12.12.10

प्रेरक प्रसंग- दरियादिली


           अभी कुछ ही समय पहले की बात है हमारे सोशल-ग्रुप के एक पूर्व मित्र जिनके परिवार में उनकी वृद्धा माताजी के अलावा पत्नि, एक पुत्र (उम्र लगभग 20वर्ष), एक पुत्री (उम्र लगभग 16-17वर्ष) और वे स्वयं इस प्रकार पूरे परिवार के पांचों सदस्य उनके कुल देवता के मंदिर के दर्शन करने घर से मन्दसौर के पास किसी स्थान की यात्रा पर क्वालिस गाडी से रवाना हुए ।

       रात्रि में करीब 11-30, 12बजे के लगभग बदनावर के आस-पास अचानक दिखे एक स्पीड-ब्रेकर पर ड्राईवर के कन्ट्रोल करते-करते भी गाडी पल्टी खा गई । जिसमें बाकि सभी सदस्य तो मामूली चोट-खरोच के दायरे में आकर बच गये किन्तु उनके उस युवा पुत्र को शरीर में अन्दरुनी तौर पर ऐसी कोई गम्भीर चोट लगी कि अधमरी स्थिति में अस्पताल लाने तक वह जीवित होते हुए भी ब्रेनडेड की स्थिति में लगभग मृत स्थिति में दिखाई देने लगा । पेशेन्ट को उस स्थिति में देखकर उपचार कर रहे डाक्टरों ने उन्हें बता भी दिया कि हम चाहे जितनी कोशिशें करलें किन्तु आपके पुत्र को बचा नहीं पावेंगे । घन्टे, दो घन्टे या इससे थोडा कुछ अधिक समय और भले ही निकल जावे किन्तु मृत्यु तो लगभग इनकी हो चुकी है ।

.     अचानक हुए दुःख के इस भीषण वज्रपात के बावजूद उन मित्र दम्पत्ति ने पूरे साहस के साथ इकलौते पुत्र के मोह से उबरकर अपने एक शुभचिन्तक डाक्टर से सलाह और विचार-विमर्श के बाद शीघ्र निर्णय लेते हुए अपने उस मृत पुत्र की दोनों आंखेंदोनों किडनी और पूरे शरीर की त्वचा को (गम्भीर रुप से जले हुए रोगियों के उपचार के लिये) अस्पताल को दान देने का निर्णय लिया और समस्त औपचारिकताओं की तत्कास पूर्ति करके मानवता के लिये प्रेरणास्पद मिसाल कायम करते हुए अपने उस सर्वाधिक शोकाकुल समय में भी ये पुनित दान देकर लगभग विभत्स अवस्था में उस मृत पुत्र के त्वचा रहित शव को लाकर उसका अन्तिम संस्कार किया ।

48 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छा सन्देश देता हुआ संमरण ताकि लोग कुछ सीखे कि इन्सान और इंसानियत क्या है!

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  2. दुःखों के ऐसे भीषण आवेग के समय भी पीडित मानवों के प्रति ऐसी सोच रखते हुए इस प्रकार का दान देना वाकई दरियादिली की श्रेष्ठतम मिसाल है ।

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  3. ओह‍ ऐसी विकट परिस्थिति में भी समाज के प्रति कर्तव्‍यबोध निश्चित ही व्‍यक्ति को स्थितप्रज्ञ बनाता है।

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  4. सुनिलजी,
    सुश्मिताजी,
    समय निकालकर इसे पढने व इस पर अपनी टिप्पणी देने के लिये आपको धन्यवाद.

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  5. उन्हों ने आज के हैबानियत की दुनियां को इंसानियत का पाठ पढाया है| हम उनको नमन करते हैं|

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  6. अजीतजी,
    ऐसी विकट परिस्थितियां ही शायद सामान्यजन के समक्ष ये सच्चाई सामने ला पाती हैं कि कोई व्यक्ति अन्दर से कैसा है.

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  7. बेहद दुखद घटना , प्रेरणास्पद मोड़ । ईश्वर सबको अच्छी मती दें , प्रार्थना है । "खबरों की दुनियाँ"

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  8. समाज के आगे, बज्रपात के बावजूद, गज़ब का अनुकरणीय उदाहरण रखा है इन लोगों ने ! निस्संदेह यह लोग बंदनीय है सुशील भाई !

    मात्र सूचना के लिए बता दूं कि मैं अपोलो हॉस्पिटल में, अपना शरीर दान कर चूका हूँ एवं नियमित रक्तदाता हूँ ! शायद इस तरह किसी के काम तो आ रहे हैं !

