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21.3.11

पहले शुक्रिया... फिर शिकायत...!



        होली के पूर्व दो महत्वपूर्ण अवसर लगातार ऐसे सामने आ गये जिन्हें आपके समक्ष लाने के प्रयास में दोनों दिन एक-एक जानकारीसूचक पोस्ट तैयार हो गई । शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ उन सभी मित्रों का जिन्होंने इस अवसर पर मुझे अपनी हार्दिक बधाईयों के साथ ही शुभकामनाएँ प्रदान कीं । पहला विशेष अवसर था इस नजरिया ब्लाग का सिर्फ 110 दिनों की यात्रा में 200 फालोअर्स की संख्या पार कर देने का जिसकी सूचनार्थ पोस्ट ब्लागराग : क्या मैं खुश हो सकता हूँ ? पर निम्न ब्लागर साथियों ने अपनी दिली शुभकामनाएँ व्यक्त कीं- 
       

आप सभी शुभचिंतक साथियों को बहुत-बहुत धन्यवाद. 
और श्री सत्यम शिवम जी को इसे चर्चामंच पर स्थान देने हेतु विशेष धन्यवाद...



साथ ही मेरी ये शिकायत भी-

         सबसे पहले ई-मेल सेक्शन में...

        1.  कुछ ब्लागर बंधु अपनी नई पोस्ट की जानकारी ई-मेल से ऐसे भेजते हैं जिनमें उपर 150-200 ई-मेल ID और नीचे भी 100-150 ई-मेल ID भरे होते हैं दिन भर में 10-12 ऐसे ई-मेल मुझे रोजाना प्राप्त होते हैं, और यह सम्भव नहीं हो सकता कि आप इन पोस्ट को पढें ही, इनमें से 10-15% पाठक भी वास्तव में इनकी पोस्ट तक पहुँच पाते हों ऐसा मैं नहीं समझता । अलबत्ता जिन प्राप्तकर्ताओं को भी ये ई-मेल पहुँचते हैं उन्हें इनको लगातार डीलिट करते रहने का एक काम और बढता जाता है । तो प्लीज आप मेहरबानी करके ऐसे कोई भी थोक ई-मेल ID वाले मेल भेजकर दूसरों का काम न बढावें ।


            2.  ई-मेल से ही सम्बन्धित दूसरी शिकायत उन जानकारों से भी जो अपनी पोस्ट या अन्य कोई जानकारी ई-मेल से भेजते तो हैं, लेकिन उनका ई-मेल इतनी पेचीदगियों से भरा होता है कि आप अपना नाम, ई-मेल ID, अपना जन्म दिनांक व अन्य सम्बन्धित जानकारी बार-बार फीड करते रहो फिर भी उनकी मेल तक पहुँच पाना आसान नहीं होता, और ऐसे में जब इन्हें अपने मेल का प्रत्युत्तर नहीं मिल पाता तो इनकी नाराजी भी स्पष्ट तौर पर देखी जा सकती है । ऐसे सभी ई-मेल भेजने वाले ब्लागर साथियों से भी मेरा यह विनम्र अनुरोध है कि यदि आपका ई-मेल आसानी से खुलने वाला नहीं है तो कृपया ऐसे मेल न भेजें । उसकी बनिस्बत अपने ई-मेल आप तभी भेजें जब आप आश्वस्त हों कि बिना किसी अतिरिक्त लिखा-पढी के आपका मेल संदेश प्राप्तकर्त्ता पढ भी सकते हैं और चाहें तो अपना उत्तर भी दे सकते हैं ।
   
