19.1.11

हाँ ! मैंने भी प्यार किया...

                 वैसे तो जबसे होश सम्हाला है तबसे यही करते आ रहे हैं । पहले माता-पिता, भाई-बहन के प्यार से शुरु हुई प्यार लेने-बांटने की यह यात्रा कब यार-दोस्त, काम-धंधे, घूमने-फिरने, मौज-शौक से गुजरते हुए पत्नि-बच्चे, घर-परिवार, नाती-पोतों के पडाव पार करते हुए आप सबके बीच ले आई, जीवन के इन दुर्गम-सुगम मार्गों पर चलते हुए पता ही नहीं चला । अब इसी प्यार का अगला सिलसिला इस ब्लाग लेखन के साथ ही आप सभीसे मित्रता का, विचारों के आदान-प्रदान का और एक दूसरे के अनुभवों को इस लेखन-पठन के माध्यम से जानने-समझने के रुप में जुड गया है और यकीन मानिये इस प्यार का खुमार भी ऐसा ही चढा है कि पत्नि-बच्चों ने भी दिगर समस्याओं के बारे में जब तक बहुत आवश्यक ना लगे, कुछ बोलना भी बन्द कर दिया है ।

              शायद अपने प्यार के साथ इस गहराई से जुडाव ही जीवन में लक्ष्य कहलाता हो, ऐसा मैं इसलिये कह पा रहा हूँ कि अभी अपने 11 जनवरी के लेख  'ब्लाग-जगत की ये विकास यात्रामें मैंने मात्र 45 दिनों में अपने इस ब्लाग से 50 समर्थकों के जुडने की सहर्ष चर्चा की थी और आज 18 जनवरी को याने उसके अगले 7 दिनों में हमारे-आपके इस 'नजरियाब्लाग पर 10 और नये समर्थक जुडने के साथ ही ये संख्या 60 समर्थकों तक आ पहुंची है । यही नहीं बल्कि इसी अवधि में 5 नये समर्थक नेटवर्क्ड ब्लाग्स  के द्वारा भी इस ब्लाग से जुडकर 11 समर्थक इधर से भी बन चुके हैं और इसके साथ ही मेरे दूसरे ब्लाग 'जिन्दगी के रंग'  पर समर्थकों की संख्या 21 से बढकर 24 तक और इस अवधि में करीब-करीब सुप्तावस्था में रहे 'स्वास्थ्य-सुखब्लाग पर भी समर्थक संख्या 12 से बढकर 13 तक आ पहुंची है ।  अकेले नजरिया ब्लाग पर पाठकों की आवाजाही के मान से भी आंकडे कम तसल्लीदायक नहीं लग रहे हैं यहाँ भी 0 से शुरु ये पाठक यात्रा 50 दिनों की इस प्रारम्भिक अवधि में 3200 की संख्या पार कर चुकी है जबकि 15-18 महिनों पुराने लोकप्रिय ब्लाग भी 4000 के इर्द-गिर्द की पाठक संख्याओं के दायरे में घूमते यहाँ देखने में आते रहे हैं ।

              सामान्य मानव जीवन के दुःख-सुख व समस्याओं के प्रति अपनी सोच, मनोविनोद हेतु पढे व सुने गए ज्ञानवर्द्धक किस्से-कहानियां व शरीर स्वास्थ्य से जुडी सामान्य जानकारियों को आप सभीके बीच एक आम व्यक्ति की भाषा में बांटने के उद्देश्य से शुरु हुई इस ब्लाग-यात्रा को मिलने वाला आप सभी का ये समर्थन निःसंदेह मेरी उम्मीदों से बेहतर ही साबित हुआ है । जबकि शुरुआत में मेरे द्वारा यहाँ देखे अनुसार या तो भावमयी कविताओं वाले ब्लाग्स पर समर्थकों की अच्छी-खासी मात्रा मेरे देखने में आई या फिर हिन्दी साहित्य के बडे व नामी लेखकों का अनुसरण करते विद्वान लेखकों के ब्लाग्स पर समर्थकों का लगा तांता ही प्रमुखता से देखने में आता रहा था और मैं इस असमंजस में था कि मुझ जैसे सामान्य अनुभवहीन व्यक्ति के लिखे को यहाँ कौन पढेगा ? किन्तु आप सबके उपरोक्त समर्थन ने यह भी सिद्ध कर दिया है कि सामान्य आवश्यकताओं का सरल भाषा में लिखा-पढा जाना शायद अधिक सहज तरीके से पाठक अंगीकार कर पाते हैं ।

