इन्दौर
के चन्दन नगर में रहने वाले 21 वर्षीय कम्प्यूटर शिक्षक मजहर खान ने
इसी वर्ष 4 मार्च को फाँसी लगाकर अपनी जीवनलीला
समाप्त करली । पुलिस जाँच में उसके घर वालों ने बताया कि मजहर
फेसबुक पर किसी लडकी से चेटिंग करते रहने के दौरान उसके प्यार के प्रति गंभीर
होता चला गया जबकि कोई अमीर युवती उसके साथ सिर्फ समयपास मनोरंजन कर उसकी
भावनाओं से खिलवाड कर रही थी । जब मजहर के प्रेम का यह भ्रम पूरी तरह से टूट
गया तो वो इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पाया और निराशा के गर्त में डूबकर
उसने फाँसी लगाकर अपना जीवन ही समाप्त कर लिया ।
इस घटना के कुछ ही समय पहले फेसबुक के प्रेम-प्रसंग का एक रोचक वाकया ऐसा भी सामने आया था जिसमें चेटिंग के दरम्यान होने वाले प्यार में युवती ने जब अपने प्रेमी से मिलने की इच्छा जताई तो प्रेमी महोदय ने उसे ही अपने पास आने का अनुरोध किया । प्रेम की गिरफ्त में आकंठ लिप्त युवती सेकडों किलोमीटर का सफर तय करके जब अपने फेसबुक प्रेमी से मिलने उसके नगर में पहुँची तो प्रेमी महोदय ने उसके मोबाईल की फोनकाल रिसीव करना भी बन्द कर दिया । किसी अंजान हितैषी की मदद से दूसरे मोबाईल नंबर द्वारा उस तरुणी ने अपने प्रेमी को फोन करवाकर धोखे से उसे अपने सामने बुलवाया तो यह देखकर वह युवती भौंचक्क रह गई कि उसके सामने उसके दादाजी की उम्र का 62-63 वर्षीय बुजुर्ग जो फेसबुक पर लम्बे समय से उससे प्रेम का दावा कर रहा था, आकर खडा हो गया । तब अपने उस फेसबुकी प्रेमी की लानत-मलानत करते हुए अपनी किस्मत को कोसते–कलपते वह युवती वापस अपने गृहनगर रवाना हुई ।
इसी कडी से जुडा 4-5 मिनीट के वीडियो क्लिपिंग में एक गडबडझाला यू-ट्यूब पर भी देखा जा सकता है जहाँ अत्यन्त प्रसन्न मुद्रा में एक युवक व युवती इस माध्यम से चेटिंग के द्वारा एक-दूसरे के सम्पर्क में आते हैं, दोनों में मनपसन्द वार्तालाप होता है फिर एक ही शहर के होने के कारण मिलने का समय और स्थान जो एक सायबर केफे के किसी केबिन नंबर के द्वारा सेट होता है वहाँ आकर्षक परिधान में सज-संवरकर बाजार से गुलदस्ता खरीदते हुए युवक जब उस सायबर केफे के तयशुदा केबिन में प्रवेश करता है तो वहाँ प्रतिक्षारत युवती और वह आगंतुक युवक शर्म से पानी-पानी हो जाते हैं क्योंकि वे दोनों सगे भाई-बहिन ही निकलते हैं ।
सोशल मीडिया के इस लोकप्रिय माध्यम का युवाओं पर इतना व्यापक असर देखने में आ रहा है कि लडका या लडकी दोनों में से कोई भी एक यदि तयशुदा समय में चेटिंग पर उपलब्ध नहीं हो पाए तो कम्प्यूटर पर मौजूद दूसरे पक्ष की व्यग्रता देखते ही बनती है । फेसबुक की ऐसी ही दीवानगी अपने युवा होते पुत्र में पिता ने जब देखी तो केरियर के प्रति गम्भीर रहने की समझाईश देते हुए पिता ने अपने पुत्र से कहा कि बेटा इस फेसबुक से तुम्हें जीवन में रोटी तो नहीं मिलेगी क्यों यहाँ व्यर्थ में अपना समय बर्बाद कर रहे हो तो बेटे ने तत्काल अपने पिता को जवाब दिया कि- पापा, ये तो मैं भी जानता हूँ कि इस फेसबुक से मुझे जीवन में रोटी नहीं मिलेगी परन्तु मेरे जीवन के लिये रोटी बनाने वाली तो मुझे इसी फेसबुक से ही मिलेगी ।
इस समयपास माध्यम से मेच्यूअर लोग तो मानसिक रुप से अप्रभावित ही रहते हैं किन्तु युवावस्था की दहलीज पर खडे नये युवक-युवतियों के लिये ये दिल्लगी ऐसी दिल की लगी साबित हो रही है जो उनके सोचने-समझने के दायरे को दिल से निकलकर दिमाग तक शायद पहुँचने ही नहीं दे रही है और गाहे-बगाहे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति किसी न किसी बदले हुए रुप में लगातार देखने में आ रही हैं । अतः ऐसी घटनाओं के दुःखद परिणामों को देखते हुए नई युवा पीढी को यह ध्यान में रखना ही चाहिये कि पांच-पच्चीस से लगाकर सौ-दो सो व हजारों-हजार अपरिचित मित्रों तक पहुँचा देने वाला यह आभासी माध्यम हमारे जीवन को किसी भी रुप में दुःखों के गर्त में न धकेल पावे ।
