ये शाम मस्तानी, मदहोश किये जाए
इन दिनों हमारे शहर में कुकुरमुत्तों
की फौज के समान जो नये किस्म के व्यवसायिक केन्द्र तेजी से बढते जा रहे हैं उनका
परिचय है शीशा पार्लर । नवाबों व रजवाडों के जमाने के हुक्के में विभिन्न फ्लेवरों
और तम्बाकू के मिश्रण के साथ ही शीशा मिश्रित मादकता का एक नया चस्का जो जितना
धंधेबाजों को भा रहा है उतना ही नवयुवाओं को भी अपनी ओर लुभा रहा है । इसके मादक
फ्लेवर युवाओं को जिस तेजी से अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं उतनी ही तेजी से इन
पार्लरों की संख्या में निरन्तर इजाफा होता जा रहा है ।
वैसे तो किसी भी किस्म के नशेबाजों के लिये नशे का कोई टाईम नहीं होता, शुरुआत तो सुबह से ही हो जाती है, लेकिन बहुसंख्यक युवा प्रायः शाम से लगाकर देर रात तक यहाँ महफिलें जमाये नजर आते हैं । धनाढ्य व रईस परिवार के युवाओं से शुरु हुए इस चस्के ने देखते-देखते सामान्य मध्यमवर्गीय युवाओं को भी अपनी गिरफ्त में तेजी से जकड लिया है । युवा वर्ग में मित्रों के आपस में मेल-जोल के ठिकाने बन चुके ये शीशा लाऊंज अपने शानदार इन्टीरियर से सुसज्जित माहौल में ग्राहकों को आरामदायक सोफों व दीवानों पर पसरी हुई मुद्राओं में घंटों यहाँ मुगलकालीन लम्बे नलीदार हुक्कों में रायल पान मसाला, गोल्डन एपल, लिकर आईस, पान रसना, कीवी, मिंट व सुपारी फ्लेवरों में शीशे के एसेंस मिश्रीत तम्बाकू के जानदार-शानदार कश लगवाते हुए टेंशन दूर करने या गम गलत करने जैसे माहौल का आभास करवाते हैं ।
यहाँ आने वाले इनके स्थाई ग्राहकों में मध्यमवर्गीय समुदाय के वे लोग भी शामिल हैं जो चार-चार, पांच-पांच के ग्रुपों में यहाँ आकर एक ही फ्लेवर के आर्डर के द्वारा 1000/-, 1200/- रुपये महीने के कान्ट्रीब्यूट खर्च में सब आनन्द लेने की अपनी इच्छा पूरी कर जाते हैं तो ऐसे ग्राहकों की भी कमी नहीं है जो अकेले ही 5000/- 6000/- रु. महीना यहाँ नियमित रुप से खर्च करते हैं ।
कुछ समय पहले तक दस-पांच की संख्या में शुरु हुए ये शीशा पार्लर अब अकेले इन्दौर शहर में इस समय 250 से अधिक केन्द्रों के रुप में अपनी मौजूदगी दर्शा रहे हैं । पुलिस-प्रशासन की हिस्सेदारी इन पार्लर मालिकों से कितनी तयशुदा अनुपात में बंधी होगी इसका अनुमान इसी स्थिति से लगाया जा सकता है कि जब समाचार-पत्रों में इनके खिलाफ आवाजें उठती हैं तो पुलिस अपनी छापामार कार्यवाही के लिये प्रायः दोपहर का वक्त ही चुनती है क्योंकि उस समय शोर कम सन्नाटा ज्यादा रहता है ।
अभी किसी पार्लर में निरन्तर इसके जहरीले धुंए के प्रभाव में रहने के कारण इस माहौल में कार्यरत एक 19-20 वर्षीय युवा कर्मचारी की मृत्यु होने के बाद कलेक्टर ने इनके खिलाफ कार्यवाही तेज करने के आदेश दिये हैं । लेकिन अभी तक तो इन पार्लर मालिकों की सेहत पर अपनी उंची पहुँच और कानून में कमियों की आड के चलते कोई फर्क पडता दिखाई देता नहीं है । चूंकि सार्वजनिक रुप से धूम्रपान अपराध की श्रेणी में गिना जाता है, और इनके यहाँ से बरामद इन फ्लेवरों की पेकिंग पर तम्बाखू मिश्रित लिखा होने के बावजूद ये पार्लर मालिक दृढता से इस बात का खंडन करते दिखाई देते हैं कि इनमें तम्बाकू का नशा नहीं होता है और हमारा काम किसी गैरकानूनी दायरे में नहीं आता । जब कानून की सख्ती ज्यादा होते दिखती है तो सीमित समय के लिये ये पार्लर अपने शटर भी डाउन कर लेते हैं ।
इधर इसका सेवन करने वालों का कहना है कि हम पिछले दो, तीन व चार वर्षों से इसका सेवन कर रहे हैं और इसमें कुछ भी नुकसान नहीं है, जबकि इसका विरोध करने वाले जानकारों की राय में इसके नियमित सेवन के तयशुदा दुष्परिणामों की सौगात ये है कि- इसके शीशे में निकोटिन की मौजूदगी के कारण इसका धुंआ हानिकारक होता है जो शौक से आदत में परिवर्तित होते हुए इसके सेवनकर्ताओं को केंसर के खतरे में धकेल रहा है ।
मुझे डोर कोई खींचे, तेरी ओर लिये जाए.