              यदि अब तक की इस यात्रा को हम किसी सफलता के रुप में देखने का प्रयास करें तो इसका श्रेय मैं अपने दूसरे ब्लाग 'जिन्दगी के रंग' में 3-12-2010 को प्रकाशित लेख "निरन्तरता का महत्व" के तरीके को ही देना चाहूँगा । निष्चय ही इस चर्चा की इतनी जल्दी पुनरावृत्ति करने का शायद कोई औचित्य न रहा हो किन्तु इस दरम्यान जिस तरह के आरोप-प्रत्यारोप, अश्लील टिप्पणियां और एक-दूसरे की टांग खिंचाई के जो प्रकरण मेरे द्वारा यहाँ देखने में आए हैं उससे मेरी भी ये आशंका बलवती हुई है कि देर-सवेर इस ब्लाग पर भी दूसरों के माध्यम से तीसरे पर तीर चलाये जाने के प्रयास शुरु हो सकते हैं और इसीलिये मैं भी आपके इस ब्लाग पर फिलहाल टिप्पणी पर माडरेशन का प्रावधान लागू कर रहा हूँ । आप यकीन कर सकते हैं कि टिप्पणी बाक्स पर जिन कारणों का मैंने उल्लेख किया है उससे हटकर किसी भी टिप्पणी को यहाँ दिखने में शायद 30 मिनिट का समय भी नहीं लग पावेगा ।

              आपको याद होगा कि 21-12-2010 के अपने एक जानकारीपरक लेख "ब्लागर्स बंधुओं के उपयोग हेतु एक और जानकारी" में मैंने नोकिया x2 माडल  के जिस मोबाईल फोन का विस्तृत परिचय इसी ब्लाग पर प्रस्तुत करने का प्रयास किया था उसी फोन के द्वारा मैं अपने लेपटाप से दूरी के दरम्यान भी अपने डेशबोर्ड पर नजर बनाए रखता हूँ और आज माडरेशन के प्रायोगिक परीक्षण में भाई एस. एम. मासूम की 12.30 की टिप्पणी पर इसी मोबाईल के माध्यम से 12.40 पर मेरी नजर पडी और मोबाईल से ही दी गई कमांड से वह टिप्पणी तत्काल उसके स्थान पर प्रकाशित भी हो गई । किन्तु यदि मोडरेशन के बगैर कोई पाठक अपनी आपत्तिजनक टिप्पणी यहाँ प्रकाशित करवा जावे जिसे मैं बाद में डिलीट भी करदूं तो एक किस्म का वैचारिक मतभेद तो सम्बन्धित व्यक्ति के साथ शुरु हो ही जावेगा उससे बचने के प्रयासस्वरुप अभी इस ब्लाग पर न चाहते हुए भी मैंने टिप्पणियों पर माडरेशन लागू कर दिया है और मैं उम्मीद करता हूँ कि मेरे सभी नियमित पाठक मेरे इस प्रयास का विरोध नहीं करेंगे । कुल मिलाकर मेरे इस लेख का लब्बेलुआब यही समझें कि-

                हाँ   मैंने   भी   प्यार   किया,   माडरेशन   से   कब   इन्कार   किया,
               ऊंची-नीची फेंक-फांकगंदे-संदे वार्तालापइनसे बस परहेज किया.

                                              धन्यवाद के साथ आपके सहयोग की कामना सहित....

25 टिप्‍पणियां:

  1. हाँ मैंने भी प्यार किया, माडरेशन से कब इन्कार किया,
    ऊंची-नीची फेंक-फांक, गंदे-संदे वार्तालाप, इनसे बस परहेज किया.
    .

    एक बेहतरीन पेशकश और ज्ञानवर्धक लेख और आखिर कि पंक्तियाँ तो कमाल कि हैं..

