16.12.16

ऐसे बचें तनाव से...

          दोस्तों का एक पुराना ग्रुप कॉलेज छोड़ने के बहुत दिनों बाद मिला ।  सभी मित्र अच्छे केरियर के साथ पर्याप्त पैसे कमा रहे थे । वे अपने सबसे अच्छे प्रोफेसर के घर जाकर मिले । प्रोफेसर साहब उनके काम के बारे में पूछने लगे । धीरे-धीरे बात लाइफ में बढ़ती तनाव व काम के प्रेशर पर आगई । इस मुद्दे पर सभी एक मत थे कि भले ही वे अब आर्थिक रूप से अच्छे मजबूत हैं पर जीवन में अब वो मजा नहीं रह गया जो पहले हुआ करता था ।

           प्रोफेसर साहब बड़े ध्यान से उनकी बातें सुन रहे थेवे अचानक ही उठे और थोड़ी देर बाद किचन से लौटे और बोले, "डीयर स्टूडेंट्स, मैं आपके लिए गरमा-गरम कॉफ़ी बना कर आया हूँ, लेकिन प्लीज आप सब किचन में जाकर अपने-अपने लिए कप्स लेते आइये।"

            लड़के तेजी से अंदर गए, वहाँ कई तरह के कप रखे हुए थे, सभी अपने लिए अच्छा से अच्छा कप उठाने में लग गये, किसी ने क्रिस्टल का शानदार कप उठाया तो किसी ने पोर्सिलेन का कप सेलेक्ट किया, और किसी ने शीशे का कप उठाया।  
             
            सभी के हाथों में कॉफी आ गयी तो प्रोफ़ेसर साहब बोले, "अगर आपने ध्यान दिया हो तो, जो कप दिखने में अच्छे और महंगे थे आपने उन्हें ही चुना और साधारण दिखने वाले कप्स की तरफ ध्यान नहीं दिया । जहाँ एक तरफ अपने लिए सबसे अच्छे की चाह रखना एक नॉर्मल बात है, वहीँ दूसरी तरफ ये चाहत ही हमारी लाइफ में प्रॉब्लम्स और स्ट्रेस भी लेकर आता है ।

             फ्रेंड्स, ये तो पक्का है कि कप, कॉफी की क्वालिटी में कोई बदलाव नहीं लाता । ये तो बस एक जरिया है जिसके माध्यम से आप कॉफी पीते है । असल में जो आपको चाहिए था वो बस कॉफ़ी थी, कप नहीं, पर फिर भी आप सब सबसे अच्छे कप के पीछे ही गए और अपना लेने के बाद दूसरों के कप निहारने लगे।" 

           अब इस बात को ध्यान से सुनिये "ये लाइफ कॉफ़ी की तरह है; हमारी नौकरी, पैसा, पोजीशन, कप की तरह हैं । ये बस लाइफ जीने के साधन हैं, खुद लाइफ नहीं ! और हमारे पास कौन सा कप है ये न हमारी लाइफ को डिफाइन करता है और ना ही उसे चेंज करता है । कॉफी की चिंता करिये कप की नहीं ।"

            "दुनिया के सबसे खुशहाल लोग वो नहीं होते जिनके पास सबकुछ सबसे बढ़िया होता है, बल्कि वे होते हैं, जिनके पास जो कुछ भी होता है वे बस उसका अच्छे से इस्तेमाल करते हैं, एन्जॉय करते हैं और भरपूर जीवन जीते हैं ! सादगी से जियो, सबसे प्रेम करो, सबकी केअर करो, जीवन का आनन्द लो । यही भरपूर आनंद के साथ जीवन जीने का सही तरीका है । Enjoy your  Life.

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24.8.16

प्रेरणा...!


