कॉलेज में पूर्व
छात्रों का Happy married life पर एक कार्यक्रम हो रहा था, जिसमे लगभग सभी विवाहित छात्र हिस्सा ले
रहे थे । जिस समय प्रोफेसर मंच
पर आए तब उन्होने देखा कि सभी छात्र पति-पत्नी व शादी सम्बंधों पर जोक कर हँस रहे
थे । यह देखकर प्रोफेसर बोले कि चलो पहले
एक Game खेलते हैं, उसके बाद अपने
विषय पर बातें करेंगे ।
जो कहना है वह कह लें, जो करना है वह कर लें, किंतु एक दूसरे के चश्मे और लकड़ी ढूंढने के लिये अंत में ये दोनों ही होंगे ।
मैं रूठूँ तो तुम मना लेना, तुम रूठो तो मैं मना लूंगा, एक दूसरे को लाड़ लड़ाने के लिए अंत में दोनों ही होंगे ।
आंखें जब धुंधली होंगी, याददाश्त जब कमजोर होगी, तब एक दूसरे को, एक दूसरे में ढूंढने के लिए अंत में ये दोनों ही होंगे ।
घुटने जब दुखने लगेंगे, कमर भी झुकना बंद कर देगी, तब एक दूसरे के पांव के नाखून काटने के लिए भी अन्त में ये दोनों ही होंगे ।
"अरे मुुझे कुछ नहीं हुआ बिल्कुल ठीक तो हूँ" ऐसा कह कर एक दूसरे को बहलाने के लिए भी अंत में ये दोनों ही होंगे ।
साथ जब छूट जाएगा, विदाई की घड़ी जब आ जाएगी, तब एक दूसरे को माफ करने के लिए भी अंत में यह दोनों ही होंगे ।
टिप्पणी : पति-पत्नी पर व्यंग्य कितने भी हों पर अकाट्य सत्य यही है और यही रहेगा ।
सभी खुश हो गए और कहा कोनसा Game ?
प्रोफ़ेसर
ने एक विवाहित लड़की को खड़ा किया और कहा कि तुम ब्लेकबोर्ड पर ऐसे 25-30 लोगों के नाम
लिखो जो तुम्हें अच्छे लगते हैं...
लड़की
ने पहले अपने परिवार के लोगों के नाम लिखे फिर अपने सगे-सम्बन्धी, दोस्तों, पडोसियों
और सहकर्मियों के नाम लिख दिए ।
तब
प्रोफ़ेसर ने उनमें से कोई भी कम पसंद वाले 5
नाम
मिटाने को कहा-
लड़की
ने अपने सहकर्मियों के नाम मिटा दिए ।
प्रोफ़ेसर
ने और 5 नाम मिटाने को कहा-
लड़की
ने थोडा सोच कर अपने पड़ोसियो के नाम मिटा दिए ।
अब
प्रोफ़ेसर ने उनमें से कोई भी चार को छोडकर बाकि नाम मिटाने को कहा-
लड़की
ने अपने सगे-सम्बन्धी और दोस्तों के नाम मिटा दिए । अब
बोर्ड पर सिर्फ 4 नाम बचे थे जो उसके
मम्मी-पापा, पति और बच्चे के नाम
थे ।
अब
प्रोफ़ेसर ने कहा इसमें से और 2 नाम मिटा दो-
लड़की
असमंजस में पड गयी बहुत सोचने के बाद कुछ दुखी होते हुए उसने अपने मम्मी-पापा के
नाम मिटा दिए ।
सभी
लोग स्तब्ध और शांत थे क्योंकि वे जानते थे कि यह गेम सिर्फ वो लड़की ही नहीं खेल
रही थी बल्कि उनके अपने दिमाग में भी यही सब चल रहा था ।
अब
सिर्फ दो ही नाम बचे थे । एक उसके पति का और दूसरा उसके बेटे का...
