1.9.11

अण्णागिरी के सुपरिणाम


          भ्रष्टाचार के खिलाफ अण्णा के अनशन को समाप्त हुए अभी एक सप्ताह भी नहीं हुआ है किन्तु जनता के दैनिक जीवन में इसके सुपरिणाम दिखने लगे हैं । इन्दौर शहर में व्यवसायी श्री संजय सिसौदिया ने जल्दी में रेल्वे स्टेशन के बाहर गलत जगह अपना वाहन पार्क कर दिया । वापसी में उनका सामना ट्रेफिक पुलिस के जवान से हुआ । ट्रेफिक कंट्रोलर ने उनसे इस गल्ति के एवज में 50/- रु. की मांग की, श्री सिसौदिया ने जब उस 50/- रु. की रसीद चाही तो ट्रेफिक कन्ट्रोलर ने रसीद के लिये उन्हें मोटे जुर्माने का भय दिखाया । श्री सिसौदिया ने उसे जवाब दिया कि मैं भले ही 500/- रु. का दण्ड भुगत लूंगा किन्तु तुम्हें 50/- रु. रिश्वत के तो नहीं दूंगा । अंततः उन्हें कोर्ट में जाकर अधिक समय व रकम का जुर्माना भरकर ही अपना ड्राईविंग लायसेंस छुडवाना पडा किन्तु सस्ते में रिश्वत देकर बच निकलने का प्रयास उन्होंने नहीं किया ।

          दूसरी घटना में एक इलेक्ट्रानिक दुकान के संचालक अपनी दुकान के 1 किलोवाट के विद्युत लोड को 3 किलोवाट करवाना चाह रहे थे जिसके लिये पिछले कई महिनों से विद्युत मंडल के कर्मचारी उन्हें टालमटोल कर धक्के खिलवा रहे थे । इस आंदोलन के बाद 67 वर्षीय ये दुकान संचालक सीधे विद्युत मंडल के अधिकारी से अपनी समस्या को लेकर मिले और उस अधिकारी ने उनका अरसे से लटका यह कार्य बगैर किसी दान दक्षिणा के तत्काल पूर्ण करवा दिया ।

          बेशक ये बहुत छोटे-छोटे घटनाक्रम चल रहे हैं किन्तु जनजीवन में भ्रष्टाचार को  बढावा देने से रोकने वाले उदाहरण इनके द्वारा शुरु होते दिखने लगे हैं । यदि जनता व शासकीय कर्मचारी अपने-अपने स्तर पर इस अभियान को ऐसी ही प्रेरणा के साथ मूर्त रुप देते चलें तो धीरे-धीरे ही सही देश में निचले स्तर पर निरन्तर बढ रहे भ्रष्टाचार में कमी लाने के सकारात्मक सुधारों की शुरुआत इनके द्वारा बनती व बढती ही जावेगी ।

          देश की बिगडी हुई भ्रष्ट व्यवस्था में आमूल परिवर्तन लाने के लिये आवश्यक भी यही लगता है कि अन्धकार से लडने के लिये ऐसा एक दीपक भी कम नहीं है इसीलिये-

एक दीपक तुम जलाओ, एक दीपक मैं जलाऊँ 
कुछ अन्धेरा तुम मिटाओ, कुछ अन्धेरा मैं मिटाऊँ

30 टिप्‍पणियां:

  1. सहमत हूँ आपकी बात से... यही तरीका है भ्रष्ठाचार को समाप्त करने का...

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  2. सही है, लोग चाहें और जीवन में शुचिता को अपना लें तो भ्रष्टाचार दुम दबा कर भागता फिरेगा।

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  3. एक दीपक तुम जलाओ, एक दीपक मैं जलाऊँ
    कुछ अन्धेरा तुम मिटाओ, कुछ अन्धेरा मैं मिटाऊँ

    बहुत ही अच्छा लिखा है

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  4. बस इसी तरह जोत से जोत जलती रहे और जहान रौशन होता रहे…………फ़र्क तो आयेगा बस वक्त लगेगा।

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  5. थोड़ा प्रयास तो सबको करना पड़ेगा।

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  6. जनता के जागृत स्‍वरूप से ही भ्रष्‍टाचार मिटेगा। लेकिन कानून की अपनी बहुत बड़ी भूमिका है।

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  7. जोत से जोत जलाते चलो भ्रष्टाचार अपने देश से मिटाते चलो /बहुत अच्छा लगा की अन्नाजी के द्वारा चलाया हुआ आन्दोलन रंग ला रहा है /लोग जागरूक हो रहें हैं /बहुत बधाई आपको इतनी अच्छी जानकारी देने के लिए /


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  8. बहुत अच्छी कामना - अच्छी प्रस्तुति के लिए बधाई तथा शुभकामनाएं !

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  9. जनता के मन में बदलाव आना ज़रुरी है ..साथ ही क़ानून व्यवस्था भी अपना काम सही से करे ..

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  10. दिया तुम जलाओ हंडा हम जलाएं
    मिलकर दुनिया को हम जगमगाएं

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  11. अन्ना जी का भी यही कहना है कि भ्रष्टाचार मिटाने के लिए हमें सबसे पहले अपने आचार-विचार को बदलना होगा. आपने अपने छोटे से आलेख में अच्छे उदाहरण प्रस्तुत किए हैं . आभार.