           अमेरिका की बात है, एक युवक को व्यापार में बहुत नुकसान उठाना पड़ा, उसपर बहुत कर्ज चढ़ गया,  तमाम जमीन-जायदाद गिरवी रखना पड़ी,  दोस्तों ने भी मुंह फेर लिया, जाहिर हैं वह बहुत हताश था, कहीं से कोई राह नहीं सूझ रही थी, आशा की कोई किरण बाकि न बची थी । एक दिन वह एक Park में बैठा अपनी परिस्थितियो पर चिंता कर रहा था, तभी एक बुजुर्ग वहां पहुंचे. कपड़ो से और चेहरे से वे काफी अमीर लग रहे थे ।

           बुजुर्ग ने चिंता का कारण पूछा तो उसने अपनी सारी कहानी बता दी - बुजुर्ग बोले - "चिंता मत करो, मेरा नाम जॉन डी. रॉकफेलर है, मैं तुम्हे नहीं जानता, पर तुम मुझे सच्चे और ईमानदार लग रहे हो, इसलिए मैं तुम्हे दस लाख डॉलर का कर्ज देने को तैयार हूँ ।”


           फिर जेब से चेकबुक निकाल कर उन्होंने रकम दर्ज की और उस व्यक्ति को देते हुए बोले- “नौजवान, आज से ठीक एक साल बाद हम इसी जगह मिलेंगे  तब तुम मेरा कर्ज चुका देना ।”  इतना कहकर वो चले गए । युवक चकित था. रॉकफेलर तब अमेरीका के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक थे, युवक को तो भरोसा ही नहीं हो रहा था की उसकी लगभग सारी मुश्किलें हल हो गई हैं ।


           उसके पैरो को पंख लग गये, घर पहुंचकर वह अपने कर्जों का हिसाब लगाने लगा,  बीसवी सदी की शुरुआत में 10 लाख डॉलर बहुत बड़ी धनराशि होती थी और आज भी है । अचानक उसके मन में ख्याल आया, उसने सोचा एक अपरिचित व्यक्ति ने मुझ पर भरोसा किया, पर मैं खुद पर भरोसा नहीं कर रहा हूँ,  यह ख्याल आते ही उसने चेक को संभाल कर रख लिया,  फिर उसने निश्चय किया की पहले वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेगा, पूरी मेहनत करेगा की इस मुश्किल से निकल जाए, उसके बाद भी अगर कोई चारा न बचे तो वो उस चैक का इस्तेमाल करेगा ।


           उस दिन के बाद युवक ने खुद को झोंक दिया. बस एक ही धुन थी, किसी तरह सारे कर्ज चुकाकर अपनी प्रतिष्ठा को फिर से पाना हैं । उसकी कोशिशे रंग लाने लगी. कारोबार उबरने लगा, कर्ज चुकने लगा । साल भर बाद तो वो पहले से भी अच्छी स्तिथि में था । निर्धारित दिन ठीक समय वह बगीचे में पहुँच गया, वह चेक लेकर रॉकफेलर की राह देख ही रहा था की वे दूर से आते दिखे, जब वे पास पहुंचे तो युवक ने बड़ी श्रद्धा से उनका अभिवादन किया, उनकी ओर चेक बढाकर उसने कुछ कहने के लिए मुंह खोल ही था की एक नर्स भागते हुए आई और झपट्टा मरकर उस वृद्ध को पकड़ लिया ।


            युवक हैरान रह गया । तब वह नर्स बोली, “यह पागल बार बार पागलखाने से भाग जाता है और लोगों को जॉन डी. रॉकफेलर के रूप में चैक बाँटता फिरता हैं ।” अब तो वह युवक पहले से भी ज्यादा हैरान हो गया । जिस चैक के बल पर उसने अपना पूरा डूबता कारोबार फिर से खड़ा कर लिया वह फर्जी था ।


           पर यह बात जरुर साबित हुई की वास्तविक जीत हमारे इरादे, हौंसले और प्रयास में ही होती है,  यदि हम खुद पर विश्वास रखें और आवश्यकता के मुताबिक प्रयत्न करते रहें तो यक़ीनन किसी भी बाधा अथवा चुनौति से निपट सकते है ।



13.7.16

मतलब परस्ती...!


