कोरोना वायरस |
कुछ समय पूर्व मैंने अपने ब्लॉग स्वास्थ्य सुख में
दि. 29 जनवरी 2020 को कोरोना वायरस से सम्बन्धित पोस्ट “Corona Virus कोरोना वायरस का कहर दिन-ब-दिन बढ रहा है...” तब डाली थी जब इसका प्रसार शुरु हुआ था व सिर्फ चीन के वुहान शहर
में उस वक्त इसने तबाही की शुरुआत की ही थी ।
तब 4500 लोग चीन के वुहान शहर में संक्रमित हुए थे और उसमें मात्र 106 लोगों ने ही
अपनी जान गंवाई थी ।
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निरन्तर बढ रहा कोरोना वायरस का प्रकोप
कहने की आवश्यकता ही नहीं है कि तबसे
अब तक इसके बढते प्रकोप ने समूचे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया है और मात्र दो माह से भी कम समय में आज दि. 27
मार्च 2020 तक समूचे विश्व में इसके 5,10,646 संक्रमित केस दिख रहे हैं । अब तक 1,22,245
लोग इसकी चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं और विश्व की एक तिहाई से भी अधिक आबादी लॉकडाऊन की गिरफ्त में फंसकर अपने काम-धंधे छोडकर घरों में बंद
रहने को मजबूर हो चुकी है ।
भारत में कोरोना वायरस
यदि बात हमारे देश भारत के संदर्भ में
की जावे तो स्थिति फिलहाल थोडी कम खतरनाक दिख रही है क्योंकि दुनिया की तुलना में
यहाँ आज इस समय तक 755 संक्रमित रोगी दिख रहे हैं । इनमें 16 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं
और हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी की दूरदर्शिता के कारण स्थिति विस्फोटक होने के पूर्व ही इसके
फैलाव से बचाव के लिये आवश्यक सोशल डिस्टेंस को मैनेज करने हेतु समूचा भारत इस समय
21 दिनों के लॉकडाऊन दौर से गुजर रहा है ।
इसके बावजूद भी कब और कहाँ तक इसका फैलाव जाकर रुकेगा यह कोई नहीं जानता । लोगों में किस सीमा तक इसका खौफ भर गया है यह हम इसीसे समझ सकते हैं कि अपने परिजनों को भी सामने देखकर हर कोई यह सोचकर आशंकित दिख रहा है कि कहीं ये संक्रमित तो नहीं हो चुके हैं क्योंकि संक्रमित व्यक्ति में कोई भी लक्षण उभरे उसके पहले ही वो कईयों को संक्रमित करते फिर रहे हैं ।
ज्योतिष नजरिये से कोरोना वायरस
ऐसी स्थिति में एक विकल्प ज्योतिष
नजरिये का सामने आ रहा है जो यह बता रहा है कि जब-जब शनि 30 वर्ष बाद बली होकर
अपने गृह मकर राशि में आते हैं तब-तब इस प्रकार की आपदाएँ पृथ्वी पर दिखने में आती
रही हैं । अब इस धारणा को ऐतिहासिक तथ्यों में देखें-
ईसवी सन 165 में जब शनि मकर में प्रविष्ट हुए थे तब इतालवी प्रायद्वीप में चेचक के संक्रमण से पांच लाख लोगों की मृत्यु
हुई थी ।
सन 252 में जब शनि मकर में पहुंचे तो बताया जाता है कि
‘प्लेग ऑफ साइप्रियन’
के प्रकोप से रोम में महीनों तक हर रोज औसतन 5,000 लोगों की मृत्यु होती रही थी ।
वर्ष 547 में जब शनि अपनी स्वराशि मकर में पहुंचे तब मिस्र
से बूबोनिक प्लेग फैला
जिसे ‘प्लेग ऑफ जस्टिनियन’ कहा
गया जो वहाँ से फैलते हुए एक ऐतिहासिक शहर कुस्तुनतुनिया पहुंच गया जो रोमन बाइजेंटाइन और उस्मानी साम्राज्य की राजधानी हुआ करती