 और अब समस्या फेसबुक से-
          
         कुछ ब्लागर साथी अपनी पोस्ट या रचना या चित्रावली जिसे वे  अपने स्वयं की वाल पर पोस्ट करके भी अपने पाठकों को दिखा सकते हैं वे उसके लिये मेरी  वाल प्रोफाईल का प्रयोग न जाने क्यूं करते हैं ? हालांकि इससे मुझे विशेष कुछ परेशानी न है और न ही होना चाहिये, किन्तु समस्या यहाँ भी वही बनती है कि उन मित्रों की उस पोस्ट या चित्र या जो कुछ भी वे मेरे वाल से प्रसारित करते हैं उस पर समूचे फेसबुक जगत से जितनी भी प्रतिक्रियाएँ आती हैं वो सब मेरे ई-मेल खाते पर जमा होती जाती हैं और उन सभी ई-मेल को डीलिट करते रहने का एक अनावश्यक कार्य मेरे लिये निरन्तर पैदा होता रहता है । यहाँ मैं किसी का भी नाम नहीं लूंगा, लेकिन ये चाहूँगा कि वे दो-चार मित्र जो अपनी पोस्ट, रचना, चित्र आदि मेरे वाल से फेसबुक के साथियों को दिखा रहे हैं वे जब तक मेरा उससे कोई सीधा सम्बन्ध ना हो तब तक वे अपनी उस प्रस्तुति को अपने ही वाल से पोस्ट करें । निश्चय ही तब भी वो मुझ सहित सभी पाठकों तक पहुँच सकेगी और मेरे लिये अनावश्यक ई-मेल डीलिट करने का व्यर्थ कार्य नहीं उपजेगा ।    

           मैं उम्मीद करता हूँ कि जिन तीन श्रेणियों की शिकायतें मैं यहाँ आप सभीको दिखा रहा हूँ उनसे यदि आपका भी कोई जुडाव रहा हो तो आप मेरी समस्या को समझते हुए इस पर ध्यान देंगे और भविष्य में मुझे ही नहीं किसी भी अन्य ब्लागर साथियों को इस प्रकार अनावश्यक धर्मसंकट में डालकर शिकायतों का मौका न देंगे ।

                                                   पुनः आप सभी को अनेकानेक धन्यवाद सहित...


14.3.11

व्यवहार में- भाव, अभाव व प्रभाव की समानता.

                            
          अक्सर शादी-ब्याह के दौर में देखने में आता है कि जब भी किसी परिचित के यहाँ से शादी का निमन्त्रण आता है तो घरों में महिलाओं में ये विचार मन्थन चालू हो जाता है कि अपने यहाँ के कार्यक्रम में उनके यहाँ से कितने का लिफाफा आया था, आवश्यकता लगने पर अपने यहाँ के शादी समारोह के रेकार्ड भी निकलवाए जाते हैं और हिसाब मिलते ही संतुष्ट अवस्था में ये तय हो जाता है कि इस शादी में इतने का लिफाफा तो देना ही है । सामान्यतौर पर ये चिन्ता मध्यमवर्गीय परिवारों में अधिक देखने में आती है और ब्लागवुड में भी मध्यमवर्गीय समुदाय  में इस बात का अधिकतम ख्याल रखने का प्रयास किया जाता है कि अपनी पोस्ट पर उनकी टिप्पणी आई थी इसलिये अब उनकी नई पोस्ट पर अपनी टिप्पणी भी जाना  चाहिये । मेरी समझ में ये समानता का वो भाव है जो व्यवहारिकता के दायरे में वैवाहिक अवसरों पर जैसे लेन-देन के सामान्य व्यवहार को कायम रखवाता है वैसे ही ब्लागवुड में एक-दूसरे की पोस्ट पर टिप्पणियों की सामान्य संख्या को भी कायम रखवाते हुए परस्पर सहयोग की भावना के साथ मध्यम वर्ग को उन्नति के समान अवसरों में बनवाए रखने की सामान्य आवश्यकता में हमेशा मददगार साबित होता है ।
  
          फिर बात आती है अभाव की- वे सभी लोग जो अभावग्रस्त स्थितियों में रहते हैं और जिनके लिये स्वादिष्ट व विशेष व्यंजनों से परिपूर्ण भोजन अक्सर दुर्लभ होता है वे व्यवस्थित परिधान में जाकर अपने सामने आने वाले किसी भी समारोह में भोजन का आनन्द लेकर पान-पत्ते दबाते हुए घर आ जाते हैं । एक और वर्ग युवा छात्रों का जो पढने के उद्देश्य से दूसरे शहरों से आकर होस्टल में दोस्तों के साथ रह रहा होता है और केन्टीन का एक जैसा खाना खाकर स्वादिष्ट भोजन के लिये प्रायः तरसता रहता है वे दो-चार मित्र मिलकर भी अभाव की इस स्थिति में निःसंकोच दूसरों के पंडाल में खाना खाने चले जाते हैं । इधर इस ब्लागवुड में यही स्थिति मुझे कुछ यूं दिखाई देती है कि वे सभी नये ब्लागर जिनकी अधिक पहचान नहीं बनी होती है और जिनकी पोस्टों पर टिप्पणी के स्थान पर प्रायः 0 या इक्की-दुक्की टिप्पणियां रहती हैं वे सभी अभावग्रस्त ब्लागर आज अपना हो न हो पर कल हमारा है कि शैली में जो भी पोस्ट उनके सामने आती है करीब-करीब सभी पर अपनी टिप्पणी अक्सर दे ही देते हैं ।
 