            एक बार विभिन्न श्रेणी के तीन लोग बैठ कर बातें कर रहे थे और बड़ी ही जोर-जोर से  हंस रहे थे - उन में से एक किसी मीडिया चैनल का मालिक था,  दूसरा एक विदेशी था और तीसरा कोई एक नेता  था ।

            सब से पहले विदेशी बोला - यहाँ के लोग तो मूर्ख हैंहमारा कूड़ा खाते हैं, हमारे कुत्तो के साबुन से नहाते हैं ।  हमारे बनाये कीटनाशकों को कोल्डड्रिंक के रुप में अमृत समझ के पीते  हैं । इनकी ही गौमाता को मारकर हम मैग्गी, लेज और इस जैसे सभी सामानों में मिलाते  हैं और ये मूर्ख ब्रांडेड समझ के मजे से खा  जाते हैं ।  नीम की दातुन को  छुङवा के लगा दिया कोलगेट घिसने परजो बनती है जानवरों की हड्डी पिसने पर । 

            दीवाली जैसे त्यौहारों पर  भी अब ये हमारी चाकलेट कुरकुरे खाते हैं और अपनी ही गौमाता  के  दूध में मिलावट  बताते हैं ।  हम यहाँ बैठ कर इनको अपने इशारे पे नचवाते हैंरामसेतु आदि यहीं  बैठकर तुडवाते  हैं । यह जो थे कभी दुनिया के मालिक, आज नौकर इनको बना दियाआसमान  से पटक कर मिट्टी में इनको मिला  दिया ।  पर  इन मूर्खो को अभी भी अक्ल  नहीं आई । आज भी ब्रांडेड से नहाते  हैं, ब्रांडेड खाते हैं,  ब्रांडेड चलाते हैं, ब्रांडेड पहनते हैं । हा... हा... हा...  पूरे कमरे में गूंज रही  ठहाको की  फुलवारी थी ।

            अब - "विदेशी" के बाद "नेता" की बारी थी । दारु का गिलास  उठा के नेता बोला  अरे मेरे विदेशी भाई तुमने हमको कम तोला । ये लोग तुम्हारे गुलाम न होते हम अगर तुम्हारे साथ न होते । इस सोने की चिड़िया को हमने ही रुलाया है । यहाँ का साम्राज्य हमने ही तुम्हें दिलाया है । तुमने तो सिर्फ पैसा और सामान ही दिया है, असली पागल  तो इनको  हमने किया है । कभी -  जात के नाम परकभी -   धर्म  के नाम पर,  हमने ही -  भाई को भाई से लड़ाया है । हम यहाँ सब-कुछ निचोड़ कर बिकवा  देंगे, तुम इत्मीनान रखना, बस पैसा कम न होने पाये, मेरे स्विस खाते  का ख्याल  रखना ।

            इसी बीच "मीडिया वाला" चिल्लाया - तोड़ दारु की बोतल  जोर से बङबङाया - अरे ! तुम दोनों कुछ भी न होतेअगर तुम्हारे साथ हम न होते ? तुम्हारी हर ओछी हरकत हम छुपाते  हैं, पकड़े हुए किसी बेकसूर को, ज़ालिम-ज़ालिम कहकर चिल्लाते हैं । ब्रांडेड आपके इसलिए बिकते  हैं  क्योंकि हर ब्रेक  में हमारे ये दिखते  हैं ।  विदेशी सामान का असली सच  हम दिखाते नहीं हैंइसलिए -  अच्छे स्वदेशी प्रॉडक्ट भी टिक पाते  नहीं  हैं, लोगों को मतिभ्रम में हम  फंसा रहे हैं  । इसीलिए आप सबको मुर्ख बना रहे हैं । हर चैनल, हर एंकर यहाँ बिकता  है । इसीलिए सुबह 6 बजे से हर जगह विदेशी प्रॉडक्ट दिखता है । अगर सिर्फ 24 घंटे हम ईमांनदारी से खबरें चला दें तो तुम्हें एक ही दिन में जेल  भिजवा दें...

            उपरोक्त स्थिति में सब हों या न हों किंतु इन माध्यमों में अधिकांश तो ऐसे ही  हैं । आपका क्या ख्याल है  ?
 सोर्स : WhatsApp
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10.7.16

जानिए - अपने सामान्य मानवाधिकार...


