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30.6.20

सुरक्षित जीवन के लिये बधाई...


         हम सभी देशवासी बधाई के पात्र हैं कि  हमने 23 मार्च 2020  से आज तक लगभग  तीन  महीने से भी अधिक समय बिना किसी सहायता के पूरे जी लिये हैं और इसी अवधि में यथासंभव जरुरतमंदों की मदद की इंसानियत भी सीख ली ।

        यह समय लगभग हम सभी ने बिना किसी घरेलू सेवक के, बिना जंकफूड के, बिना शॉपिंग किये, बिना होटल, रेस्टोरेंट में बाहर खाना खाये हुए, बिना किसी सिनेमा हाल गये हुये, बिना किसी शादी, ब्याह, पार्टी मै गये हुये, बिना किसी ब्यूटी पार्लर अथवा सैलून गये हुये, बिना गोलगप्पे, पापड़ी, छोलेभटूरे, टिक्की, पावभाजी, मिठाई बाहर खाये हुये, नौकरी या व्यवसाय की छुट्टी मनाते हुए भी भरपुर घरेलू व्यंजनों के आधार पर व्यतीत कर लिये और वैश्विक महामारी के इस दौर में अपने मनोबल को बनाये रखने में हम अब तक सफल रहे हैं ।

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       ज़िन्दगी वाकई बहुत खूबसूरत है, चल रही है,  दौड़ रही है, बिना किसी बाहरी सहारे से आप और हम सभी अब तक सुरक्षित हैं, और अब  बंदिशों वाले जीवन का चौथा महीना शुरू हो गया है ।

        फिलहाल अपनी इन आदतों को बनाये रखें, सदा स्वस्थ रहें, मुस्कुराते रहें । यह सब परिस्थितियां एक अत्यंत सूक्ष्म जीव के कारण निर्मित हुई हैं जो बिना किसी गुरू या स्कुल कालेज के हमें यह समझाने में सक्षम रही है कि कभी भी किसी को छोटा मानकर कम मत आँको और सदैव अपने से छोटे को भी सम्मान दो ।

        अब आगे की यदि बात की जावे तो भारत में फिलहाल नित्य प्रतिदिन संक्रमित व्यक्तियों के आंकडे बढते ही जा रहे हैं और अतिशयोक्ति भी समझें तो BBC के एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में आने वाले समय में 30 करोड़ लोग कोरोना के चपेट में आ सकते हैं और हर 5 में से 1 व्यक्ति क्रिटिकल होगा ।

        मतलब लाखों लोगों को स्पेशल ट्रीटमेंट्स की जरूरत होगी जबकि देश में कुल 1 लाख ICU वार्ड हैं । रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका, स्पेन, व इटली जैसे अतिसंक्रमित देशों के बाद भारत अगला बड़ा शिकार बन सकता है । वैसे भी हमारे देश की जनसंख्या उपरोक्त देशों से कई गुना अधिक है, अतः यदि ऐसा होता भी है तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं होगी ।

        अभी भी लगातार अनेकों लोगों द्वारा लापरवाहिया बरती जा रही है । ध्यान रहें जब मामला हाथ से निकल जाएगा तो इसे रोकने की ताकत किसी के अंदर नहीं होगी जब अमेरिका जैसा शक्तिशाली देश इसके आगे आज हार मान चुका है तो फ़िर हम क्या हैं ।

        आने वाला महिना भारत के लिए निर्णायक साबित होगा । अतः जब तक ये मसला ठंडा न पड़ जाए तब तक आप बगैर किसी विशेष आवश्यकता के घर से बाहर न निकलें ! सरकार ने तो मजबूरीवश लॉकडाउन खोल दिया है, लेकिन आप सावधान रहें क्योंकी सरकार की नजर में आप मात्र एक संख्या हैं लेकिन अपने परिवार के लिए आप पूरी दुनिया हैं । आप का जीवन आपके परिवार के लिए अनमोल है । खतरे का मुख्य संकेत इसी से समझ लें कि रेलवे ने 12 अगस्त तक रेल-परिचालन बंद की घोषणा कर दी है ।