           और अन्त में बात प्रभाव की-  जब किसी रईस या नामी-गिरामी व्यक्ति के परिवार में विवाह जैसा कोई फंक्शन सामने आता है तो उनके सम्पर्क में रहने वाले वे सभी लोग जो न्यूनाधिक उनके कल-कारखानों या आफिस में अथवा उनके सामाजिक सम्पर्कों के दायरे में थोडे भी उनकी मुंहलगी शैली में अपना व्यवहार दर्शाने में सिद्धहस्त होते हैं तो ऐसे अवसरों पर वे उस समारोह का निमन्त्रण कार्ड नहीं मिलने पर भी ये मानते हुए कि व्यस्तता के दौर में हमारा कार्ड छूट गया होगा, साधिकार न सिर्फ उस समारोह में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने पहुँच ही जाते हैं बल्कि अपनी ओर से अधिकतम राशि का पत्रंपुष्पं भी वहाँ भेंट कर आते हैं । इधर ब्लागवुड  में भी प्रभाव की यह स्थिति मिलते-जुलते तरीके से अक्सर यूं देखी जा सकती है कि जैसे ही किसी लोकप्रिय व सीनियर ब्लागर की पोस्ट प्रकाशित होती है वैसे ही उनकी टिप्पणियां तो वहाँ अनिवार्य रुप से दर्ज हो ही जाती हैं जिनकी पोस्टों पर उन लोकप्रिय व सीनियर ब्लागर की टिप्पणी आती रहती हैं लेकिन उन सभी ब्लागर्स की भी टिप्पणी उनके लेख की शोभा अवश्य बढा रही होती है जिनकी पोस्ट तक वे सीनियर ब्लागर प्रायः पहुँच न पाते हों ।
 
          मुझे लगता है कि भाव, अभाव और प्रभाव की जो भावना अपना घर छोडकर दूसरों के यहाँ अवसर विशेष पर भोजन के लिये हमें लेकर जाती है, वही भावना इस ब्लागवुड में हमारी पोस्ट पर अन्य ब्लागर साथियों की व अन्य ब्लागर साथियों की पोस्ट पर हमारी टिप्पणियों का इसी रुप में आदान-प्रदान करवाती रहती है । अब ऐसे में यदि किसी सम्माननीय ब्लागर की पोस्ट पर बहुत अधिक टिप्पणियां दिख रही हों तो ये उनका प्रभाव ही है फिर भले ही दूसरे ब्लागर उनकी उस संख्या को देखकर किसी भी रुप में अपना अनुमान लगाते हुए कैसी भी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हों किन्तु भाव, अभाव और प्रभाव का यह सामान्य सिद्धान्त किसी न किसी रुप में तो यहाँ भी अपनी निर्णायक भूमिका निभा ही रहा होता है ।
          

5.3.11

ब्लाग-जगत के यश चौपडा

                 श्री राजीव कुमार कुलश्रेष्ठ

           
            मार्च 2010 से ब्लाग-जगत में सक्रिय श्री राजीव कुमारजी कुलश्रेष्ठ ने चिट्ठा-जगत के बन्द होने के बाद समस्त ब्लागर्स के समक्ष उपजी एग्रीगेटर की कमी की पूर्ति हेतु एक प्रयास स्वयं की ओर से करते हुए निहायत ही खामोशी से BLOG WORLD.COM की शुरुआत कर न सिर्फ अधिक से अधिक ब्लाग-पोस्ट की जानकारी अपने इस एग्रीगेटर पर नियमित रुप से देने का महत्वपूर्ण कार्य प्रारम्भ किया बल्कि अपने इसी एग्रीगेटर पर प्रतिदिन इस ब्लाग जगत को एक विशेष ब्लागर से मिलवाने का एक और उपयोगी व निर्बाध ऐसा सिलसिला भी चालू किया जो शायद इस ब्लाग माध्यम से ब्लाग मित्रों में एक दूसरों को जानने समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास के रुप में अपना स्थान बनाता जा रहा है ।