            आप कोई भी हों आप कुछ भी हो ये 5 बातें जानना आपके लिए बहुत जरूरी है-

           
बहोत सी ऐसी बातें- जिन्हें प्रायः हम ज़िंदगी में महत्व नहीं देते... जाने दो, छोड़ो, बाद में देख लेंगे, हमें क्या करना है…” जैसे शब्दों का प्रयोग करके बातें भूल जाया करते है और ज़िंदगी में आगे बढ़ जाते है । लेकिन क्या आप जानते हैहमारे देश में सामान्य मानव अधिकार से जुडे इन मुद्दों की कानूनन कुछ ऐसी हकीक़तें हैं, जिसकी जानकारी हमारे पास नहीं होने के कारण  हम समय आने पर अपने सामान्य अधिकारों से वंचित रह जाते है ।

           
जानिये  5 ऐसे सामान्य अधिकारों के बारे में, जो हममें से किसी के भी जीवन में कभी भी उपयोगी हो सकती है-

1.  
शाम के वक्त महिलाओं की गिरफ्तारी नहीं हो सकती-
           
कोड ऑफ़ क्रिमिनल प्रोसीजर, सेक्शन 46 के तहत शाम 6 बजे के बाद और सुबह 6 के पहले भारतीय पुलिस किसी भी महिला को गिरफ्तार नहीं कर सकती, फिर चाहे गुनाह कितना भी संगीन क्यों ना हो. अगर पुलिस ऐसा करते हुए पाई जाती है तो गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ शिकायत (मामला) दर्ज की जा सकती है. इससे उस पुलिस अधिकारी की नौकरी खतरे में आ सकती है ।

2.
गेस सिलेंडर फटने से जान-माल के नुकसान पर 40 लाख रूपये तक का बीमा कवर क्लेम कर सकते है-
            पब्लिक लायबिलिटी पॉलिसी के तहत अगर किसी कारण आपके घर में सिलेंडर फट जाता है और आपको जान-माल का नुकसान झेलना पड़ता है तो आप तुरंत गैस कंपनी से बीमा कवर क्लेम कर सकते हैं. आपको बता दे कि गैस कंपनी से 40 लाख रूपये तक का बीमा क्लेम कराया जा सकता है. अगर कंपनी आपका क्लेम देने से मना करती है या टालती है तो इसकी शिकायत की जा सकती है. दोषी पाये जाने पर गैस कंपनी का लायसेंस रद्द हो सकता है ।

3. कोई भी हॉटेल चाहे वो 5 स्टार ही क्यों ना हो, आप फ्री में पानी पी सकते हैं और वाशरूम इस्तमाल कर सकते हैं-
         इंडियन सीरीज एक्ट, 1887 के अनुसार आप देश के किसी भी हॉटेल में जाकर पानी मांगकर पी सकते है और उस हॉटल का वाश रूम भी इस्तेमाल कर सकते हैं. हॉटेल छोटा हो या 5 स्टार, वो आपको रोक नही सकते. अगर हॉटेल का मालिक या कोई कर्मचारी आपको पानी पिलाने से या वाशरूम इस्तमाल करने से रोकता है तो आप उन पर कारवाई  कर सकते है. आपकी शिकायत से उस हॉटेल का लायसेंस रद्द हो सकता है ।

4.
गर्भवती महिलाओं को नौकरी से नहीं निकला जा सकता-
           
मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट 1961 के मुताबिक़ गर्भवती महिलाओं को अचानक नौकरी से नहीं निकाला जा सकता. मालिक को पहले तीन महीने की नोटिस देनी होगी और प्रेगनेंसी के दौरान लगने वाले खर्चे का कुछ हिस्सा देना होगा. अगर वो ऐसा नहीं करता है तो  उसके खिलाफ सरकारी रोज़गार संघटना में शिकायत कराई जा सकती है. इस शिकायत से कंपनी बंद हो सकती है या कंपनी को जुर्माना भरना पड़ सकता है ।

5.
पुलिस अफसर आपकी शिकायत लिखने से मना नहीं कर सकता-
           
आईपीसी के सेक्शन 166ए के अनुसार कोई भी पुलिस अधिकारी आपकी कोई भी शिकायत दर्ज करने से इंकार नही कर सकता. अगर वो ऐसा करता है तो उसके खिलाफ वरिष्ठ पुलिस दफ्तर में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. अगर वो पुलिस अफसर दोषी पाया जाता है तो उसे कम से कम 6 महीने से लेकर 1  साल तक की जेल हो सकती है या फिर उसे अपनी नौकरी गंवानी पड़ सकती है ।

           
इन रोचक फैक्ट्स को  आप तक WhatsApp के द्वारा मोबाईल to मोबाईल आगे बढाया जा रहा है ।  इन आवश्यक तथ्यों को आगे के लिये भी अपने ध्यान मैं रखना, हर किसी के लिये उपयोगी ही रहेगा क्योंकि हमारे सामान्य अधिकारों के रुप में ये किसी के भी जीवन में कभी भी किसी महत्वपूर्ण अवसर पर काम में आ सकते हैं ।

सौर्स :  WhatsApp

26.6.16

सामर्थ्य - समय व धैर्य की...