        अतः पर्याप्त सावधान रहें, मजबूरी में जब भी घर से बाहर निकलें तो अपनी नाक व मुँह को मास्क द्वारा सुरक्षित रखते हुए निकलें । भीड वाले क्षेत्रों में यथासम्भव ना जावें । लोगों से 6 नहीं तो भी कम से कम 4 फीट की दूरी रखकर ही अपनी बात करें व बाजार से कुछ भी लेन-देन करते वक्त अपने हाथ को सेनेटाईज अवश्य करें । वापस घर आते ही अच्छी तरह से अपने हाथ व चेहरा साबुन से साफ कर व आवश्यक कपडे बदल कर ही घर के सदस्यों के सम्पर्क में आवें ।

       अंत में महाभारत युद्ध की एक छोटी सी कथा में दर्शित सावधानी अपने दिमाग में रखें वह ये कि

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        महाभारत युद्ध में अपने पिता द्रोणाचार्य के धोखे से मारे जाने पर अश्वत्थामा बहुत क्रोधित हो गये उन्होंने पांडव सेना पर एक बहुत ही भयानक अस्त्र "नारायण अस्त्र" छोड़ दिया इसका कोई भी प्रतिकार नहीं कर सकता था यह जिन लोगों के हाथ में हथियार हो और लड़ने के लिए कोशिश करता दिखे उस पर अग्नि बरसाता और उसे तुरंत नष्ट कर देता था । तब भगवान श्रीकृष्ण ने सेना को अपने अपने अस्त्र-शस्त्र छोड़ कर, चुपचाप हाथ जोड़कर खड़े रहने का आदेश दिया और कहा मन में युद्ध करने का विचार भी न लाएं, यह उन्हें भी पहचान कर नष्ट कर देता है ।

        नारायण अस्त्र धीरे-धीरे अपना समय समाप्त होने पर शांत हो गया और इस तरह पांडव सेना की रक्षा हो गई ।

अब इस कथा-प्रसंग का औचित्य समझें-

        हर जगह लड़ाई सफल नहीं होती । प्रकृति के प्रकोप से बचने के लिए हमें भी कुछ समय के लिए अपने सारे काम छोड़ कर,  मन में सुविचार रख कर एक जगह ठहर जाना चाहिए, तभी हम इसके कहर से बचे रह पाएंगे ।

        कोरोना भी अपनी समयावधि पूरी करके शांत हो जाएगा । यह भगवान श्रीकृष्णजी का बताया हुआ उपाय है, जो व्यर्थ नहीं जाएगा । अतः अभी भी अधिक से अधिक अपने घर पर रहें व सुरक्षित रहें ।

20.6.11

कितनी सिक्योर्ड सिक्युरिटी ?

           तीन दिन पूर्व बेटी की ननंद की शादी जो इन्दौर में ही एक गार्डन में आयोजित थी उसमें मौजूदगी के दौरान पेश आया वाकया । विवाह पक्ष के लोगों ने सुरक्षा के नजरिये से गार्डन में प्रोफेशनल  सिक्युरिटी के द्वारा लगभग चार सुरक्षा गार्ड विभिन्न स्थानों पर तैनात करवा रखे थे और उसके बावजूद भी दूसरी मंजिल के जिस कमरे में दुल्हन व उसके परिवार की अन्य जोखम रखी थी वहाँ ताला लगाकर अपने घरेलू नौकर जो 13-14 वर्ष का लडका ही था उसे उस ताला लगे हुए कमरे के बाहर ताले की सुरक्षा के लिहाज से तैनात किया हुआ था । रिसेप्शन चल रहा था जिसमें सामान्य तौर पर मेचिंग वेशभूषा पहने रहने के कारण महिलाएँ स्वर्णाभूषणों की बनिस्बत आर्टिफिशल गहने पहनना अधिक पसन्द करती हैं और अधिकांश घरेलू मेहमानों के आभूषण प्रायः उनके लगेज मे ही रखे होते हैं, परिवार का प्रत्येक सदस्य पूरी तरह से व्यस्त होता है तब वहीं मौजूद उन चारों सुरक्षागार्ड का इन्चार्ज दूसरी मंजिल पर घूम-घूमकर हर बन्द दरवाजे को खटखटाकर पूछता घूम रहा था कमरे में कोई है क्या ? घूमते-घूमते वही गार्ड दुल्हन व उसके परिजन के ताला लगे कमरे के बाहर आकर उस घरेलू नौकर से बोला - इस कमरे का ताला खोलो, लडके ने जब कारण पूछा तो वह गार्ड बोला मुझे इसे चेक करना है । चाबी तो उस लडके के पास थी नहीं लिहाजा वह नीचे जाकर अपने मालिक से चाबी ले आया और कमरा खोल दिया ।

नीचे लिंक पर क्लिक कर ये उपयोगी जानकारी भी देखें... धन्यवाद.