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  2. एक बेहतरीन पेशकश और ज्ञानवर्धक लेख और आखिर कि पंक्तियाँ तो कमाल कि हैं..

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  3. यानी कि आप भी बड़े ब्लॉगर बन गए ....:) :) मोडरेशन बड़े बड़े लोग ही ज्यादा लगाते हैं :)

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  4. हाँ मैंने भी प्यार किया, माडरेशन से कब इन्कार किया,
    ऊंची-नीची फेंक-फांक, गंदे-संदे वार्तालाप, इनसे बस परहेज किया.

    सही किया आपने ... बहुत ही सार्थक लेखन है आपका ... ..

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  5. दीदीश्री आपकी तो शायद वैसे ही मुझ पर कुछ नाराजगी सी लग रही है.

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  6. सुशील जी, आपको ऐसा क्‍यों लगा? मैं तो आपकी सभी पोस्‍ट पर टिप्‍पणी कर रही हूँ।

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  7. पिछले एक सप्ताह से तो ऐसा ही लगा था ।

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  8. हां मैंने भी प्यार किया
    किया कि नहीं
    बस प्यार को पहले कमेन्ट क़ा नाम नहीं दिया था
    आप जिस परहेज की बात कर रहे है सौ फीसदी सही है

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  9. सही और सार्थक लेख | धन्यवाद|

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  10. आप ने अपने मन की बात सहज शब्दों में कही है........ माडरेशन लगाने का हक़ लेखक का बनाता है.इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए. सुंदर और जानकारी परक लेख।

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  11. अपने ही विस्तृत लेख के खिलाफ आखिर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग अपना ही लिया

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  12. बहुत बढ़िया पोस्ट है.ब्लॉग पर पढने और न पढने की आज़ादी है .
    टिप्पणी करने की या न करने की भी आज़ादी है.टिप्पणी छापने की या न छापने की आज़ादी हो तो क्या बुरा है.पहाड़ से सलाम.

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  13. आपके निर्णय का सम्मान करती हूँ।

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  14. बढ़िया लिख रहे हैं आप ! एक दूसरे पर दोषारोपण से बचने का प्रयत्न अवश्य करते रहे ! किसी का लिखा पसंद न आये तो उनपर उंगली उठाने के मुकाबले उन्हें पढना कम करना या बंद करना अधिक अच्छा होता है न कि उलझने की चेष्टा करना ! अगर आप अच्छे हैं तो लोग कुछ समय में पहचान ही लेंगे और नहीं हैं तब भी !
    लेखन में बड़ी शक्ति है ! शुभकामनायें !

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  15. बाकलीवाल जी आप बहुत ही अच्छे प्रेमी है अपनी ब्लॉग के साथ गहन प्यार करने के अलावा अन्य ब्लॉगस से भी फ्लर्ट करते रहते हैं और हां आपको तो अब ये गीत गाना चाहिए --- अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का ---- ब्लॉगस ने लूट लिया दिल बाकलीवाल का --- ओह जी दिल बाकलीवाल का

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  16. बाकलीवाल जी लगता है आप तो घबरा ही गए आप ने लिखा मैनें प्यार किया ज़ाहिर सी बात है ब्लॉगिंग से किया . सच्चा प्यार अपनी ब्लॉग से और बाकी की ब्लॉग भी ध्यान से पढ़ते हैं उन पर नज़र रखते हैं जिसे हमने फ्लर्ट का नाम दिया बहुत लाईट तरीके में की गयी टिप्पणी है बस इसका आनंद लिजिए ज्यादा विवेचना मत किजिए और गाते रहिेए --- ब्लॉगस ने लूट लिया दिल बाकलीवाल का ।
    मेरी ज्यादा टिप्पणियां नज़र ना आने के कारण अति व्यस्तता है दिन के बारह घंटे घर से बाहर गुज़रते हैं छुट्टी वाले दिन शादी ब्याह नाते रिश्तेदार मैनें अपना लैपटॉप अपडेट करवाया है बस इंटरनेट कनेक्शन लेना है फिर खूब होगी ब्लॉगिग और साथ ही रसभरी बातें भी ।

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आपकी अमूल्य प्रतिक्रियाओं के लिये धन्यवाद...

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