चौराहे पर विशाल धार्मिक जुलूस निकल रहा था । कई वाद्य-यंत्रों के साथ हजारों की भीड बडे-बडे बैनर लेकर पचासों गाडियों के साथ चल रही थी । ढोल-ताशों व लाउड स्पीकरों के शोर के बीच एक नवयुवक जो पिछले माह ही एक दुर्घटना में अपना एक पैर गंवा चुका था वह एक हाथ में बैसाखी पकडे बार-बार सडक पार करने की कोशिश कर रहा था । जैसे ही वह थोडी भी जगह देखकर आगे बढने की कोशिश करता तभी भीड का एक नया रैला या रैली का कोई वाहन फिर सामने आ जाता । एक पैर और नई बैसाखी जिसका वह अब तक पूरी तरह अभ्यस्त भी नहीं हुआ था पर अपना संतुलन बनाए वह शीघ्र रोड पार करने के प्रयास में पसीने-पसीने हो रहा था किन्तु उस भीड व वाहनों की रैली में से निकल पाने में सफल नहीं हो पा रहा था ।
तभी उसे अपने करीब उस भीड को पार कर सडक के दूसरी ओर जाने की कोशिश करती आंखों पर काला चश्मा लगाए एक 25-26 वर्षीय अंधी युवती की याचना सुनाई दी जो कह रही थी कि मुझे सडक पार करवाने में कोई मेरी मदद करो, जैसे ही वह युवती अपनी याचना करते हुए उस अपाहिज युवक से टकराई तो वह युवक जो अभी तक सडक पार करने की बार-बार असफल कोशिश कर रहा था उसने तत्काल उस युवती का हाथ पकडा और एक हाथ से अपनी बैसाखी सम्हालकर भीड में जगह बनाते हुए उस युवती को सडक के दूसरी ओर ले गया ।
जब वे दोनों सडक के दूसरी ओर सुरक्षित पहुँच गये तब वह युवती अपनी आंख पर से काला चश्मा हटाते हुए उस युवक से बोली- मैं बडी देर से देख रही थी कि तुम बार-बार कोशिश करके भी उस भीड में से रास्ता बनाकर सडक पार करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हो और तुम्हारा आत्म-विश्वास खत्म होता जा रहा है । मैं तुम्हारी मदद करना चाह रही थी लेकिन या तो वो मदद तुम्हें गवारा नहीं होती या फिर तुम अपने आपको और भी बेबस समझते इसलिये मैं अंधी बनकर तुम्हारे पास आई जिससे तुम्हें अपने अपाहिज होने की कमी न लगे और तुम मेरी मदद करने के उद्देश्य से ही सही स्वयं तेजी से सडक पार कर सको । अतः झूठ बोलने के लिये तुमसे माफी चाहती हूँ ।
और जब तक वह युवक सारी स्थिति को समझकर उस युवती से कुछ बोल पाता तब तक वो युवती तेजी से अपने रास्ते पर चली गई ।
बहुत ही मार्मिक और सीख देती कहानी....
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत लघुकथा।
जवाब देंहटाएंअत्यंत खूबसूरत
जवाब देंहटाएंआत्मविश्वास सबकुछ करा सकता है।
जवाब देंहटाएंइसे कहते हैं आत्मविश्वास। साथ में स्वाभिमानी। अच्छी पोस्ट। बधाई हो आपको।
जवाब देंहटाएंसुंदर लघुकथा।
जवाब देंहटाएं---------
ब्लॉगवाणी: एक नई शुरूआत।
प्रेरक लघुकथा।
जवाब देंहटाएंकाश ! जीवन में हम सब ऐसा कर पाते ...बहुत प्रेरक ..शक्रिया आपका
जवाब देंहटाएंprerak katha.
जवाब देंहटाएंaj iski jaroorat hai.
ड्रामेटिक लेकिन प्रेरणात्मक लघु कथा ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक और प्रेरणात्मक कहानी|
जवाब देंहटाएंbahut badhiya.behatrin post......
जवाब देंहटाएंप्रेरक एवं अनुकरणीय प्रसंग !
जवाब देंहटाएंमार्ग थोड़ा अलग है पर रोचक।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी और सकरात्मक कहानी |
जवाब देंहटाएंप्रेरणादायी....