            एक साधु था, वह रोज घाट के किनारे बैठ कर चिल्लाया करता था, "जो चाहोगे सो पाओगे"  "जो चाहोगे सो पाओगे।"

            बहुत से लोग वहाँ से गुजरते थे पर कोई भी उसकी बात पर ध्यान नहीँ देता था सब उसे पागल समझते थे ।

             एक दिन एक युवक वहाँ से गुजरा और उसने उस साधु की आवाज सुनी-  "जो चाहोगे सो पाओगे"   "जो चाहोगे सो पाओगे।"

            वह आवाज सुनते ही उसके पास चला गया ।

            उसने साधु से पूछा - महाराज आप बोल रहे थे कि
"जो चाहोगे सो पाओगे" ।

            तो क्या आप मुझको वो दे सकते हो जो मैं जो चाहता हूँ ?

            साधु उसकी बात को सुनकर बोला –  हाँ बेटा तुम जो कुछ भी चाहते हो  उसे मैं तुम्हें जरुर दुँगा, बस तुम्हे मेरी बात माननी होगी । लेकिन उसके पहले ये बताओ कि तुम्हे आखिर चाहिये क्या ?

            युवक बोला-
"मेरी एक ही ख्वाहिश है, मैँ हीरों का बहुत बड़ा व्यापारी बनना चाहता हूँ ।"

            साधू बोला-
"कोई बात नहीँ, मैं तुम्हे एक हीरा और एक मोती देता हूँ, उससे तुम जितने भी हीरे मोती बनाना चाहोगे बना पाओगे ।"

            ऐसा कहते हुए साधु ने अपना हाथ आदमी की हथेली पर रखते हुए कहा- 
"पुत्र, मैं तुम्हे दुनिया का सबसे अनमोल हीरा दे रहा हूं, लोग इसे ‘समय’ कहते हैं, इसे तेजी से अपनी मुट्ठी में पकड़ लो और इसे कभी मत गंवाना,  तुम इससे जितने चाहो उतने हीरे बना सकते हो ।"

            युवक अभी कुछ सोच ही रहा था कि साधु उसकी दूसरी हथेली पकड़ते हुए बोला -
"पुत्र, इसे भी पकड़ो, यह दुनिया का सबसे कीमती मोती है, लोग इसे “धैर्य” कहते हैं, जब कभी समय देने के बावजूद परिणाम ना मिले, तो इस कीमती मोती को धारण कर लेना, याद रखना जिसके पास यह मोती है, वह दुनिया में कुछ भी प्राप्त कर सकता है ।"

            युवक गम्भीरता से साधु की बातों पर विचार करते हुए निश्चय करता है कि आज से वह कभी अपना समय बर्बाद नहीं करेगा और हमेशा धैर्य से काम लेगा । 

             ऐसा सोचकर वह हीरों के एक बहुत बड़े व्यापारी के यहाँ काम सीखते हुए करना शुरू करता है और अपने मेहनत और ईमानदारी के बल पर एक दिन खुद भी हीरों का बहुत बड़ा व्यापारी बन जाता है ।

            मित्रो- ‘समय’ और ‘धैर्य’ वह दो हीरे-मोती हैं जिनके बल पर हम बड़े से बड़ा लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं । अतः ज़रूरी है कि हम अपने कीमती समय को बर्वाद ना करें और अपनी मंज़िल तक पहुँचने के लिए हमेशा धैर्य से काम लें । हमारे बुजुर्गों ने भी अपने शब्दों में धीरज का महत्व हमें इस प्रकार समझाने का प्रयास किया है-


धीरे-धीरे  रे मना,  धीरे  सब  कुछ  होय,
माली सींचे सौ घडा, ऋुत आये फल होय ।



17.6.16

मनोस्थिति : सुख या दु:ख...