वैसे तो किसी भी किस्म के नशेबाजों के लिये नशे का कोई टाईम नहीं होता, शुरुआत तो सुबह से ही हो जाती है, लेकिन बहुसंख्यक युवा प्रायः शाम से लगाकर देर रात तक यहाँ महफिलें जमाये नजर आते हैं । धनाढ्य व रईस परिवार के युवाओं से शुरु हुए इस चस्के ने देखते-देखते सामान्य मध्यमवर्गीय युवाओं को भी अपनी गिरफ्त में तेजी से जकड लिया है । युवा वर्ग में मित्रों के आपस में मेल-जोल के ठिकाने बन चुके ये शीशा लाऊंज अपने शानदार इन्टीरियर से सुसज्जित माहौल में ग्राहकों को आरामदायक सोफों व दीवानों पर पसरी हुई मुद्राओं में घंटों यहाँ मुगलकालीन लम्बे नलीदार हुक्कों में रायल पान मसाला, गोल्डन एपल, लिकर आईस, पान रसना, कीवी, मिंट व सुपारी फ्लेवरों में शीशे के एसेंस मिश्रीत तम्बाकू के जानदार-शानदार कश लगवाते हुए टेंशन दूर करने या गम गलत करने जैसे माहौल का आभास करवाते हैं ।
यहाँ आने वाले इनके स्थाई ग्राहकों में मध्यमवर्गीय समुदाय के वे लोग भी शामिल हैं जो चार-चार, पांच-पांच के ग्रुपों में यहाँ आकर एक ही फ्लेवर के आर्डर के द्वारा 1000/-, 1200/- रुपये महीने के कान्ट्रीब्यूट खर्च में सब आनन्द लेने की अपनी इच्छा पूरी कर जाते हैं तो ऐसे ग्राहकों की भी कमी नहीं है जो अकेले ही 5000/- 6000/- रु. महीना यहाँ नियमित रुप से खर्च करते हैं ।
कुछ समय पहले तक दस-पांच की संख्या में शुरु हुए ये शीशा पार्लर अब अकेले इन्दौर शहर में इस समय 250 से अधिक केन्द्रों के रुप में अपनी मौजूदगी दर्शा रहे हैं । पुलिस-प्रशासन की हिस्सेदारी इन पार्लर मालिकों से कितनी तयशुदा अनुपात में बंधी होगी इसका अनुमान इसी स्थिति से लगाया जा सकता है कि जब समाचार-पत्रों में इनके खिलाफ आवाजें उठती हैं तो पुलिस अपनी छापामार कार्यवाही के लिये प्रायः दोपहर का वक्त ही चुनती है क्योंकि उस समय शोर कम सन्नाटा ज्यादा रहता है ।
अभी किसी पार्लर में निरन्तर इसके जहरीले धुंए के प्रभाव में रहने के कारण इस माहौल में कार्यरत एक 19-20 वर्षीय युवा कर्मचारी की मृत्यु होने के बाद कलेक्टर ने इनके खिलाफ कार्यवाही तेज करने के आदेश दिये हैं । लेकिन अभी तक तो इन पार्लर मालिकों की सेहत पर अपनी उंची पहुँच और कानून में कमियों की आड के चलते कोई फर्क पडता दिखाई देता नहीं है । चूंकि सार्वजनिक रुप से धूम्रपान अपराध की श्रेणी में गिना जाता है, और इनके यहाँ से बरामद इन फ्लेवरों की पेकिंग पर तम्बाखू मिश्रित लिखा होने के बावजूद ये पार्लर मालिक दृढता से इस बात का खंडन करते दिखाई देते हैं कि इनमें तम्बाकू का नशा नहीं होता है और हमारा काम किसी गैरकानूनी दायरे में नहीं आता । जब कानून की सख्ती ज्यादा होते दिखती है तो सीमित समय के लिये ये पार्लर अपने शटर भी डाउन कर लेते हैं ।
इधर इसका सेवन करने वालों का कहना है कि हम पिछले दो, तीन व चार वर्षों से इसका सेवन कर रहे हैं और इसमें कुछ भी नुकसान नहीं है, जबकि इसका विरोध करने वाले जानकारों की राय में इसके नियमित सेवन के तयशुदा दुष्परिणामों की सौगात ये है कि- इसके शीशे में निकोटिन की मौजूदगी के कारण इसका धुंआ हानिकारक होता है जो शौक से आदत में परिवर्तित होते हुए इसके सेवनकर्ताओं को केंसर के खतरे में धकेल रहा है ।