23.12.19

हम कहाँ जा रहे हैं...

      इस समय देश में जिस अफरातफरी का माहौल बना हुआ है इसमें हर उस राज्य में जहाँ BJP का शासन है वहाँ जमकर हिंसा, आगजनी, तोडफोड और जो भी सामने आए उसे नष्ट करदो का जो माहौल बनाया हुआ है क्या यह सिर्फ नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ निकाला जा रहा गुस्सा है  यकीनन नहीं क्योंकि इसकी बुनियाद तो बहुत पहले से बनाई जा रही है ।  

    
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      "तुम कितने अफजल मारोगे - हर घर से अफजल निकलेगा" ये बात हम लोग पहले से सुनते आ रहे हैं, अभी भी टी.वी./इन्टरनेट पर ना जाने कितने वीडियो घूम रहे है,  जिसमे सैकडों-हजारों अफजल भारत की अस्मिता, इसके लोकतंत्र को चुनौती दे रहे हैं । कहीं ट्रेन पर पत्थर फेंके जा रहे है, तो कहीं रेलवे प्लेटफॉर्म पर यात्रियों की सुविधा के लिए लगाई गई भारी-भरकम कुर्सियों को रेल की पटरियों पर फेंका जा रहा है ।

       कल तक जो अफजल लोकतंत्र के मंदिर पर गोलिंयां बरसा रहा था, आज वो ही अफजल देश के अलग-अलग हिस्सों में तोड़फोड़ आगजनी कर रहा है, क्या यह मात्र संयोग है ? अगर कोई सोचे कि ये अफजल CAB बिल के पारित होने  से नाराज होकर सड़क पर उतरा है तो वाकई में वह बहुत नासमझी वाली सोच ही होगी । क्योंकि अफजल तो 2014 के लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद राष्ट्रवादियों की सरकार बनने से ही हैरान परेशान है, क्योकि वो अब सड़क पर खुलेआम गाय नही काट पा रहा है ।

       अफजल परेशान है, क्योंकि उसकी इच्छा के बगैर ट्रिपल तलाक को प्रतिबंधित कर दिया गया ! वो इसलिये भी गुस्से में है, क्योंकि वो चाहकर भी सुप्रीम कोर्ट के राममंदिर के पक्ष मे दिए गए निर्णय का विरोध नही कर सकता ! इसलिये अफजल के लिए CAB बिल तो सिर्फ बहाना है, असली मकसद सत्ता को अपनी धमक/ताकत दिखलाना है, वो ताकत जिससे हिन्दुस्तान ही नही विश्व की कई सरकरें डरती हैं !

        क्या मिश्र में या सीरिया मे कोई नागरिकता संसोधन बिल आया है जो वंहा तोड़फोड़ आगजनी हो रही है ? क्या देश के बंटवारे के समय किया गया खून-खराबा भी CAB का विरोध था वास्तव में अफजल इस बिल के बहाने अपने उस पुराने रसूख को पाना चाह रहा है जो उसे बाबर, औरंगजेब, मोहम्मद गौरी, इब्राहीम लोधी व जिन्ना ने दिया था, जिस रसूख के दम पर वो आजाद हिन्दुस्तान मे न्यायालय के निर्णय (शाहबानो प्रकरण) को भी बदलवाने का दम रखता था !

        अफजल जानता है नागरिकता संसोधन बिल 2019 से सच्चे देशभक्त मुसलमान की सेहत पर कोई फर्क नही पडेगा, न तो उसे हिन्दुस्तान से निकाला जाएगा और ना ही उसके रोजी-रोजगार पर कोई आंच आने वाली है । अफजल जानता है, नागरिकता संसोधन बिल के माध्यम से सिर्फ पाकिस्तान/अफगानिस्तान/बांग्लादेश के अल्पसंख्यको को ही सुरक्षित वापस स्वदेश लाया जाएगा !

       अफजल जानता है कि इन तीनो ही पडोसी देशो मे अब मुठ्ठी भर हिन्दू या अल्पसंख्यक बचे हैं, जिनके भारत आने से इनकी सेहत पर कोई असर नहीं पडने वाला है । परन्तु अफजल ये भी मानता है कि अभी नही तो कभी नही । अगर आज उसने औरंगजेब की तरह तोड़फोड़ नही मचाई तो छत्रपति शिवाजी की भूमि पर उसके आतंक की बादशाहत खत्म हो जाएगी । हिन्दुस्तान की सियासत में उसकी हैसियत खत्म हो जाएगी जबकि उसकी हिंसकवृत्ति ही उसकी ताकत है और इसी ताकत के दम पर इस लोकशाही मे वो कामयाब भी हुआ है । परन्तु यहाँ शायद अफजल ये भूल रहा है कि वो राणा प्रताप के धैर्य को भूल रहा है, वो गोधराकांड भूल रहा है ?

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       अफजल भूल रहा है कि राणा प्रताप ने बरसों घास की रोटी सिर्फ इसलिये खाई थी कि वो अकबर को उसकी औकात बता सकें । वो भूल रहा है कि गोधरा में सिर्फ "क्रिया पर ही प्रतिक्रिया" हुई थी और सबसे बड़ी भूल तो वो ये कर रहा है कि देश की बागडोर इस समय किसके हाथो में है, उसके जो इनके पिछवाड़े तोड़ने में पी.एच.डी. कर चुका है और अब तो माशाअल्लाह मोटा भाई भी आ खडे हुए हैं । हम सबने देखा है कि आते ही उन्होंने देश के विकास की सारी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली और वे उंगली दिखाने में नही बल्कि दिखाई जा रही उंगली तोड़ देने में फ्रंटफुट पर खेलने में ही विश्वाश करते हैं ।
      

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