थी । बाइजेंटीनी इतिहास लेखक प्रोसोपियस के अनुसार तब प्रतिदिन 10,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी ।
1312 में जब शनि ने अपने घर मकर में पांव रखा तब यूरोप से प्लेग ने वापसी की और इसके कहर से दुनिया भर में 7.5 करोड़
लोगों के मरने का अनुमान लगाया गया, जिसे ब्लैक डेथ कहा गया ।
फिर प्लेग से 1344
से 1348 के बीच भूमध्य सागर
और पश्चिमी यूरोप तक दो-तीन करोड़ यूरोपियों के मरने का अनुमान था, जो
उनकी कुल जनसंख्या का एक तिहाई हिस्सा था तब भी शनिदेव स्वराशि मकर में ही थे ।
1666 का ग्रेट प्लेग ऑफ लंदन तब एक लाख लोगों की मौत का कारण बना था जो तब
लंदन की 20 प्रतिशत आबादी थी, शनि तब भी अपनी राशि मकर में ही थे ।
19वीं
सदी के मध्य में चीन से तीसरी वैश्विक महामारी ने सिर उठाया, जिससे
केवल भारत में एक करोड़ लोगों की मौत हो गयी थी ।
1902 में अमेरिका के सैनफ्रांसिस्को से शुरू होकर वहां पहली बार प्लेग का
कहर बरपा । तब भी शनि अपनी ही गृहराशि मकर में थे ।
यहां तक कि गुजरात के सूरत में जब 1994 में
प्लेग की आफत आयी, तब भी शनि अपनी ही राशि में थे ।
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इस समय भी शनि स्वयं की राशि मकर में चक्रमण कर रहे हैं । जो अब इस
मारक महामारी का मुख्य कारक बन गया है, जिसे कोरोना वाइरस Covid-19 कहा जा रहा है । लेकिन 22 मार्च
2020 को जब मंगल शनि की राशि मकर में चरण रखेगा तब मानव सभ्यता को और अधिक बेचैन करेगा और तब वो शनि के संग युति करके इस
महामारी के साथ कोई और अप्रिय खबर लाएगा । यह योग किसी दुर्घटना के साथ प्राकृतिक
आपदा से जान-माल की हानि का संकेत दे रहा है । लेकिन 29 मार्च
2020 की शाम 7 बजकर 8 मिनट पर वृहस्पति (गुरु) का मकर राशि में प्रवेश शनि-मंगल के इस उबाल पर पानी डाल इसे ठंडा कर देगा ।
शनि-गुरु की यह युति आज के डरावने परिदृश्य में ठंडी हवा की झोंके की
तरह आएगी और इस महामारी की मारक तासीर में मरहम का रुप लेकर कमी कर पाएगी । फिर 4 मई
2020 की शाम 7 बजकर 59 मिनट पर जब मंगल शनि से मुक्त होकर कुंभ राशि में जाएगा तब विश्व
की इस नकारात्मकता में सहसा कमी आएगी और शुभ फलों में इज़ाफ़ा होगा । मई के मध्य तक
परिस्थितियाँ बदल जायेंगी । सितारों का संकेत है कि तब इस महामारी का अंत भी हो
जाएगा । लेकिन तब तक तो सावधानी ही लोगों के कष्टों में कमी का माध्यम बन पाएगी ।
जैन संत आचार्य ऋषभ विजय जी का ज्योतिष नजरिया
जो उपरोक्त जानकारी को
लगभग पुष्ट करता दिख रहा है-
यह ज्योतिषिय नजरिया है जो इस ज्ञान के अभाव में यकीनन मेरा नहीं है
लेकिन वर्तमान डरावने परिदृष्यों में फिलहाल तो राहत का संकेत देता दिखाई दे रहा
है । अब यह कितनी सत्यता साबित कर पाएगा यह तो हमें आने वाला वक्त ही बता पाएगा ।
कोरोना वायरस से बचाव हेतु |
लेकिन तब तक तो हमें हमारी सरकारें व चिकित्सा जगत से जुडे लोग जिन सावधानियों को अपने
दैनंदिनी जीवन में रखने का संदेश दे रहे है उनके बताये तरीकों से ही अपने व अपने
परिवार के जीवन को सुरक्षित रखने का प्रयास करते रहना आवश्यक है ।