         उनके इस नेक प्रयास में सर्वाधिक उल्लेखनीय बात मुझे यह लगी कि आपके द्वारा अब तक जिन ब्लागर्स साथियों के परिचय इस कालम में प्रकाशित किये गये उनमें 60% से भी अधिक वे ब्लागर्स दिख रहे हैं जिनका इस क्षेत्र में पदार्पण बिल्कुल नया ही गिना जा सकता है । इनके द्वारा प्रस्तुत अभी तक के वे ब्लागर्स जिनका परिचय इस श्रृंखला में श्री राजीवजी ने प्रस्तुत किया है उस पर एक सर्वेक्षणात्मक नजर-

  
       ब्लागर्स                     ब्लाग जगत में सक्रियता              मुख्य ब्लाग
  1. डा. दिव्या श्रीवास्तव                  जून 2010                 ZEAL  (झील).
   2. सुश्री दर्शनकौर धनौए            अक्टूबर 2010               मेरे अरमान मेरे सपने.
   3. सुश्री रश्मि प्रभा                       मई 2007               नज्मों की सौगात.
   4. सुश्री रजनी मल्होत्रा               नवम्बर 2009              रजनी मल्होत्रा नैयर.
   5. सुश्री अलका सर्वत मिश्रा          फरवरी 2009               मेरा समस्त.
   6. सुश्री संगीता स्वरुप (गीत)           मार्च 2007              गीत मेरी अनुभुतियां.
   7. डा. रुपचंद्र शास्त्री (मयंक)         जनवरी 2009              उच्चारण.
   8. श्री समीरलाल 'समीर'                 मार्च 2006             उडन तश्तरी.
   9. श्री ललित शर्मा                     जनवरी 2009             ललित डाट काम.
  10. श्री केवलराम                        अप्रेल 2010              चलते चलते.
  11. श्री कैलाश सी. शर्मा                जुलाई 2010               Kashish my poetry.
  12. सुश्री फौजिया रियाज             अक्टूबर 2008              अल्फाज
  13. श्री इन्द्रनील                        फरवरी 2010              जज्बात, जिन्दगी और मैं.
  14.  श्री रविशंकर श्रीवास्तव               जून 2004              रचनाकार.
  15.  सुशील बाकलीवाल               अक्टूबर 2010              नजरिया.
  16.  डा. नूतन डिमरी                 सितम्बर 2010             अमृत रस.
  17.  श्री सुरेश शर्मा कार्टूनिष्ट          सितम्बर 2009            कार्टून धमाका.
  18.  श्री मनोज कुमार                 सितम्बर 2009            मनोज
  19.  सुश्री वन्दना गुप्ता                      मई 2007            जिन्दगी एक खामोश सफर
  20.  श्री जी. एन. शा                      मार्च 2010            बालाजी
  21.  सुश्री मृदुला प्रधान                  जुलाई 2009            Mridula's Blog.
  22.  श्री सत्यम शिवम                  अगस्त 2010            काव्य-कल्पना.

          अब यदि इस सूचि का विश्लेषण करने का प्रयास किया जावे तो इस परिचय श्रृंखला में  श्री रविशंकरजी श्रीवास्तव,  श्री समीरलालजी 'समीर',  सुश्री संगीता स्वरुप (गीत),  सुश्री रश्मि प्रभा,  और  सुश्री वन्दना गुप्ता ये पांच नाम ही ऐसे दिखते हैं जिन्हें इस ब्लाग-जगत में अनुभवी सीनियर्स के रुप में देखा जा सकता है । दूसरे क्रम में  डा. श्री रुपचंद्रजी शास्त्री (मयंक),  श्री ललितजी शर्मा,  सुश्री अलका सर्वत मिश्रा,  सुश्री मृदुला प्रधान,  और  श्री मनोज कुमार  ये पांच नाम जो इस ब्लाग जगत में 2009 में शामिल हुए और जिन्हें अब किसी परिचय की आवश्यकता नहीं दिखती । लेकिन उपरोक्त 22 में से ये 10 नाम हटाकर यदि देखा जावे तो शेष 12 नाम ऐसे ही ब्लागर्स के देखने में आवेंगे जिन्हें या तो 2010 के वर्ष में शामिल होने के कारण पर्याप्त नये ब्लागर्स की श्रेणी में रखा जा सकता है या फिर जो सन् 2008-2009 में शामिल होने के बाद भी नियमित सक्रियता की कमी के कारण जिनकी चर्चा प्रायः देखने में  नहीं आ पाती है ।