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत लघुकथा।
जवाब देंहटाएंआत्मविश्वास से परिपूर्ण रचना ...
जवाब देंहटाएंमार्मिक और सीख देती कहानी....
जवाब देंहटाएंअच्छी लघु कथा के लिए बधाई....
जवाब देंहटाएंबहुत ही रोचक कथा। सर्वथा नवीन दृष्टि.......................
जवाब देंहटाएंबहु प्रभावपूर्ण।
कृपया आप हमारे संरक्षन, संवर्द्धन में अपना मऊल्य योगदान दें। आपका एक कदम हमारे अस्तित्व के लिये संजीवनी सिद्ध होगा।
एक निवेदन-
मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष, जो मार्ग की शोभा बढ़ाता है, पथिकों को गर्मी से राहत देता है तथा सभी प्राणियों के लिये प्राणवायु का संचार करता है। वर्तमान में हमारे समक्ष अस्तित्व का संकट उपस्थित है। हमारी अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं तथा अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। दैनंदिन हमारी संख्या घटती जा रही है। हम मानवता के अभिन्न मित्र हैं। मात्र मानव ही नहीं अपितु समस्त पर्यावरण प्रत्यक्षतः अथवा परोक्षतः मुझसे सम्बद्ध है। चूंकि आप मानव हैं, इस धरा पर अवस्थित सबसे बुद्धिमान् प्राणी हैं, अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारी रक्षा के लिये, हमारी प्रजातियों के संवर्द्धन, पुष्पन, पल्लवन एवं संरक्षण के लिये एक कदम बढ़ायें। वृक्षारोपण करें। प्रत्येक मांगलिक अवसर यथा जन्मदिन, विवाह, सन्तानप्राप्ति आदि पर एक वृक्ष अवश्य रोपें तथा उसकी देखभाल करें। एक-एक पग से मार्ग बनता है, एक-एक वृक्ष से वन, एक-एक बिन्दु से सागर, अतः आपका एक कदम हमारे संरक्षण के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।
प्रेरक रचना बधाई !
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रेरक लघुकथा।
जवाब देंहटाएंbahut hi prerak aur shikh deti laghukatha.........sunder prastuti
जवाब देंहटाएंनमस्कार सुशील जी ।
जवाब देंहटाएंआपने ब्लाग वर्ल्ड की टिप्पणी में rss द्वारा फ़ीड कराने का सुझाव दिया था । पर मुझे इसके आप्शन ठीक से पता नहीं हैं । इसलिये आप कृपया इसे एक छोटे लेख के रूप में मेरे नये ब्लाग । ब्लागर्स प्राब्लम । पर कमेंट के रूप में बता दें । तो सभी ब्लागरों का भला होगा । मैं आपके इस कमेंट को लेख रूप में प्रकाशित कर दूँगा । ब्लागर्स प्राब्लम । पर जाने के लिये आप इसी टिप्पणी के प्रोफ़ायल से जा सकते हैं । मैं आपको बतौर लेखक भी ब्लागर्स प्राब्लम ।
से जुङने के लिये आमंत्रित करता हूँ । इसके लिये आप अपना ई मेल बता दें । धन्यवाद ।
ऊपर की टिप्पणी पोस्ट करने के बाद आपकी कहानी पढी ।
जवाब देंहटाएंबङिया और गजब की लगी ।
वाह, बहुत कुछ सिखाती है यह लघुकथा।
जवाब देंहटाएंकाश, वास्तविक जीवन में भी ऐसा ही घटित होने लगे।
किसी का स्वाभिमान आहत किए बिना सहायता कैसे की जाए यही सिखाती लघुकथा. अनुकरणीय.
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंआत्म विश्वास की राह में दीपशिखा बनकर रास्ता प्रशस्त करती भावपूर्ण लघुकथा !
जवाब देंहटाएंआदरणीय सुशील बाकलीवाल जी
जवाब देंहटाएंबहुत ही रोचक कथा।
आपको हेप्पी वेलन्टाईन डे की हार्दिक शुभकामनायें ...स्वीकार करें
दिल को छू लेने वाली प्रेरक लघुकथा के लिए बधाई स्वीकार करें।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...शायद कुछ लोग सीखने की कोशिश करें ! शुभकामनायें आपको !
जवाब देंहटाएंगति और दिशा, दोनों की प्रेरणा.
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