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इधर गृहस्वामी ने यह सोचते कि नौकर उस कमरे की चाबी क्यों लेकर गया ? उन्होंने
अपने एक साथी के साथ उपर जाकर देखा तो वही सिक्यूरिटी गार्ड उस कमरे में मौजूद
प्रत्येक अटैची के ताले तौल रहा था । जब उन्होंने उससे वहाँ की मौजूदगी का कारण
पूछा तो वह बगले झांकने लगा । घर के लोगों ने उनकी एजेन्सी को खबर देकर वहाँ से
किसी की आने तक उस गार्ड की जितनी भी पिटाई-पूजा की वह मार भी बगेर प्रतिरोध के ही
उसने खाई । उस माहौल में वहाँ मौजूद हर सदस्य बखूबी यह समझ रहा था कि उस समय यदि
घर के सदस्य चौकन्ने न होते तो उस सुरक्षागार्ड की ही कारगुजारी से उस विवाह में
ऐसी चोरी तो तय हो ही गई थी जिसमें दुल्हन के पास मौजूद दोनों पक्षों के आभूषणों
के साथ ही वधू पक्ष के वैवाहिक परिवार की अधिकांश तैयारियों पर भी ये सुरक्षागार्ड
ही पानी फेर जाते ।
उस समय तो ये घटना एक सामान्य घटना के रुप में सामने से गुजर गई किन्तु आज टी- वी. पर एक विज्ञापन देखकर जिसमें बैंक में झोला लेकर आया एक नकाबपोश लूटेरा रिवाल्वर दिखाकर केशियर के पास मौजूद सारा केश झोले में भरवाकर रिवाल्वर दिखाते हुए भाग जाता है, उसके जाने के बाद जब अन्दर से बैंककर्मी सिक्यूरिटी के नाम से आवाज लगाते हैं तो उसी हुलिये में कंधे पर टंगे उसी झोले के साथ यस सर के रुप में सेल्यूट मारते हुए वहीं का सिक्यूरिटी गार्ड सामने आ खडा होता है । इस विज्ञापन के सामने आने पर न सिर्फ इस शादी की ये घटना फिर से जेहन में आ गई बल्कि इसके साथ ही कुछ समय पूर्व तक शहर की घनी आबादी से खासी दूर ए. बी. रोड पर मौजूद ICICI बैंक की मुख्य शाखा से बडी रकम निकालकर अपने घर या दुकान-दफ्तर जाने वाले अधिकांश नागरिकों को रास्ते में लूट का शिकार होना पडा था जिसमें बडे नियोजित तरीके से सिर्फ उस व्यक्ति के पास मौजूद केश रकम पर धावा बोला जा रहा था ।
उस समय तो ये घटना एक सामान्य घटना के रुप में सामने से गुजर गई किन्तु आज टी- वी. पर एक विज्ञापन देखकर जिसमें बैंक में झोला लेकर आया एक नकाबपोश लूटेरा रिवाल्वर दिखाकर केशियर के पास मौजूद सारा केश झोले में भरवाकर रिवाल्वर दिखाते हुए भाग जाता है, उसके जाने के बाद जब अन्दर से बैंककर्मी सिक्यूरिटी के नाम से आवाज लगाते हैं तो उसी हुलिये में कंधे पर टंगे उसी झोले के साथ यस सर के रुप में सेल्यूट मारते हुए वहीं का सिक्यूरिटी गार्ड सामने आ खडा होता है । इस विज्ञापन के सामने आने पर न सिर्फ इस शादी की ये घटना फिर से जेहन में आ गई बल्कि इसके साथ ही कुछ समय पूर्व तक शहर की घनी आबादी से खासी दूर ए. बी. रोड पर मौजूद ICICI बैंक की मुख्य शाखा से बडी रकम निकालकर अपने घर या दुकान-दफ्तर जाने वाले अधिकांश नागरिकों को रास्ते में लूट का शिकार होना पडा था जिसमें बडे नियोजित तरीके से सिर्फ उस व्यक्ति के पास मौजूद केश रकम पर धावा बोला जा रहा था ।
बार-बार एक ही तरीके से बैंक से रकम लेकर निकलते
ग्राहकों की रास्ते में रकम लूट लेने के मामले जो अब बहुत समय से बन्द हो गये हैं
उनमें भी तब अन्तिम निष्कर्ष यही सामने आया था कि वहाँ मौजूद कोई सिक्यूरिटी गार्ड
इस तरह बडी रकम लेकर निकलने वाले ग्राहकों के बारे में जानकारी मोबाईल के माध्यम
से बाहर भेज रहा था और लोग योजनाबद्ध तरीके से इनके इस षडयंत्र का शिकार होकर अपनी
मोटी रकम से हाथ धो रहे थे वह खबरें भी क्रमानुसार दिमागी चलचित्र में बारी-बारी सामने आने लगी ।
ऐसे में यह चिंतन तो बनता ही है कि शादी-विवाह व जीवन के अन्य अनेकों उल्लेखित अवसरों पर हममें से लगभग प्रत्येक व्यक्ति व परिवार इन्हीं एजेन्सियों से बुलवाये गये सुरक्षा गार्ड्स को अपनी सम्पत्ति की सुरक्षा में लगाकर स्वयं को निश्चिंत महसूस कर लेते हैं क्या इनकी सुरक्षा में लोगों की सम्पत्ति वास्तव में सुरक्षित मानना चाहिये ?
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जबकि सोच का यही सिलसिला यदि और भी पीछे जावे तो भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की वो हत्या भी सामने आ जाती है जो उनके उस सुरक्षाकर्मी ने ही की थी जिसके उपर उनके जीवन को बाहरी आक्रमणों से सुरक्षित रखने की सबसे अधिक जिम्मेदारी रही थी...!