        एक महान लेखक अपने लेखन कक्ष में बैठा लिख रहा था पिछले वर्ष मेरा आपरेशन हुआ और मेरा गाल ब्लाडर निकाल दिया गया जिसके कारण एक बडे अनावश्यक खर्च के साथ मुझे लम्बे समय तक बिस्तर पर पडे रहना पडा ।

        इसी वर्ष मैं 60 वर्ष का हुआ और मेरी पसंदीदा प्रकाशन संस्थान की वह नौकरी भी चली गई जहाँ मैं पिछले 30 वर्षों से कार्यरत था ।

नीचे लिंक पर क्लिक कर ये उपयोगी जानकारी भी देखें... धन्यवाद.

        अपने पिता की मृत्यु का दु:ख भी मुझे इसी वर्ष में झेलना पडा ।

     और इसी वर्ष में मेरा बेटा कार एक्सीडेंट के कारण बहुत दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहने से अपनी मेडिकल की परीक्षा में फेल हो गया । कार की टूट-फूट का नुकसान अलग हुआ ।

     अंत में लेखक ने लिखा यह बहुत ही बुरा साल था ।

     जब उसकी पत्नी लेखन कक्ष में आई तो उसने देखा कि कलम हाथ में लिये बैठा उसका पति अपने विचारों में खोया बहुत दु:खी लग रहा था । अपने पति की कुर्सी के पीछे खडे रहकर उसने देखा और पढा कि वो क्या लिख रहा था ।

     वह चुपचाप उसके कक्ष से बाहर निकल गई और कुछ देर बाद एक लिखे हुए दूसरे कागज के साथ वापस लौटकर आई और वह कागज भी पति के लिखे कागज के बगल में रखकर बाहर निकल गई ।

     लेखक ने पत्नी के द्वारा रखे कागज पर कुछ लिखा देखकर उसे पढा तो उसमें लिखा था-

     पिछले वर्ष आखिर मुझे उस गाल ब्लाडर से छुटकारा मिल गया जिसके कारण मैं कई सालों दर्द से परेशान रहा ।

     इसी वर्ष अपनी 60 साल की उम्र पूरी कर स्वस्थ-दुरुस्त अवस्था में अपनी प्रकाशन कम्पनी की नौकरी से सेवानिवृत्त हुआ । अब मैं पूरा ध्यान लगाकर शांति के साथ अपने समय का उपयोग और भी बेहतर लेखन-पठन के लिये कर सकूंगा ।

     इसी साल में मेरे 95 वर्षीय पिता बगैर किसी पर आश्रित हुए और बिना किसी गंभीर बीमारी का दु:ख भोगे अपनी उम्र पूरी कर परमात्मा के पास चले गये ।

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     और इसी वर्ष भगवान ने एक बडे एक्सीडेंट के बावजूद मेरे बेटे की रक्षा भी की । भले ही कार में बडा नुकसान हुआ किन्तु मेरे बेटे का न सिर्फ जीवन बल्कि उसके हाथ-पैर भी सब सही-सलामत रहे ।

     अंत में उसकी पत्नी ने लिखा था इस साल ईश्वर की हम पर बहुत कृपा रही, साल अच्छा बीता ।

     तो देखा आपने सोचने का नजरिया बदलने पर कितना कुछ बदल जाता है । स्थितियाँ तो वही रहती है किंतु आत्म संतोष कितना मिलता है ।

दाम्पत्य जीवन में अनुकरणीय...

    
            वैवाहिक वर्षगांठ की पूर्वसंध्या पर पति-पत्नी साथ में बैठे चाय की चुस्कियां ले रहे थे । संसार की दृष्टि में वो एक आदर्श युगल थे, दोनों में प्रेम भी बहुत था, लेकिन कुछ समय से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि संबंधों पर समय की धूल जम रही है । शिकायतें धीरे-धीरे बढ़ रही थीं । 

           
बातें करते-करते अचानक पत्नी ने एक प्रस्ताव रखा कि मुझे तुमसे बहुत कुछ कहना होता है लेकिन हमारे पास समय ही नहीं होता एक-दूसरे के लिए । इसलिए मैं दो डायरियाँ ले आती हूँ और हमारी जो भी शिकायत हो हम पूरा साल अपनी-अपनी डायरी में लिखेंगे व*अगले साल इसी दिन हम एक-दूसरे की डायरी पढ़ेंगे ताकि हमें पता चल सके कि हममें कौन-कौनसी कमियां हैं जिससे कि उसका पुनरावर्तन ना हो सके ।

