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अचानक
अगले एक प्रवास में उनके यहाँ वह लडकी नहीं दिखाई दी । पूछने पर
पता चला कि उसने तो शादी करली । बडा आश्चर्य हुआ कि कुल जमा 15 वर्ष की भी उसकी
उम्र नहीं थी और शादी करली ? कोई
खबर भी नहीं हुई । तो मालूम पडा कि शादी उसने
स्वयं घर से भागकर की इसलिये पूर्व खबर जैसी कोई संभावना थी ही नहीं ।
बात आई-गई हो गई, हम
अपने काम-धंधे में लग गये । संयोगवश अगले वर्ष फिर
बम्बई जाना हुआ । अब वो लडकी भी घर पर दिख रही थी और दो-पांच माह
का एक नवजात शिशु भी जो उसी लडकी का था उस घर में दिखाई दे रहा था । उस
समय का वो बम्बई प्रवास लगभग एक सप्ताह का था और रोजाना उनके घर का चक्कर
अनिवार्य रुप से लग रहा था । करीब-करीब सभी दिन वो लडकी और उसका नवजात शिशु
घर पर ही दिखते, किन्तु
कभी भी उस शिशु के पिता याने उस लडकी के पति को देख पाने का
मौका नहीं मिला । मैंने जब इस बारे में अपने बडे भाई से पूछा तो
पता चला कि वो तो कभी का उस लडकी को छोड भागा और ये लडकी तो अब स्थाई रुप
से अपने मां-बाप के पास अपने उस बच्चे के साथ ही रहती है । भले ही वहाँ के
माहौल में सामाजिक प्रतिष्ठा जैसा कोई सरोकार न रहा हो किन्तु उस गरीब
परिवार में गरीबी में आटा गीला होने वाली स्थिति तो पूरी तरह से और स्थाई रुप
से बढी हुई समस्या के रुप में सामने दिखने लगी । मैं बस अवाक् ही रह गया ।

कुछ समय
बाद वहाँ भी वही स्थिति सामने आई कि जिस भी लडके से उसने शादी की वो कहाँ
गया मालूम नहीं । लडकी लेकिन फिर से अपने मां-बाप के साथ उनके घर में स्थाई
रुप से रहती दिख रही है । यहाँ एक बात जो गनीमत के रुप में दिखी वो ये
कि इस लडकी के साथ कोई नवजात शिशु नहीं जुडा ।
अभी दिनांक 24-01-2011 को अपने इसी ब्लाग की पोस्ट एक समाचार - एक विचार में मैंने इस खबर का भी उल्लेख किया था कि होटल के सेक्स रैकेट में पुलिस द्वारा पकडी गई 7 युवतियों में एक लडकी हायर सेकन्ड्री की छात्रा थी । याने-
बात इस उम्र के नौनिहालों द्वारा स्वयं शादी का आवरण
ओढाकर इस आवश्यकता की पूर्ति करते हुए या प्रेम सम्बन्धों की आड में
एकान्त में इस सुख का चोरी-छुपे लाभ उठाते हुए या फिर और कोई माध्यम न
जुडने पर देह-व्यापार के घिसे हुए खुर्राटों के चंगुल में फंसकर ही इस सुख
को पाने का प्रयास करते हुए इन्हें देखा जावे किन्तु टी.वी., इन्टरनेट जैसे दृश्य मीडिया के खुलेपन के इस वातावरण में यह तो दिखने लगा है कि या तो बच्चों को संस्कारित
रुप से इतना मजबूत रखने के शुरु से प्रयास उनके पालकों
द्वारा किये जावें कि वे गुण-दोषों के आधार पर स्वयं को ऐसे कमजोर कर सकने
वाले क्षणों में मजबूती से बचा पावें जो कि असम्भव नहीं तो भी वर्तमान
माहौल में अत्यधिक कठिन दिखता है ।
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कैसी भी विपरीत परिस्थिति में हमेशा हमारा मददगार – माय हीरो.
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तो क्या उनकी वयस्कता की उम्र का नये सिरे से आकलन
किया जाए व यदि आवश्यक लगे तो सामाजिक रुप से उनका समय पूर्व ही विवाह करवा दिया जाए जिससे कि इस किस्म के
स्व-निर्णय से किये गये विवाह के बाद ये लडकियां वापस अपने मां-पिता के घर स्थाई रुप से बोझ बनकर न आ पावें
।