्लागरत्व गुणों वाली सबसे छोटी लडकी के मुंह से
निकल गया- देथो-देथो बिल्ली दूद पी लई है ।
तो जलागरत्व गुण वाली दूसरी
लडकी थोडी तेज आवाज में बोली- तेले थे तूप लेते नईं बनता, बूल दई मां ने त्या बोला था ?
सब खेल
बिगडता देखकर मां ने इशारे से चौके में लडकियों को बुलाकर कुछ गुस्से मे फुसफुसाते
लहजे में डांटते हुए समझाया- तुप लेओ लांदों, त्यों थब दुल दोबल कलने पल तुली
हो ?
यह सुनते
ही ताऊत्व गुण वाली तीसरी लडकी जिसके रिश्ते के लिये खास लडके वाले वहाँ आए थे उसे
बडा गुस्सा आया और वो माँ से थोडा जोर से बोली- ओ माँ, तुम मेले ते तुथ मत बोलो, देथ लो ये दोनों बोली मैं तो
तुछ नईं बोली ।
कहने की
आवश्यकता ही नहीं है कि लडके वाले वहाँ से सरपट ऐसे गायब हुए जैसे गधे के सर से
सींग ।
और एक
गाथा बतौर श्री के. डी. सहगल साहब-
दो
मास्टर जो स्कूल से छूट्टी के वक्त बिडलाजी की फेक्ट्री पार करते हुए रोज घर की ओर
अपनी सायकल पर साथ-साथ जाया करते थे उनमें एक मास्टर उस फैक्ट्री को देख-देखकर
अक्सर बातचीत बन्द कर चुप्पी साध लेता था । एक दिन जब उसी स्थिति में उसके दूसरे
साथी मास्टर ने उससे वहाँ पहुँचने पर रोज चुप हो जाने का कारण पूछा तो पहले वाले
मास्टर ने ठंडी सांस भरते हुए कहा- यार मने जो या बिडलाजी की सगली फैक्ट्रियां मिल
जावे, ई सारा दफ्तर
और कोठियां मिल जावे तो मैं बिडलाजी से ज्यादा कमाके दिखा सकूं । दूसरो मास्टर
बोल्यो- तो भी जो या बिडलाजी कमावे वो तू कमा लेगो, पण तू बिडलाजी से ज्यादा कंईया
कमा पावेगो ? तो पेलो
मास्टर बोल्यो- क्यों मैं दो ट्यूशन भी तो करुंगो ।
बहुत ही सुंदर और ज्ञानवर्धक लेख....
जवाब देंहटाएं*गद्य-सर्जना*:-“तुम्हारे वो गीत याद है मुझे”
बढ़िया है आप यूं ही तरक्की करते रहे
जवाब देंहटाएंऔर हमे भी अच्छा अच्छा पढ़ने को मिलता रहे ....... शुभकामनाए
और हाँ फ़ालोवर 102 हो गए है
टयूशन छोड़ना भी नहीं .....शेयर मार्केट में फ्लाप होने के बाद पुराना धंधा काम आता है ! अच्छा लिखते रहें कद्रदानों की कमी नहीं हैं यहाँ ! अच्छे लेखन की देर सवेर पहचान अवश्य होगी !
जवाब देंहटाएंआशा है क्वालिटी बनाए रखेंगे ! होली पर भी माल में मिलावट नहीं करेंगे ! :-))
बढ़िया तरक्की के लिए बधाई
मास्टर बहुत सायाना लगा जी, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा रचना , बधाई स्वीकार करें .
जवाब देंहटाएंआइये हमारे साथ उत्तरप्रदेश ब्लॉगर्स असोसिएसन पर और अपनी आवाज़ को बुलंद करें .कृपया फालोवर बनकर उत्साह वर्धन कीजिये
आपको शतक की बधाई.
जवाब देंहटाएंसलाम
बधाई! और शुभकामनाएँ!!!
जवाब देंहटाएंहमसे भी बधाईयाँ ले लीजिए। उम्मीद है जल्द ही आप डबल सेंचुरी पूरी करेंगे।
जवाब देंहटाएंतीन बहनों की कहानी भी जोरदार है। :)
जवाब देंहटाएंकथा और पोस्ट दोनों ही बढ़िया हैं!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और ज्ञानवर्धक लेख|
जवाब देंहटाएंकहाणी जोर की लागी सा
जवाब देंहटाएंताऊ इज़ अ बोरिंग बॉय।
जवाब देंहटाएंसुशील जी
जवाब देंहटाएंउपलब्धियों के लिए बधाई !
पार्टी कब और कहां रख रहे हैं … यथा समय सूचित करदें :)
हंसगुल्ले तो ठीक हैं … लेकिन रसगुल्ले भी तो होने चाहिए ।
… और हां, अपने गाए गीतों के साथ कब पोस्ट लगा रहे हैं ?
♥ प्यारो न्यारो ये बसंत है !♥
बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
अंत में टूशन ही काम आयेगी..लगाये रखिये.
जवाब देंहटाएंअनेक शुभकामनाएँ..
बस ट्यूशन नहीं छूटनी चाहिए !
जवाब देंहटाएंजी हाँ , ये सबसे तेज शतक है ।
जवाब देंहटाएंबधाई ।
बहुत ही सुंदर और ज्ञानवर्धक लेख...आपको शतक की बधाई......
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और ज्ञानवर्धक लेख |
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ |
ये तीन बहनों की कहानी मेरी नानी भी सुनाया करती थी.
जवाब देंहटाएंज्ञान वर्धक आलेख और आपको शतक की शुभकामनाये.
मजेदार पोस्ट। पार्टी वाली बात मार्के की है। अपन को भी आश जगी है।...बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंमेरी ओर से भी बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएं---------
ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।
पोस्ट रोचक लगी। आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई हो आपको।
जवाब देंहटाएंओह दूसरे सिक्सर पर भी गायब ...यह कहानी मैंने भी सुनी है तोतली बहनों वाली ....और ट्यूशन बढ़िया रहा ...
जवाब देंहटाएंबहुत सही सूत्र पकडा आपने.:)
जवाब देंहटाएंहोली की घणी रामराम.