इस समय |
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इस समय की आवश्यकता
इस समय समूचि मानवता को निगल जाने को तैयार ये कोरोना रुपी दैत्य
जितनी तेजी से जन सामान्य में अपनी पैठ बनाता जा रहा है उतना ही इसे परास्त कर
पाना कठिन होता जा रहा है । फिर भी इस समय हमें अपने उन रक्षकों का निरन्तर आभार
प्रकट करते रहना आवश्यक है जो अस्पतालों में डॉक्टर व नर्स के रुप में स्वयं को इस
संक्रमण के जोखिम में रखने के बावजूद इसके मरीजों को मृत्यु के मुख से बचाने के
प्रयास में अपना घर-परिवार व नींद-भोजन जैसी अनिवार्य आवश्यकताओं को भूलकर सतत
अपने कर्तव्यों में जुटे हुए हैं ।
इस समय के भगवान |
फिर वे पुलिसकर्मी जो इन्हीं खतरनाक परिस्थितियों में स्वयं को
संक्रमण की जोखम के बीच रखकर चौवीसों घंटे हमें हमारे घरों में सुरक्षित रखने की
कवायद में भूखे-प्यासे व उनींदी अवस्था में रहकर भी जुटे हुए हैं और वे सफाईकर्मी भी
जो इन तमाम संक्रमित क्षेत्रों में अपनी जान-जोखिम में डालकर क्षेत्र की साफ-सफाई
में इस योजना के मुताबिक लगे हुए हैं कि किसी भी प्रकार की गंदगी के रहते इस
महामारी का संकट और अधिक ना बढ पावे । इन सबके अलावा वे सभी लोग जो प्रशासनिक मशीनरी से जुडे रहकर हमारे
लिये उपयोगी व आवश्यक नीतियां बनाने में अनथक रुप से लगे हुए हैं, हमें विर्विवाद
रुप से इन सभी के प्रति कृतज्ञ बने रहने की आवश्यकता है ।
समय के दुश्मन
किंतु कुछ विघ्न संतोषी लोग न
जाने किस कारण से वर्तमान समय में मानवता के इन रक्षक वर्ग पर सामूहिक हमले करके इनके
इस बचाव अभियान को पीछे धकेलने के घृणित कार्य में लगे हैं जिसकी सूचना हम अपने
समाचार पत्रों में वॉट्सएप वीडीओ क्लिपिंग में और दूरदर्शन के माध्यम से अक्सर देख
रहे हैं । अपने ऐसे कृत्यों के द्वारा ये लोग इस नाजुक समय में अपना कौनसा औचित्य
साधने में लगे हैं यह बात समझ से परे है क्योंकि इन गल्तियों का सबसे बडा खामियाजा सबसे पहले तो इन्हें ही इनके परिजनों व क्षेत्रवासियों के साथ भुगतना पड
रहा है ।
कोरोना दैत्य |
यदि मैं बात अपने शहर इन्दौर की करुं तो पिछले चार वर्षों से हर वर्ष
पूरे देश में सफाई के क्षेत्र में नंबर 1 पर काबिज इसी शहर में पिछले दिनों एक
क्षेत्रिय बस्ती में डॉक्टरों के साथ मारपीट करके उन्हें भगाया गया जिसकी चर्चा उस
दिन पूरे देश के राष्ट्रीय चैनलों तक पर दिन भर चलती रही । फिर कल भोपाल शहर में
सडकों पर अनावश्यक रुप से घूमते लोगों को रोकने का प्रयास करते पुलिसकर्मियों पर
प्राणघातक हमला किया गया ।
ऐसे ही कहीं सफाई कर्मियों को अपनी ड्यूटी के दौरान काम न करने देने
के लिये धौंस-दपट व मारपीट कर भगाया जा रहा है तो कहीं किसी विशेष जमात के लोगों
द्वारा संक्रमित अवस्था में होने के वावजूद डॉक्टरों पर, चिकित्सा परिसरों में व
सडकों पर जानबूझकर थूक कर संक्रमण बढाने का दुर्भावनापूर्ण कार्य किया जा रहा है, नर्सों पर भद्दे व अश्लील कमेंट कर उनका मनोबल
तोडने का प्रयास किया जा रहा है ।
आखिर इस नाजुक समय में जब अधिक से अधिक एकजुटता के साथ इस महामारी को
सबके सहयोग से परास्त करना समूची मानव जाति के लिये आवश्यक दिख रहा है तब किसी भी
वर्ग द्वारा ऐसी कोशिशें क्या उन्हें मानवता के दुश्मन के रुप में प्रदर्शित नहीं
कर रही है ।
जब देश के प्रधानमंत्री समाज के सभी वर्ग के धर्मगुरुओं से भी ये अपील
कर रहे हैं कि वे सभी अपने-अपने दायरे में अपने अनुयायियों को संयमित रहकर इस
महामारी का मुकाबला करने के लिये एकजुटता के साथ प्रेरित करें, तब ये कौनसा वर्ग है जो ऐसे मानवता विरोधी
कार्यों में अपना हित तलाश रहा है ?