          निश्चय ही हजारों की भीड में इन 12 ब्लागर्स में सामान्य से अलग काबिलियत रही है जिसके कारण इनके भी चर्चा में आने का सिलसिला बनने लगा, किन्तु फिर भी प्रायः ऐसी परिचयमाला में स्वयं की लोकप्रियता को प्राथमिक तवज्जो देते रहने के कारण देखने में यही आता रहता है कि पर्याप्त अनुभवी व सुस्थापित ब्लागर्स (जिनकी इस ब्लाग-जगत में कमी नहीं है) के परिचय को ही प्रथम क्रम में स्थान देते रहने का प्रयास परिचयकर्ता द्वारा किया जाता है । श्री राजीवजी इस मिथक से अलग चलते हुए जहाँ भी इन्हें किसी नये-पुराने ब्लागर्स में जो भी अतिरिक्त विशेषता दिख रही होती है उसे सीनियर-जूनियर या नये-पुराने के भेदभाव से हटकर स्थान देने के नेक कार्य में लगे हुए हैं ।

          हिन्दी फिल्मोध्योग में एक स्थापित निर्देशक के रुप में श्री यश चोपडा ने जो मुकाम हासिल किया वो प्रतिभाशाली कलाकारों के नये-पुराने के भेद से हटकर, बल्कि उगते सूरज को पहचानने की शैली में नये कलाकारों को पहली प्राथमिकता देकर ही हासिल किया है और मेरी समझ में श्री राजीव कुमार कुलश्रेष्ठजी भी निहायत ही खामोशी से अपने इसी प्रतिभा खोजी अभियान में व्यस्त रहते हुए अधिकांश नये ब्लागर्स को लाईम लाईट में लाने के इस पुनीत कार्य में लगे हुए हैं । अतः मैं उम्मीद करता हूँ कि श्री राजीव कुमारजी अपने इन्हीं प्रयासों के चलते हिन्दी ब्लाग जगत में नये व पुराने सभी ब्लागर्स साथियों के लिये आने वाले समय में अनेकों छोटी-बडी, ज्ञात-अज्ञात समस्याओं के निवारण में उपयोगी भूमिका निर्वाह करते रहेंगे ।

            विशेष निवेदन- उपर प्रस्तुत इस परिचयमाला के इन 22 ब्लागर्स साथियों में अक्टूबर 2010 में शामिल होने वाला सबसे जूनियर नाम मेरे अलावा सुश्री दर्शनकौरजी धनौए का ही दिख रहा है । अतः यदि किसी भी ब्लागर साथी से सम्बन्धित नाम, जाईनिंग अवधि अथवा ब्लाग के नाम में कहीं कोई गल्ति रह गई हो तो अग्रिम क्षमा चाहते हुए उसे सुधार लेने की कोशिश कर सकता हूँ । शेष श्री राजीव कुमार कुलश्रेष्ठजी के साथ ही सभी पाठक मित्रों के प्रति हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...

29.1.11

आज का दिन हो गया विशेष...

      हमारे इस ब्लाग नजरिया के लिये आज विशेष महत्वपू्र्ण    शायद किसी सीमा तक गौरवपूर्ण दिन माना जा सकता है । गणतंत्र दिवस पर 26-1-2011 को प्रकाशित इस ब्लाग के आलेख सारे जहाँ से अच्छा...? ? ? के विचारों का विशेष उल्लेख इस आलेख के साथ ही राष्ट्रीय दैनिक जागरण में फिर से... शीर्षक के अन्तर्गत 27-1-2011 के संस्करण में  पृष्ठ 7 पर प्रकाशित हुआ है ।

         नीचे इस समाचार की कतरन के साथ ही मूल समाचार पत्र की लिंक यहाँ प्रस्तुत की गई है । आप माऊस क्लिक की मदद से चटका लगाकर दोनों रुपों में इसे यहाँ पढ सकते हैं- 
  