प्रोफ़ेसर
ने कहा - अब और एक नाम इसमें से भी मिटा दो-
अब
तो वह लडकी सहमी सी रह
गयी... बहुत सोचने के बाद लगभग रोती सी मनोदशा के साथ उसने अपने बेटे का नाम काट
दिया । प्रोफ़ेसर ने उस लड़की से कहा अब
तुम अपनी जगह पर जाकर बैठ जाओ ।
फिर
सभी की तरफ गौर से देखते हुए पूछा- क्या आपमें से कोई बता सकता है कि ऐसा क्यों
हुआ कि आखिर में सिर्फ पति का ही नाम बोर्ड पर रह गया।
कोई
जवाब नहीं दे पाया । सभी मुँह लटकाए बैठे
थे...! प्रोफ़ेसर ने फिर उस
लड़की को खड़ा किया और पूछा - ऐसा क्यों ? जिसने तुम्हे जन्म दिया और पाल पोस कर
इतना बड़ा किया उनका नाम तुमने मिटा दिया,
और
तो और अपनी कोख से जिस बच्चे को तुमने जन्म दिया उसका भी नाम मिटा दिया ?
लड़की
ने जवाब दिया - मम्मी-पापा तो अब बूढ़े हो चले हैं, कुछ साल के बाद वो मुझे और इस दुनिया को
छोड़ के चले ही जायेंगे । मेरा बेटा जब बड़ा हो
जायेगा तो जरूरी नहीं कि वो शादी के बाद मेरे साथ ही रहे ।
लेकिन
मेरे पति जब तक मेरी जान में जान है तब तक मेरा आधा शरीर बनके मेरा साथ निभायेंगे इसलिए मेरे पति ही मेरे लिये सबसे अजीज
हैं ।
प्रोफ़ेसर
और बाकी स्टूडेंट ने तालियों की गूंज से लड़की की बात का समर्थन किया ।
प्रोफ़ेसर
ने कहा तुमने बिलकुल सही कहा कि तुम और सभी के बिना रह सकती हो पर अपने आधे अंग
अर्थात अपने पति के बिना नहीं रह सकती ।
मजाक
मस्ती तक तो ठीक है पर हर इंसान का अपना जीवन साथी ही उसको सब से ज्यादा अजीज होता है, यही सच है सभी पतियों और पत्नियों के
लिये । यह कभी मत भूलना कि जिंदगी के साथ भी और जिन्दगी
के बाद भी, अंत में तो दोनों ही
होंगे ।
भले
ही झगड़ें, गुस्सा करें, एक दूसरे पर टूट पड़ें, एक दूसरे पर दादागीरी करलें किंतु अंत
में ये दोनों ही होंगे ।
जो कहना है वह कह लें, जो करना है वह कर लें, किंतु एक दूसरे के चश्मे और लकड़ी ढूंढने के लिये अंत में ये दोनों ही होंगे ।
मैं रूठूँ तो तुम मना लेना, तुम रूठो तो मैं मना लूंगा, एक दूसरे को लाड़ लड़ाने के लिए अंत में दोनों ही होंगे ।
आंखें जब धुंधली होंगी, याददाश्त जब कमजोर होगी, तब एक दूसरे को, एक दूसरे में ढूंढने के लिए अंत में ये दोनों ही होंगे ।
घुटने जब दुखने लगेंगे, कमर भी झुकना बंद कर देगी, तब एक दूसरे के पांव के नाखून काटने के लिए भी अन्त में ये दोनों ही होंगे ।
"अरे मुुझे कुछ नहीं हुआ बिल्कुल ठीक तो हूँ" ऐसा कह कर एक दूसरे को बहलाने के लिए भी अंत में ये दोनों ही होंगे ।
साथ जब छूट जाएगा, विदाई की घड़ी जब आ जाएगी, तब एक दूसरे को माफ करने के लिए भी अंत में यह दोनों ही होंगे ।
टिप्पणी : पति-पत्नी पर व्यंग्य कितने भी हों पर अकाट्य सत्य यही है और यही रहेगा ।
जोक, मजाक ये तो समय बिताने की बात है पर हां ... पति पत्नी का रिश्ता बहुत गहरा और सबसे करीब रिश्ता हो जाता है ... इसमें कोई शक नहीं ...
जवाब देंहटाएं