           इधर गृहस्वामी ने यह सोचते कि नौकर उस कमरे की चाबी क्यों लेकर गया ? उन्होंने अपने एक साथी के साथ उपर जाकर देखा तो वही सिक्यूरिटी गार्ड उस कमरे में मौजूद प्रत्येक अटैची के ताले तौल रहा था । जब उन्होंने उससे वहाँ की मौजूदगी का कारण पूछा तो वह बगले झांकने लगा । घर के लोगों ने उनकी एजेन्सी को खबर देकर वहाँ से किसी की आने तक उस गार्ड की जितनी भी पिटाई-पूजा की वह मार भी बगेर प्रतिरोध के ही उसने खाई । उस माहौल में वहाँ मौजूद हर सदस्य बखूबी यह समझ रहा था कि उस समय यदि घर के सदस्य चौकन्ने न होते तो उस सुरक्षागार्ड की ही कारगुजारी से उस विवाह में ऐसी चोरी तो तय हो ही गई थी जिसमें दुल्हन के पास मौजूद दोनों पक्षों के आभूषणों के साथ ही वधू पक्ष के वैवाहिक परिवार की अधिकांश तैयारियों पर भी ये सुरक्षागार्ड ही पानी फेर जाते ।

       उस समय तो ये घटना एक सामान्य घटना के रुप में सामने से गुजर गई किन्तु आज टी- वी. पर एक विज्ञापन देखकर जिसमें बैंक में झोला लेकर आया एक नकाबपोश लूटेरा रिवाल्वर दिखाकर केशियर के पास मौजूद सारा केश झोले में भरवाकर रिवाल्वर दिखाते हुए भाग जाता है, उसके जाने के बाद जब अन्दर से बैंककर्मी सिक्यूरिटी के नाम से आवाज लगाते हैं तो उसी हुलिये में कंधे पर टंगे उसी झोले के साथ यस सर के रुप में सेल्यूट मारते हुए वहीं का सिक्यूरिटी गार्ड सामने आ खडा होता है । इस विज्ञापन के सामने आने पर न सिर्फ इस शादी की ये घटना फिर से जेहन में आ गई बल्कि इसके साथ ही कुछ समय पूर्व तक शहर की घनी आबादी से खासी दूर ए. बी. रोड पर मौजूद  ICICI बैंक की मुख्य शाखा से बडी रकम निकालकर अपने घर या दुकान-दफ्तर जाने वाले अधिकांश नागरिकों को रास्ते में लूट का शिकार होना पडा था जिसमें बडे नियोजित तरीके से सिर्फ उस व्यक्ति के पास मौजूद केश रकम पर धावा बोला जा रहा था ।
      
         बार-बार एक ही तरीके से बैंक से रकम लेकर निकलते ग्राहकों की रास्ते में रकम लूट लेने के मामले जो अब बहुत समय से बन्द हो गये हैं उनमें भी तब अन्तिम निष्कर्ष यही सामने आया था कि वहाँ मौजूद कोई सिक्यूरिटी गार्ड इस तरह बडी रकम लेकर निकलने वाले ग्राहकों के बारे में जानकारी मोबाईल के माध्यम से बाहर भेज रहा था और लोग योजनाबद्ध तरीके से इनके इस षडयंत्र का शिकार होकर अपनी मोटी रकम से हाथ धो रहे थे वह खबरें भी  क्रमानुसार दिमागी चलचित्र में बारी-बारी सामने आने लगी ।
  
          ऐसे में यह चिंतन तो बनता ही है कि शादी-विवाह व जीवन के अन्य अनेकों उल्लेखित अवसरों पर हममें से लगभग प्रत्येक व्यक्ति व परिवार इन्हीं एजेन्सियों से बुलवाये गये सुरक्षा गार्ड्स को अपनी सम्पत्ति की सुरक्षा में लगाकर स्वयं को निश्चिंत महसूस कर लेते हैं क्या इनकी सुरक्षा में लोगों की सम्पत्ति वास्तव में सुरक्षित मानना चाहिये

 
          
जबकि सोच का यही सिलसिला यदि और भी पीछे जावे तो भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की वो हत्या भी सामने आ जाती है जो उनके उस सुरक्षाकर्मी ने ही की थी जिसके उपर उनके जीवन को बाहरी आक्रमणों से सुरक्षित रखने की सबसे अधिक जिम्मेदारी रही थी...!
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