         निःसंदेह मेरे लिये ये विशेष महत्वपूर्ण बात इसलिये भी लगती है कि न तो मैं कोई लेखक रहा हूँ, ना ही पत्रकार, और ना ही कोई विधिक या साहित्यिक विचारक की किसी पृष्ठभूमि से संबद्ध ही रहा हूँ । लेकिन एक सामान्य नागरिक की आवाज का प्रतिनिधित्व मेरे द्वारा अपनी सामान्य भाषा, विचार व लेखन शैली  के रुप में यहाँ प्रस्तुत होता रहा है, और इस माध्यम से किसी अ-उल्लेखनीय नागरिक की ये सार्वजनिक सोच जो उसके अंतर्मन से इस लेखन के द्वारा निकले और राष्ट्रीय स्तर पर उसके चर्चे होने के साथ ही वो विचार शेष दुनिया में भी फैल जावेये चमत्कार ब्लाग्स के इस सशक्त माध्यम से ही सम्भव हो सकता था. अतः ब्लाग माध्यम की इस सशक्तता को मैं बारम्बार नमन करता हूँ । 

       आप सभी के अमूल्य सहयोग हेतु पुनः अनेकों धन्यवाद ...  

        आपके समर्थन की विशेष कामनाओं सहित... 

19.1.11

हाँ ! मैंने भी प्यार किया...

                 वैसे तो जबसे होश सम्हाला है तबसे यही करते आ रहे हैं । पहले माता-पिता, भाई-बहन के प्यार से शुरु हुई प्यार लेने-बांटने की यह यात्रा कब यार-दोस्त, काम-धंधे, घूमने-फिरने, मौज-शौक से गुजरते हुए पत्नि-बच्चे, घर-परिवार, नाती-पोतों के पडाव पार करते हुए आप सबके बीच ले आई, जीवन के इन दुर्गम-सुगम मार्गों पर चलते हुए पता ही नहीं चला । अब इसी प्यार का अगला सिलसिला इस ब्लाग लेखन के साथ ही आप सभीसे मित्रता का, विचारों के आदान-प्रदान का और एक दूसरे के अनुभवों को इस लेखन-पठन के माध्यम से जानने-समझने के रुप में जुड गया है और यकीन मानिये इस प्यार का खुमार भी ऐसा ही चढा है कि पत्नि-बच्चों ने भी दिगर समस्याओं के बारे में जब तक बहुत आवश्यक ना लगे, कुछ बोलना भी बन्द कर दिया है ।

              शायद अपने प्यार के साथ इस गहराई से जुडाव ही जीवन में लक्ष्य कहलाता हो, ऐसा मैं इसलिये कह पा रहा हूँ कि अभी अपने 11 जनवरी के लेख  'ब्लाग-जगत की ये विकास यात्रामें मैंने मात्र 45 दिनों में अपने इस ब्लाग से 50 समर्थकों के जुडने की सहर्ष चर्चा की थी और आज 18 जनवरी को याने उसके अगले 7 दिनों में हमारे-आपके इस 'नजरियाब्लाग पर 10 और नये समर्थक जुडने के साथ ही ये संख्या 60 समर्थकों तक आ पहुंची है । यही नहीं बल्कि इसी अवधि में 5 नये समर्थक नेटवर्क्ड ब्लाग्स  के द्वारा भी इस ब्लाग से जुडकर 11 समर्थक इधर से भी बन चुके हैं और इसके साथ ही मेरे दूसरे ब्लाग 'जिन्दगी के रंग'  पर समर्थकों की संख्या 21 से बढकर 24 तक और इस अवधि में करीब-करीब सुप्तावस्था में रहे 'स्वास्थ्य-सुखब्लाग पर भी समर्थक संख्या 12 से बढकर 13 तक आ पहुंची है ।  अकेले नजरिया ब्लाग पर पाठकों की आवाजाही के मान से भी आंकडे कम तसल्लीदायक नहीं लग रहे हैं यहाँ भी 0 से शुरु ये पाठक यात्रा 50 दिनों की इस प्रारम्भिक अवधि में 3200 की संख्या पार कर चुकी है जबकि 15-18 महिनों पुराने लोकप्रिय ब्लाग भी 4000 के इर्द-गिर्द की पाठक संख्याओं के दायरे में घूमते यहाँ देखने में आते रहे हैं ।