    इस परिवार को मेरा नमन अवश्य पंहुचा दें

    सादर

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  9. आपके ब्लॉग को फालो करने का दिल है... कैसे करूँ ?? फालोवर लिस्ट लगाइए सर

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  10. ओह! इतनी विकट परिस्थिति मे भी ये हौसला बनाये रखना बडे जीवट का काम है…………इससे बडी इंसानियत की मिसाल और क्या होगी।

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  11. इतना बड़ा दिल का होना भी कमाल की बात है. आज के युग मैं ऐसे लोग कहां मिलते हैं.

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  12. भाई सतीषजी,
    मैं निरोगधाम पत्रिका का नियमित पाठक रहा हूँ और 7-8 वर्ष पूर्व किसी व्यक्ति ने मृत्यु के समय मेडिकल स्टुडेन्ट्स के उपयोग हेतु देहदान की खानापूर्ति स्वयं अपने हाथों सम्पन्न कर ही अन्तिम सांसें ली थी । तब उन सज्जन को इस पत्रिका के स्वर्गीय संस्थापक श्री प्रेमदत्तजी पांडेय ने 'भागीरथ' की उपमा से नवाजते हुए उनका वंदन किया था ।
    बेशक बाद में ये उदाहरण और भी देखने में आए हैं किन्तु अभी भी उनकी संख्या उंगलियों पर गिन लेने लायक ही है, ऐसे में यदि आपने भी देहदान का संकल्प ले रखा है तो निश्चित ही आप भी उन्हीं महादानी शख्सियतों में शुमार होंगे जिन्होंने मानवता व समाज के समक्ष अतुलनीय उदाहरण प्रस्तुत किये हैं । कृपया मेरी ओर से भी साधुवाद स्वीकार करें ।
    ब्लाग में समर्थक सूचि मौजूद है और अभी ही सुश्री वन्दनाजी भी उस सूचि में शामिल हुई हैं जिसके लिये मैं उन्हें भी धन्यवाद देना चाहता हूँ ।

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  13. ajit guptaji,
    Patali-The-Village,
    श्री उदयजी,
    श्री मिश्राजी,
    आपका आभार, इस प्रसंग को इन्सानियत के श्रेष्ठतम उदाहरण के रुप में देखकर अपनी सार्थक राय व्यक्त करने के लिये.

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  14. वन्दनाजी,
    आभार आपका, आप न सिर्फ मेरे अनुरोध पर यहाँ उपस्थित हुईं बल्कि आपने मेरे ब्लाग को अपना अमूल्य समर्थन भी दिया । आपको पुनः धन्यवाद...

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  15. श्री एस. एम. मासूम साहेब,
    आपकी बात काटने की गुस्ताखी करना चाहता हूँ कि आज के युग में ऐसे लोग कहाँ मिलते हैं. सरजी ये आज के युग के ही लोगों के बारे में हम बात कर रहे हैं और इन दम्पत्ति ने इतना बडा दिल रखकर उस कठिन घडी में ये फैसला लिया इसीलिये तो हम यहाँ इनकी चर्चा कर रहे हैं । वर्ना क्षणिक आवेश में किसी के बच्चे को छिनकर चलती ट्रेन से बाहर फेंक देने जैसे हैवानों के भी दर्शन हम यदा-कदा कर ही लेते हैं ।

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  16. बहुत ही अच्छा संस्मरण प्रंसग बताया हैं आपने पढ़कर बहुत अच्छा लगा
    हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

    मालीगांव
    साया
    लक्ष्य

    हमारे नये एगरीकेटर में आप अपने ब्लाग् को नीचे के लिंको द्वारा जोड़ सकते है।
    अपने ब्लाग् पर लोगों लगाये यहां से
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  17. इस महान कार्य करने वाले व्यक्ति के प्रति श्रद्धा से सिर नत है। प्रेरक प्रसंग।

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  18. थुत दुखद मगर प्रेरक प्रसंग है। नत मस्तक हैं ऐसे महान परिवार के आगे
    । धन्यवाद।

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  19. bahut marmik prasang par saath me ek manawata ke liye kiya gaya purnya kaam . achi post.

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  20. प्रेरक प्रसंग .....ऐसे परिवार के प्रति नतमस्तक हूँ ....

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  21. बहुत प्रेरणा दायक परसंग बताया सुशील जी कोई देव मानव ही इतनी विकत परीस्थीती में ऐसा निर्णय ले सकता हे |

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  22. वाकई दुखद तो है ही परन्तु प्रेरणास्पद भी है,
    ऐसी सार्थक रचना के लिए बहुत - बहुत बधाई

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  23. सुशील जी,
    मानव सेवा की ऐसी मिसाल बहुत कम मिलती है !
    आपकी पोस्ट लोगों के लिए निश्चय ही प्रेरणा पुंज है !
    धन्यवाद
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  24. सुशील जी,

    बहुत हौसले का काम है....मेरा सलाम उन माता-पिता को.....