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  12. धीरे धीरे सब ठीक हो जायेगा मगर एक सार्थक प्रयास की आवश्यकता है |

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  13. इसी तरह हमलोगों को एकजुट होकर सामना करना होगा ......

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  14. आगाज अच्छा हें ..अंजाम भी अच्छा ही होगा --सुशिल जी

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  15. दिया, हंडा, पेट्रोमैक्स, सोलर लैंप सब कुछ जलाना चाहिए...भ्रष्टाचारी फिर भी न माने तो फिर उसे ही जला देना चाहिए....

    जय हिंद...

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  16. एक दीपक तुम जलाओ, एक दीपक मैं जलाऊँ
    कुछ अन्धेरा तुम मिटाओ, कुछ अन्धेरा मैं मिटाऊँ

    बस इसी तरह बात बनेगी

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  17. शुरुवात तो निचले स्तर से ही होने चाहिए !

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  18. सभी एक एक दीप जलायें तो दीवाली सी रोशनी हो जायेगी । बढिया उत्साहित करने वाली जानकारी ।

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  19. शपथ ले "रिश्वत न लेंगे, न देंगे " , और सिर्फ शपथ ही न ले सच्चे मन से माने भी . दिया जरूर होली बनेगा. न देश मरा है ना ईमान.

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  20. सभी का प्रयास मिलकर ही सफलता दिलाएगा...

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  21. प्रेरक घटनाएं।
    ऐसा ही सभी सोचें और करें तो परिस्थितियां जरूर बदलेंगी।

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  22. पूरे जंगल को जलाने के लिए एक चिंगारी काफी है...ये आग बुझ ना पाय इसलिए इन घटनाओं का सामने आते रहना जरुरी है...

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  23. सुंदर पोस्ट।
    बताओ..एक किलो वाट का तीन कीलो खुद ही बनाना चाहता है..उसके लिए भी टालमटोल। हद है।

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  24. जब हम कोर्ट, बिजली ऑफीस, नगर पालिका आदि मे रिश्वत देते है तो हल्ला करते है पर जब हम अपने ऑफीस मे देरी से जाते है , झूठे, बिल बनाते है तो सब भूल जाते है . पहले खुद को बदलो दहेज देना परे तो रोते हो, दहेज मिलने की कामना करते हो. मंदिर मे पहले दर्शन के लिए रिश्वत , भगवान, अधिक प्रसाद, पेसो, की रिश्वत. धरम, जाती. मित्र, खास पार्टी को वोटपर सही आदमी की जमानत जब्त ,ब्लड डोनेट नही कर सकते, अपने परिवार के सदस्या के लिए किडनी खरीदते हो,पिक्चर के टिकेट, रेल के टिकेट-ब्लैक मे?हाइयर एजुकेशन के लिए डोनेशन, रिज़र्वेशन के लिए आंदोलन, ओनर किल्लिंग बिना ज़रूरत या शान के लिया महनगी वास्तु खरीदना , महनगी शादी ज़्यादा महनगा दहेज , टॅक्स की चोरी, ग़लत कब्जा, ग़लत वहाँ खरे करना , यह सब क्या है? पहले तुम सुधरो तब दूसरा सुधरेगा फिर समाज सुधेरगा केवल अन्न जी सब नही सुधार सकते

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  25. वंदे मातरम !

    अन्नागिरी के सुपरिणाम तो उत्साहवर्द्धक ही हैं आदरणीय सुशील बाकलीवाल जी !
    बहुत बधाई ! कुछ उदाहरण हमसे बांटने के लिए …

    भ्रष्टाचारियों और तानाशाहों से मुक्ति पाने के लिए
    अब लगातार यह याद रखना है ,
    और संपर्क में आने वाले हर शख़्स को निरंतर याद दिलाते रहना है ,
    प्रेरित करते रहना है कि चुनाव के वक़्त सही आदमी को वोट देना है …
    और
    मतदान आवश्यक कार्य मानते हुए
    पूरे दायित्व तथा समझ के साथ सही व्यक्ति/सही पार्टी को वोट देना है !

    …अन्यथा अन्ना की दिलाई इस विजय को मिट्टी में मिलाने के दोषी आप-हम ही होंगे …

    और रास्ता यही है -
    एक दीपक तुम जलाओ , एक दीपक मैं जलाऊं !

    आपको सपरिवार
    बीते हुए हर पर्व-त्यौंहार सहित
    आने वाले सभी उत्सवों-मंगलदिवसों के लिए
    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  26. ये सच है अन्ना ने रौशनी दिखा दी है ... अब लो आगे हमें ही ले जानी है ...

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  27. थोड़ा थोड़ा प्रयास तो सबको करना पड़ेगा।
    बहुत प्रेरक घटनाएं।

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  28. जी हॉं, लोग खाते हैं क्‍योंकि हम खिलाते हैं। टीवी पर एक विज्ञापन की लाइन भी यही कहती है। हम समस्‍या से निजात तो पाना चाहते हैं, पर उसके लिए कोई तकलीफ नहीं उठाना चाहते। तकलीफ तो उठानी ही पड़ेगी तभी समस्‍या का निराकरण हो सकेगा।

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आपकी अमूल्य प्रतिक्रियाओं के लिये धन्यवाद...

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