              सामान्य मानव जीवन के दुःख-सुख व समस्याओं के प्रति अपनी सोच, मनोविनोद हेतु पढे व सुने गए ज्ञानवर्द्धक किस्से-कहानियां व शरीर स्वास्थ्य से जुडी सामान्य जानकारियों को आप सभीके बीच एक आम व्यक्ति की भाषा में बांटने के उद्देश्य से शुरु हुई इस ब्लाग-यात्रा को मिलने वाला आप सभी का ये समर्थन निःसंदेह मेरी उम्मीदों से बेहतर ही साबित हुआ है । जबकि शुरुआत में मेरे द्वारा यहाँ देखे अनुसार या तो भावमयी कविताओं वाले ब्लाग्स पर समर्थकों की अच्छी-खासी मात्रा मेरे देखने में आई या फिर हिन्दी साहित्य के बडे व नामी लेखकों का अनुसरण करते विद्वान लेखकों के ब्लाग्स पर समर्थकों का लगा तांता ही प्रमुखता से देखने में आता रहा था और मैं इस असमंजस में था कि मुझ जैसे सामान्य अनुभवहीन व्यक्ति के लिखे को यहाँ कौन पढेगा ? किन्तु आप सबके उपरोक्त समर्थन ने यह भी सिद्ध कर दिया है कि सामान्य आवश्यकताओं का सरल भाषा में लिखा-पढा जाना शायद अधिक सहज तरीके से पाठक अंगीकार कर पाते हैं ।

              यदि अब तक की इस यात्रा को हम किसी सफलता के रुप में देखने का प्रयास करें तो इसका श्रेय मैं अपने दूसरे ब्लाग 'जिन्दगी के रंग' में 3-12-2010 को प्रकाशित लेख "निरन्तरता का महत्व" के तरीके को ही देना चाहूँगा । निष्चय ही इस चर्चा की इतनी जल्दी पुनरावृत्ति करने का शायद कोई औचित्य न रहा हो किन्तु इस दरम्यान जिस तरह के आरोप-प्रत्यारोप, अश्लील टिप्पणियां और एक-दूसरे की टांग खिंचाई के जो प्रकरण मेरे द्वारा यहाँ देखने में आए हैं उससे मेरी भी ये आशंका बलवती हुई है कि देर-सवेर इस ब्लाग पर भी दूसरों के माध्यम से तीसरे पर तीर चलाये जाने के प्रयास शुरु हो सकते हैं और इसीलिये मैं भी आपके इस ब्लाग पर फिलहाल टिप्पणी पर माडरेशन का प्रावधान लागू कर रहा हूँ । आप यकीन कर सकते हैं कि टिप्पणी बाक्स पर जिन कारणों का मैंने उल्लेख किया है उससे हटकर किसी भी टिप्पणी को यहाँ दिखने में शायद 30 मिनिट का समय भी नहीं लग पावेगा ।

              आपको याद होगा कि 21-12-2010 के अपने एक जानकारीपरक लेख "ब्लागर्स बंधुओं के उपयोग हेतु एक और जानकारी" में मैंने नोकिया x2 माडल  के जिस मोबाईल फोन का विस्तृत परिचय इसी ब्लाग पर प्रस्तुत करने का प्रयास किया था उसी फोन के द्वारा मैं अपने लेपटाप से दूरी के दरम्यान भी अपने डेशबोर्ड पर नजर बनाए रखता हूँ और आज माडरेशन के प्रायोगिक परीक्षण में भाई एस. एम. मासूम की 12.30 की टिप्पणी पर इसी मोबाईल के माध्यम से 12.40 पर मेरी नजर पडी और मोबाईल से ही दी गई कमांड से वह टिप्पणी तत्काल उसके स्थान पर प्रकाशित भी हो गई । किन्तु यदि मोडरेशन के बगैर कोई पाठक अपनी आपत्तिजनक टिप्पणी यहाँ प्रकाशित करवा जावे जिसे मैं बाद में डिलीट भी करदूं तो एक किस्म का वैचारिक मतभेद तो सम्बन्धित व्यक्ति के साथ शुरु हो ही जावेगा उससे बचने के प्रयासस्वरुप अभी इस ब्लाग पर न चाहते हुए भी मैंने टिप्पणियों पर माडरेशन लागू कर दिया है और मैं उम्मीद करता हूँ कि मेरे सभी नियमित पाठक मेरे इस प्रयास का विरोध नहीं करेंगे । कुल मिलाकर मेरे इस लेख का लब्बेलुआब यही समझें कि-

                हाँ   मैंने   भी   प्यार   किया,   माडरेशन   से   कब   इन्कार   किया,
               ऊंची-नीची फेंक-फांकगंदे-संदे वार्तालापइनसे बस परहेज किया.

                                              धन्यवाद के साथ आपके सहयोग की कामना सहित....
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