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4.2.17

तब से अब तक...!



            एक राजा को मलाई रबड़ी खाने का शौक था । उसे रात में सोने से पहले मलाई रबड़ी खाए बिना नींद नहीं आती थी ।  इसके लिए राजा ने एक नौकर को रोजाना चार आने की मलाई लाने की ड्यूटी दे दी । यह क्रम कई दिनों तक चलता रहा ।

           
कुछ समय बाद खजांची को शक हुआ कि कहीं  नौकर चार आने की मलाई में गड़बड़ तो नहीं कर रहा । उसने चुपचाप नौकर पर नजर रखनी शुरू की तो देखा कि नौकर केवल तीन आने की मलाई लाता है और एक आना बचा लेता है । अपनी चोरी पकड़ी जाने पर नौकर ने खजांची को एक आने की रिश्वत देना शुरू कर दिया अब राजा को दो आने की मलाई रबड़ी मिलती जिसे वह चार आने की समझ कर खाता ।

           
कुछ दिन बाद राजा को शक हुआ कि मलाई की मात्रा में कमी हो रही है । राजा ने अपने खास मंत्री को अपनी शंका बतलाई और असलियत पता करने को कहा- मंत्री ने पूछताछ शुरू की तो खजांची ने एक आने का प्रस्ताव मंत्री को भी दे दिया ।

           
अब हालात ये हुए कि नौकर को केवल दो आने मिलते जिसमें से एक आना नौकर रख लेता और एक आने की मलाई रबड़ी राजा के लिए ले जाता । कुछ दिन गुजरने पर हलवाई जिसकी दुकान से रोजाना मलाई रबड़ी जाती थी उसे संदेह हुआ कि पहले तीन आने की मलाई जाती थी अब घटते घटते एक आने की रह गई ।

           
हलवाई ने नौकर को पूछना शुरू किया और राजा को बतलाने की धमकी दी । नौकर ने पूरी बात खजांची को बतलाई और खजांची ने मंत्री को । अंत में यह तय हुआ कि एक आना हलवाई को भी दे दिया जाये । अब समस्या यह हुई कि मलाई कहां से आएगी और राजा को क्या बताया जाएगा, इसकी जिम्मेदारी मंत्री ने ले ली ।

           
इस घटना के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि राजा को मलाई की प्रतीक्षा करते-करते नींद आ गयी । उसी समय मंत्री ने राजा की मूछों पर सफेद चाक (खड़िया) का घोल लगा दिया । अगले दिन राजा ने उठते ही नौकर को बुलाया तो मंत्री और खजांची भी दौड़े आए । राजा ने पूछा -कल मलाई क्यों नही लाये ?
             
     नौकर ने खजांची और मंत्री की ओर देखा.... तभी मंत्री बोला - हुजर यह लाया थाआप सो गए थे  इसलिए मैने आपको सोते में ही खिला दी थी ।  देखिए अभी तक भी आपकी मूछों में लगी है । यह कहकर उसने राजा को आईना दिखाया । मूछों पर लगी सफेदी को देखकर राजा को विश्वास हो गया कि उसने मलाई खाई थी । 

           
अब यह रोज का क्रम हो गया, खजाने से पैसे निकलते और बंट जाते, राजा के मुंह पर सफेदी लग जाती ।

           
यह कहानी आज के समय में  भी एक दम फिट है । आप कल्पना करें कि- आम जनता राजा है,  मंत्री हमारे नेता हैं और अधिकारी व ठेकेदार ये खजांची और हलवाई हैं । पैसा भले कामों के लिए निकलता है और आम आदमी को चूना दिखाकर बहला दिया जाता है ।

13.7.16

मतलब परस्ती...!


