मेरा मोबाईल फोन डेमेज हो जाने के कारण 14 दिसम्बर को मैं नोकियाx2 मोबाईल इसलिये खरीद लाया कि इसका कैमरा 5 मेगापिक्सल का पावर दिखा रहा था और इसमें हिन्दी साफ्टवेयर के साथ आपेरा मिनी भी प्रीलोड था । इस मोबाईल फोन के लिये कीमत जो मैंने चुकाई वह थी 4900/- रु., डोकोमो की सिम होने के कारण 95/- रु. का 6GB लोडिंग केपेसिटी का 30 दिन की वेलेडिटी वाला नेट कनेक्शन लगे हाथ इसमें एक्टिवेट करवा लाया ।
दो दिन बाद ही मुझे मेरी भतीजी की लडकी की शादी में शामिल होने के लिये मालेगांव होते हुए पूना जाना था जिसमें मेरी उपस्थिति 17 दिस. से 20 दिसम्बर तक लगातार वहाँ रुकने की तय थी । कुल मिलाकर ब्लागवुड से पूरी तरह से दूर रहने की सिचुएशन थी । जबकि "नये मुसलमान अल्लाह ही अल्लाह" की तर्ज पर दिमाग इधर ज्यादा केन्द्रित था ।
तब वहाँ इसी मोबाईल ने ब्लागजगत से मेरी कनेक्टिविटि किस प्रकार बनाए रखी यह अनुभव मैं सभी पाठकों की जानकारी में लाना चाहता हूँ-
* मिनी फोन व मिनी साफ्टवेयर होने के कारण बडे चिट्ठे इससे नहीं खुल रहे थे किन्तु मेरा डेशबोर्ड लगातार खुल रहा था जिसके कारण मेरे तीनों ब्लाग्स की करण्ट सिचुएशन हर समय मेरी जानकारी में बनी रही जैसे कौन नया फालोअर्स किस ब्लाग में जुडा, किस ब्लाग में कौनसी नयी टिप्पणी जुडी और किस ब्लाग में किस दिन कितने पाठक बढे ।
* चूंकि डेशबोर्ड लगातार खुल रहा था तो वे सभी ब्लाग्स जिन्हें मैंने फालो किया हुआ था उनमें कब कौनसा नया चिट्ठा शामिल हो रहा है निरन्तर मेरी जानकारी में चल रहे थे । यदि फाईल कम लोड की थी तो वो चिट्ठा भी मैं सरलता से पढ पा रहा था । चिट्ठे जो उस दरम्यान इस फोन पर मैं बगैर किसी बाधा के पढ सका उनमें मुख्य रहे-
श्री देवेन्द्र पाण्डेय का- ऐसा क्यों होता है,
सुश्री वन्दनाजी का- ये प्रेम के कौनसे मौड आ गये,
श्री सतीशजी सक्सेना का- ब्लोगवाणी संचालकों को एक पत्र , एक अनुरोध के साथ,
श्री काजल कुमारजी का नुक्कड पर- आप ब्लागर हैं ! तो यह जानकारी आपको भी होनी ही चाहिये,
श्री खुशदीपजी सहगल का- मुर्गे को गुस्सा क्यों आता है...,
ZEAL पर- आप कल भी साथ-साथ थीं,आप आज भी करीब हैं. श्री श्याम कोरी 'उदय' का- चमत्कारी सिक्के : लालच का फल,
श्री रवीन्द्र प्रभातजी का नुक्कड पर- पर्यावरण के प्रति चेतना जागृत करने हेतु आगे आएं ब्लोगर,
सुश्री बीनाजी का नुक्कड पर- ये चुप्पी कब टूटेगी ? और
श्री ज्ञानचंदजी मर्मज्ञ की कविता- आतंकवाद :भाग- 4.
ये सभी लेख मैंने पूना की होटल में शादी के बीच की फुर्सत के दरम्यान न सिर्फ पढ लिये बल्कि श्री काजल कुमारजी का नुक्कड पर- आप ब्लागर हैं ! तो यह जानकारी आपको भी होनी ही चाहिये और सुश्री बीनाजी का नुक्कड पर- ये चुप्पी कब टूटेगी ? लेख पर अपनी प्रतिक्रियास्वरुप इसी मोबाईल से टिप्पणी भी लिखकर पोस्ट कर दी जो 19 दिसम्बर को इनके इस लेख पर प्रकाशित भी हो गई ।
* प्रत्येक वह फाईल जो लगभग 100KB क्षमता के दायरे में रही उस तक पहुँचने में इस मोबाईल की मदद से कोई रुकावट नहीं आई । बडी फाईलें अलबत्ता ये नहीं खोल पाया । ई-मेल और फेसबुक सम्पर्क में भी कोई बाधा नहीं रही । अपना टेलीकाम सर्कल बदल जाने के बाद भी इस नेट कनेक्शन से जुडे रहने के लिये डोकोमो ने मेरे टाकिंग बेलेन्स में भी पैसे कहीं नहीं काटे ।
* अलबत्ता नोकिया जैसी सुप्रतिष्ठित कंपनी किस आधार पर इसके केमरे को 5 मेगापिक्सल बता रही है यह समझ में नहीं आया क्योंकि फोटो क्वालिटी 2 मेगापिक्सल के मोबाईल से अधिक बेहतर नहीं लगी ।
फिर भी यह जानकारी आप तक पहुँचाने का मेरा उद्देश्य यही रहा है कि न्यूनतम लागत में छोटे पैमाने पर ये ऐसा चलता-फिरता जेब में रखा कम्प्यूटर ब्लागवुड के चाहने वालों के लिये साबित हो सकता है जिसकी मदद से हम अपने कम्प्यूटर या लेपटाप के बगैर भी पूरे देश में जहाँ हैं वहीं इस ब्लाग जगत से जुडे रह सकते हैं ।