जीवन में हम सभी की पहली आवश्यकता होती है अपनी आत्मनिर्भरता के दौर में सबसे पहले अपने परिवार
की सुविधा व सुरक्षा हेतु एक मकान का इन्तजाम करना । जो लोग इसका इन्तजाम कर लेते
हैं वे अपना आगामी जीवन परिवार सहित वहाँ सुकूनपूर्वक बिता पाते हैं और जो यह
सुविधा नहीं जुटा पाते वे किसी अन्य के मकान में किराया चुकाकर उसमें निवास करते
हैं और इसमें दुनिया का प्रत्येक कानून वैद्य तरीके से किसी के द्वारा बनाये अथवा
खरीदे गये मकान पर निर्विवाद रुप से उसका स्वामित्व स्वीकार करता है ।
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लेकिन तब क्या हो जब
आपके अपने मकान में आपसे विनती कर किराये पर रहने आया शख्स पहले आपके
परिवार के किसी एक सदस्य को यह समझाते हुए बरगलाना शुरु करे कि देखो दूसरे भाई की तुलना में तुम्हारे साथ कितना भेदभाव हो रहा है, परिवार के किसी भी महत्वपूर्ण
निर्णय में तुम्हारी सलाह को कोई महत्व नहीं मिलता. वगैरह, वगैरह.
इस प्रकार उसे अपने
पक्ष में जोडकर गृहस्वामी के प्रति उसकी निष्ठा कमजोर करवाते हुए वहाँ अपने किसी
अन्य मित्र-परिचित को लाकर रख ले और बाद में अपने ही जान-पहचान व पक्ष के लोगों की
भीड वहाँ लाकर गृहस्वामी को भी वहाँ से बेदखल कर जीवन भर के खून-पसीने से संचित
उसकी सम्पत्ति को अपनी ताकत के दम पर हथियाने की कोशिश करता दिखे ।
जोडतोड कर अपनी
सत्ता व शक्ति बढाने के फेर में अनगिनत जयचंद पिछले कई दशकों से यही खेल हमारे देश
में खेलते व पडौसी देशों से अवांछित लोगों की भीड जुटाकर अपनी सामर्थ्य बढाते
चले आ रहे हैं । अपनी कई पीढियों के लिये अरबों-खरबों की रकम जुटाकर विदेशों में
जमा करवाकर भी इनकी सत्ता लोलुपता दिन-ब-दिन बढती ही जा रही है जिन्हें देश के
नागरिक जानते-समझते भी शासन के प्रजातांत्रिक माहौल में बेबस कुछ कर
नहीं पा रहे थे ।
लेकिन परिवर्तन का दौर भी कभी तो आता ही है और देश के निवासियों को परिवर्तन का यही दौर 2014 में
एक ऐसे व्यक्ति के रुप में देखने में आया जिसके नजरिये में परिवारवाद से उपर
राष्ट्रवाद की भावनाएं देश के नागरिकों ने देखी और तब देशवासियों के
बहुमत के फैसले ने इनकी सारी जोडतोड को पीछे धकेलते हुए उसी व्यक्ति को राष्ट्र के
संचालन की बागडौर सौंप दी । देश के चौकीदार के रुप में आए उस व्यक्ति ने भी सतत
कर्मनिष्ठा से देश के पुराने नासूरों का जब इलाज करना प्रारम्भ किया तो इस देश
को आसान चरागाह समझने वाले ये सभी राष्ट्रद्रोही तत्व और अधिक तेजी से उसके खिलाफ
माहौल बनवाने हेतु दुश्मन का दुश्मन दोस्त वाली शैली में एकजुट होकर उसके खिलाफ
अपने-अपने चक्रव्यूह बनाकर अपनी चालें चलने लगे ।
आज जो कुछ भी हिंसा, अराजकता व वर्गसंघर्ष इस देश में हम देख रहे हैं वह CAB के बहाने उसी भडास के रुप में हमारे सामने चल रहा है । ये राष्ट्रद्रोही ताकतें इस देश में ऐसा कुछ भी नहीं होने देना चाहती जिससे कि हमारा देश स्वावलंबन की दिशा में आगे बढते हुए शेष दुनिया के समक्ष गर्व से सिर उठाकर खडा रह सके । जबकि सामान्य देशवासी राष्ट्रप्रमुख के इस निर्णय को कैसे देख रहे हैं उसकी बानगी इस वीडिओ में देखी जा सकती है-
आज जो कुछ भी हिंसा, अराजकता व वर्गसंघर्ष इस देश में हम देख रहे हैं वह CAB के बहाने उसी भडास के रुप में हमारे सामने चल रहा है । ये राष्ट्रद्रोही ताकतें इस देश में ऐसा कुछ भी नहीं होने देना चाहती जिससे कि हमारा देश स्वावलंबन की दिशा में आगे बढते हुए शेष दुनिया के समक्ष गर्व से सिर उठाकर खडा रह सके । जबकि सामान्य देशवासी राष्ट्रप्रमुख के इस निर्णय को कैसे देख रहे हैं उसकी बानगी इस वीडिओ में देखी जा सकती है-
देशवासियों के जायज अधिकारों को कमजोर करने के लिये अवैद्य रुप से बाहरी लोगों को इस देश में इन राष्ट्रद्रोही ताकतों द्वारा कैसे लाकर भरा जा रहा है उसकी झलक भी आप नीचे के इस छोटे से वीडियो में अवश्य देखें-
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इन अवांछित गतिविधियों पर सख्त अंकुश लगाने की मोदीजी की इन नीतियों का बावजूद इसके कि एक बडा वर्ग समर्थन कर रहा है किंतु देश में ही कुछ प्रतिशत नागरिक अपने निजी कारणों से विरोध भी करते देखे जा रहे हैं । जबकि घर का जोगी जोगडा, आन गांव का सिद्ध वाली शैली में विदेशी समाचार पत्र भी मोदीजी की कार्यशैली का कुछ इस अंदाज में समर्थन करते दिख रहे हैं -
अब बहुमत के रुप में देश के नागरिकों को ही यह समझना होगा कि ये राष्ट्रद्रोही ताकतें जो पीढियों से अपने बाद अपने वंशजों को देश को लूटने-खसोटने के अभियान में लगी हुई हैं अपनी बहुमत की शक्ति से इन्हें इनके नापाक मंसूबों में कामयाब न होने दें ।
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