इस घटना के कुछ ही समय पहले फेसबुक के प्रेम-प्रसंग का एक रोचक वाकया ऐसा भी सामने आया था जिसमें चेटिंग के दरम्यान होने वाले प्यार में युवती ने जब अपने प्रेमी से मिलने की इच्छा जताई तो प्रेमी महोदय ने उसे ही अपने पास आने का अनुरोध किया । प्रेम की गिरफ्त में आकंठ लिप्त युवती सेकडों किलोमीटर का सफर तय करके जब अपने फेसबुक प्रेमी से मिलने उसके नगर में पहुँची तो प्रेमी महोदय ने उसके मोबाईल की फोनकाल रिसीव करना भी बन्द कर दिया । किसी अंजान हितैषी की मदद से दूसरे मोबाईल नंबर द्वारा उस तरुणी ने अपने प्रेमी को फोन करवाकर धोखे से उसे अपने सामने बुलवाया तो यह देखकर वह युवती भौंचक्क रह गई कि उसके सामने उसके दादाजी की उम्र का 62-63 वर्षीय बुजुर्ग जो फेसबुक पर लम्बे समय से उससे प्रेम का दावा कर रहा था, आकर खडा हो गया । तब अपने उस फेसबुकी प्रेमी की लानत-मलानत करते हुए अपनी किस्मत को कोसते–कलपते वह युवती वापस अपने गृहनगर रवाना हुई ।
इसी कडी से जुडा 4-5 मिनीट के वीडियो क्लिपिंग में एक गडबडझाला यू-ट्यूब पर भी देखा जा सकता है जहाँ अत्यन्त प्रसन्न मुद्रा में एक युवक व युवती इस माध्यम से चेटिंग के द्वारा एक-दूसरे के सम्पर्क में आते हैं, दोनों में मनपसन्द वार्तालाप होता है फिर एक ही शहर के होने के कारण मिलने का समय और स्थान जो एक सायबर केफे के किसी केबिन नंबर के द्वारा सेट होता है वहाँ आकर्षक परिधान में सज-संवरकर बाजार से गुलदस्ता खरीदते हुए युवक जब उस सायबर केफे के तयशुदा केबिन में प्रवेश करता है तो वहाँ प्रतिक्षारत युवती और वह आगंतुक युवक शर्म से पानी-पानी हो जाते हैं क्योंकि वे दोनों सगे भाई-बहिन ही निकलते हैं ।
सोशल मीडिया के इस लोकप्रिय माध्यम का युवाओं पर इतना व्यापक असर देखने में आ रहा है कि लडका या लडकी दोनों में से कोई भी एक यदि तयशुदा समय में चेटिंग पर उपलब्ध नहीं हो पाए तो कम्प्यूटर पर मौजूद दूसरे पक्ष की व्यग्रता देखते ही बनती है । फेसबुक की ऐसी ही दीवानगी अपने युवा होते पुत्र में पिता ने जब देखी तो केरियर के प्रति गम्भीर रहने की समझाईश देते हुए पिता ने अपने पुत्र से कहा कि बेटा इस फेसबुक से तुम्हें जीवन में रोटी तो नहीं मिलेगी क्यों यहाँ व्यर्थ में अपना समय बर्बाद कर रहे हो तो बेटे ने तत्काल अपने पिता को जवाब दिया कि- पापा, ये तो मैं भी जानता हूँ कि इस फेसबुक से मुझे जीवन में रोटी नहीं मिलेगी परन्तु मेरे जीवन के लिये रोटी बनाने वाली तो मुझे इसी फेसबुक से ही मिलेगी ।
इस समयपास माध्यम से मेच्यूअर लोग तो मानसिक रुप से अप्रभावित ही रहते हैं किन्तु युवावस्था की दहलीज पर खडे नये युवक-युवतियों के लिये ये दिल्लगी ऐसी दिल की लगी साबित हो रही है जो उनके सोचने-समझने के दायरे को दिल से निकलकर दिमाग तक शायद पहुँचने ही नहीं दे रही है और गाहे-बगाहे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति किसी न किसी बदले हुए रुप में लगातार देखने में आ रही हैं । अतः ऐसी घटनाओं के दुःखद परिणामों को देखते हुए नई युवा पीढी को यह ध्यान में रखना ही चाहिये कि पांच-पच्चीस से लगाकर सौ-दो सो व हजारों-हजार अपरिचित मित्रों तक पहुँचा देने वाला यह आभासी माध्यम हमारे जीवन को किसी भी रुप में दुःखों के गर्त में न धकेल पावे ।
सोशल साइट्स पर दोस्ती अक्सर आभासी और हकीकत से कोसो दूर ही होती है।
जवाब देंहटाएंदुखद वाकया ...आभासी और वास्तविक संसार का अन्तर समझना ज़रूरी है
जवाब देंहटाएंजब तक माता-पिता अपना समय बच्चों को नहीं देंगे तब तक ऐसी घटनाएं होती ही रहेंगी।
जवाब देंहटाएंजीवन उन्मुक्त और पारदर्शिता में जीने के लिये है, न जाने क्यों छिपने का कर्म करते हैं।
जवाब देंहटाएंदिन दूर नहीं, जब देश में फेसबुक ही पनाह मांगेगी... कहाँ आके फंस गयी.:)
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