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  25. मनोजजी,
    मोहसिनजी,
    निर्मला कपिलाजी,
    इस परिवार के प्रति नत-मस्तक होने की आपकी भावना सराहनीय है । इस घटनाक्रम के समय न सिर्फ हमारे सोशल ग्रुप के द्वारा बल्कि समाचार-पत्रों के द्वारा भी इस दम्पत्ति के इस त्यागमयी भावना की चहुँओर मुक्तकंठ से प्रशंसा हुई थी ।

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  26. डा मोनिकाजी,
    सुश्री संगीताजी
    श्री मनजी,
    श्री दीपजी,
    श्री ज्ञानचंदजी,
    भाई इमरानजी
    आप सभी का आभार. उम्मीद है कि ऐसे कठिन समय में भी इन दम्पत्ति द्वारा लिया जाने वाला ऐसा मानवतावादी निर्णय जीवन की कठिन परिस्थितियों में हम सभी का भी मार्गदर्शन करेगा ।

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  27. आपका ब्लॉग बहुत पसंद आया है !
    बहुत सच्ची बातें कहीं हैं आपने
    आपका हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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  28. सुशील बाकलीवाल जी
    धन्यवाद दिल से ...

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  29. वाकई अनुकरणीय फैसला है। मेरा उन माता-पिता को मेरा दिल से सलाम...उनका बेटा तो अब भी जीवित है...किसी और के मुस्कुराते जीवन में वो भी एक नहीं कई के...कितने जीवन को खुशी दिलाई उन्होने.....हैट्स ऑफ
    आपका ब्लॉग फॉलो कर रही हूं
    यहां भी जरूर आइए...

    http://veenakesur.blogspot.com/

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  30. वाकई अनुकरणीय फैसला...उस गम में भी ये याद रहा ....उनका बेटा कहीं नहीं गया कितने ही लोगों को जीवन देकर मुस्कुरा रहा है...

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  31. बहुत ही सराहनीय व प्रेरणादायक कार्य. जीतनी भी तारीफ की जाये वह कम है. उस माता पिता को सलाम..

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  32. dil bhar aaya sir...aisa mat likha keejiye...ro dene ko dil karta hai...

    salaam aise logon ko....sach, kis mitti se banaata hai khuda inhe..

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  33. बेहद प्रेरणादायी प्रसंग ! विरले ही होते हैं ऐसे निस्स्वार्थ लोग।

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  34. अनुकरणीय परंतु बहुत कठिन एवं कठोर उदाहरण। ऐसे परिवार को नमन।

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  35. बाकलीवाल जी,
    आपको साधुवाद कि आपने इस प्रेरक प्रसंग को पोस्ट किया...यह आपकी गुणग्राहकता का प्रमाण तो है ही, साथ ही समाज में सद्‍वृत्ति-प्रसार की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है...मैं धन्य हुआ---आपके ब्लॉग पर आकर!

    यह आँकलन करने की आदमक़द कोशिश कर रहा हूँ कि उस पिता का कितना बड़ा कलेजा होगा जिसने दुःख की दारुण बेला में ऐसा समाजोपयोगी निर्णय लिया...मेरा नमन्‌ उन्हें...दधीचि की यह धरती धन्य है!

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  36. बहुत ही प्रेरणास्पद एवं साहसिक निर्णय था या..दुख की उस भीषण घड़ी में उन्होंने जो निर्णय लिए वे नमन योग्य हैं. ईश्वर उनके दिवंगत पुत्र की आत्मा को शांति दे

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  37. धरती में ऐसा मानव भी रहता है!
    सहसा विश्वास नहीं होता है।
    ....उन्हें मेरा प्रणाम पहुंचे।

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  38. Sach kahoon to ye ek aisa udaharan hai jiske baare me saadharan vyakti karne ka soch bhi nahin sakta.. shat-shat naman un dev tulya maanas ko

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  39. मार्मिक किंतु पेरणाप्रद प्रसंग।...काश इसी तरह की सोच सब लोगों की हो जाए।

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  40. प्रेरणा देती अहिं ऐसी बातें बहुत ही ... अच्छा किया जो आपने इसे लिखा ..

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  41. ऐसी परिस्थिति में भी ऐसा कार्य करना अपने आप में महान है और ऐसी मिसाल दुर्लभ है !

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आपकी अमूल्य प्रतिक्रियाओं के लिये धन्यवाद...

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