बहुत संभव है कि पर्दे के पीछे इन्हें उकसाकर अपना मंतव्य साधने की
कोई चाल इनके मार्गदर्शक अगुवाओं की रही हो किंतु मोहरा बने ये लोग तो चढजा बेटा
सूली पे, भला करेंगे राम की तर्ज पर सूली पर ही चढ रहे हैं, सबसे पहले इनके साथ ही
इनके परिवार के लिये कोरोना संक्रमण मौत के सौदागर के रुप में मुंहबाये खडा है फिर
इनकी इस घिनौनी कारगुजारियों के लिये सरकार की तरफ से राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की
गिरफ्त में बरसों-बरस जेल में गुजारने के रास्ते बन रहे हैं और अंत में शेष जीवन
के लिये संभ्रांत समाज में इन्हें तिरस्कार भी झेलना ही है ।
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संभव है कि इस संकटकालीन समय में आपके समक्ष परिवार के लालन-पालन में
कई ज्ञात-अज्ञात अडचनें आती दिख रही हों किंतु फिर भी ऐसे संकट के इस समय में किसी
भी कमी अथवा बेबसी के कारण ऐसे विघ्नसंतोषियों के भ्रामक बहकावे में न आवें और ऐसे
किसी भी कार्य में अपना योगदान देने से बचें जो अंततः आपके लिये, आपके प्रिय
परिजनों के लिये और आपके मित्रों-परिचितों को मौत के मुंह में धकेलने का माध्यम
बने ।
अंत में महाभारत के समय के प्रसंगानुसार-
महाभारत युद्ध के पहले भगवान श्रीकृष्ण के पास
दुर्योधन और अर्जुन जाते हैं क्यूँकि एक दिन पहले उन्हें भगवान
श्रीकृष्ण कह चुके होते हैं कि नींद से मेरी आँख खुलने पर जिस पर मेरी नज़र पहले जाएगी, उसे जो चाहिए वो पहले उसे मिलेगा । सबसे पहले
भगवान की नज़र पैरों के पास खडे अर्जुन पर जाती है और अर्जुन भगवान का साथ माँग
लेते हैं जबकि दुर्योधन उनकी पूरी सेनाबल के साथ सभी लड़ाकू हथियार मांगता है
और दोनों को उनकी वांछित वस्तु मिल जाती है । लेकिन अंत में क्या हुआ, श्रीकृष्ण का
साथ जिनके साथ था उन्ही अर्जुन व पांडव की विजय हुई और इतने विशाल सैन्यबल के
बावजूद कोरवों सहित दुर्योधन को हार का मुंह ही देखना पडा ।
इस समय बचाव हेतु आवश्यक |
अर्थात अधिक भीड़ जुटाकर
भी आततायी जीत नहीं सकते जबकि कोई अकेला व्यक्ति ही आपकी जीत का मुख्य सारथी बन सकता
है और हम देख रहे हैं कि इस समय हमारे मुख्य सारथी प्रधानमंत्री के रुप में इस युद्ध में कदम-कदम
पर हम सभी का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं । अतः हम इनके निर्देशन में स्वयं भी
सुरक्षित रहें और अपने परिवार, नगर व देश को भी सुरक्षित रहने में अपना अमूल्य
योगदान दें ।
धन्यवाद
सहित...
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