            
पति भी सहमत हो गया कि विचार तो अच्छा है । डायरियाँ आ गईं और देखते ही देखते साल बीत गया । अगले साल फिर विवाह की वर्षगांठ की पूर्वसंध्या पर दोनों साथ बैठे । एक-दूसरे की डायरियाँ लीं । पहले आप, पहले आप की मनुहार हुई । आखिर में महिला प्रथम की परिपाटी के आधार पर पत्नी की लिखी डायरी पति ने पढ़नी शुरू की ।

            
पहला पन्ना, दूसरा पन्ना, तीसरा पन्ना,

          
आज शादी की वर्षगांठ पर मुझे ढंग का तोहफा भी नहीं दिया । आज होटल में खाना खिलाने का वादा करके भी नहीं ले गए । आज मेरे फेवरेट हीरो की पिक्चर दिखाने के लिए कहा तो जवाब मिला बहुत थक गया हूँ । आज मेरे मायके वाले आए तो उनसे ढंग से बात नहीं की । आज बरसों बाद मेरे लिए साड़ी लाए भी तो पुराने डिजाइन की । ऐसी अनेक रोज़ की छोटी-छोटी फरियादें लिखी हुई थीं ।

            
पढ़कर पति की आँखों में आँसू आ गए । पूरा पढ़कर पति ने कहा कि मुझे पता ही नहीं था मेरी गल्तियों का, किंतु फिर भी मैं ध्यान रखूँगा कि आगे से इनकी पुनरावृत्ति ना हो ।

           
अब पत्नी ने पति की डायरी खोली, पहला पन्ना… खाली,  दूसरा पन्ना…  खालीतीसरा पन्ना … . खालीअब दो-चार पन्ने साथ में पलटे तो वो भी खाली,  फिर 50-100 पन्ने साथ में पलटे तो वो भी खाली ।
    
            पत्नी ने कहा कि मुझे पता था कि तुम मेरी इतनी सी इच्छा भी पूरी नहीं कर सकोगे । मैंने पूरे साल इतनी मेहनत से तुम्हारी सारी कमियां लिखीं ताकि तुम उन्हें सुधार सको और तुमसे इतना भी नहीं हुआ ।

          
पति मुस्कुराया और कहा मैंने सब कुछ अंतिम पृष्ठ पर एक साथ लिख दिया है । 

            पत्नी ने उत्सुकता से अंतिम पृष्ठ खोला । उसमें लिखा था - मैं तुम्हारे मुँह पर तुम्हारी जितनी भी शिकायत कर लूँ लेकिन तुमने जो मेरे और मेरे परिवार के लिए त्याग किए हैं और इतने वर्षों में जो असीमित प्रेम दिया है, उसके सामने मैं इस डायरी में लिख सकूँ ऐसी कोई भी कमी मुझे तुममें दिखाई ही नहीं दी । ऐसा नहीं है कि तुममें कोई कमी नहीं है - लेकिन तुम्हारा प्रेम, तुम्हारा समर्पण, तुम्हारा त्याग उन सब कमियों से ऊपर है । मेरी अनगिनत अक्षम्य भूलों के बाद भी तुमने जीवन के प्रत्येक चरण में छाया बनकर मेरा साथ निभाया है । अब अपनी ही छाया में कोई दोष कैसे दिखाई दे मुझे ।

              अब रोने की बारी पत्नी की थी । उसने पति के हाथ से अपनी डायरी लेकर दोनों डायरियाँ अग्नि में स्वाहा कर दीं और साथ में सारे गिले-शिकवे भी । फिर से उनका जीवन एक नवपरिणीत युगल की भाँति प्रेम से महक उठा । जब जवानी का सूर्य अस्ताचल की ओर प्रयाण शुरू कर दे तब हम एक-दूसरे की कमियां या गल्तियां ढूँढने की बजाए अगर ये याद करें हमारे साथी ने हमारे लिए कितना त्याग किया है, उसने हमें कितना प्रेम दिया है, कैसे पग-पग पर हमारा साथ दिया है तो निश्चित ही जीवन में प्रेम फिर से पल्लवित हो जाएगा । 
For all of us.


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