            एक बार विभिन्न श्रेणी के तीन लोग बैठ कर बातें कर रहे थे और बड़ी ही जोर-जोर से  हंस रहे थे - उन में से एक किसी मीडिया चैनल का मालिक था,  दूसरा एक विदेशी था और तीसरा कोई एक नेता  था ।

            सब से पहले विदेशी बोला - यहाँ के लोग तो मूर्ख हैंहमारा कूड़ा खाते हैं, हमारे कुत्तो के साबुन से नहाते हैं ।  हमारे बनाये कीटनाशकों को कोल्डड्रिंक के रुप में अमृत समझ के पीते  हैं । इनकी ही गौमाता को मारकर हम मैग्गी, लेज और इस जैसे सभी सामानों में मिलाते  हैं और ये मूर्ख ब्रांडेड समझ के मजे से खा  जाते हैं ।  नीम की दातुन को  छुङवा के लगा दिया कोलगेट घिसने परजो बनती है जानवरों की हड्डी पिसने पर । 

            दीवाली जैसे त्यौहारों पर  भी अब ये हमारी चाकलेट कुरकुरे खाते हैं और अपनी ही गौमाता  के  दूध में मिलावट  बताते हैं ।  हम यहाँ बैठ कर इनको अपने इशारे पे नचवाते हैंरामसेतु आदि यहीं  बैठकर तुडवाते  हैं । यह जो थे कभी दुनिया के मालिक, आज नौकर इनको बना दियाआसमान  से पटक कर मिट्टी में इनको मिला  दिया ।  पर  इन मूर्खो को अभी भी अक्ल  नहीं आई । आज भी ब्रांडेड से नहाते  हैं, ब्रांडेड खाते हैं,  ब्रांडेड चलाते हैं, ब्रांडेड पहनते हैं । हा... हा... हा...  पूरे कमरे में गूंज रही  ठहाको की  फुलवारी थी ।

            अब - "विदेशी" के बाद "नेता" की बारी थी । दारु का गिलास  उठा के नेता बोला  अरे मेरे विदेशी भाई तुमने हमको कम तोला । ये लोग तुम्हारे गुलाम न होते हम अगर तुम्हारे साथ न होते । इस सोने की चिड़िया को हमने ही रुलाया है । यहाँ का साम्राज्य हमने ही तुम्हें दिलाया है । तुमने तो सिर्फ पैसा और सामान ही दिया है, असली पागल  तो इनको  हमने किया है । कभी -  जात के नाम परकभी -   धर्म  के नाम पर,  हमने ही -  भाई को भाई से लड़ाया है । हम यहाँ सब-कुछ निचोड़ कर बिकवा  देंगे, तुम इत्मीनान रखना, बस पैसा कम न होने पाये, मेरे स्विस खाते  का ख्याल  रखना ।

            इसी बीच "मीडिया वाला" चिल्लाया - तोड़ दारु की बोतल  जोर से बङबङाया - अरे ! तुम दोनों कुछ भी न होतेअगर तुम्हारे साथ हम न होते ? तुम्हारी हर ओछी हरकत हम छुपाते  हैं, पकड़े हुए किसी बेकसूर को, ज़ालिम-ज़ालिम कहकर चिल्लाते हैं । ब्रांडेड आपके इसलिए बिकते  हैं  क्योंकि हर ब्रेक  में हमारे ये दिखते  हैं ।  विदेशी सामान का असली सच  हम दिखाते नहीं हैंइसलिए -  अच्छे स्वदेशी प्रॉडक्ट भी टिक पाते  नहीं  हैं, लोगों को मतिभ्रम में हम  फंसा रहे हैं  । इसीलिए आप सबको मुर्ख बना रहे हैं । हर चैनल, हर एंकर यहाँ बिकता  है । इसीलिए सुबह 6 बजे से हर जगह विदेशी प्रॉडक्ट दिखता है । अगर सिर्फ 24 घंटे हम ईमांनदारी से खबरें चला दें तो तुम्हें एक ही दिन में जेल  भिजवा दें...

            उपरोक्त स्थिति में सब हों या न हों किंतु इन माध्यमों में अधिकांश तो ऐसे ही  हैं । आपका क्या ख्याल है  ?
 सोर्स : WhatsApp
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