पिछले कुछ समय से अपनी उन व्यापारिक गतिविधियों में व्यस्त हो जाने के कारण जिनसे संयोगवश पहले अपने छोटे पुत्र के विवाह फिर मकान बदलने की प्रक्रिया में अपना 35 वर्ष पुराना मकान बेचकर नया मकान बनवाने की मशक्कत और उसके तत्काल बाद इस हिन्दी ब्लाग जगत से जुडाव के कारण 2 वर्ष की लम्बी अवधि से मैं पुरी तरह से विमुख हो गया था उसमें नये सिरे से स्वयं को व्यस्त करने की चाहत के चलते मेरी व्यस्तता उस दिशा में ऐसी बनती चली गई कि चाहते हुए भी मैं इधर समयानुसार अपनी नियमित उपस्थिति दर्ज नहीं करवा पाया ।
ब्लागिंग का यह क्षेत्र भी दिमागी एकाग्रता से ही चल पाना सम्भव हो पाता है और यदि दिन भर शरीर और दिमाग कहीं और व्यस्त हो जावे तो इधर भी अपनी ईमानदार उपस्थिति कैसे दर्शाई जा सकती थी ? समय प्रबन्धन की कला में मैं शायद कभी भी पारंगत नहीं रहा इसीलिये जहाँ भी देखा तवा-परात वहीं बितादी सारी रात की ही तर्ज पर जहाँ भी मैं रहा पूरी तरह से वहीं का होकर रह जाना ही मेरी फितरत बनती चली गई । इसी दौर में हमारे सामाजिक पर्वों की श्रृंखला की व्यस्तताएँ भी जुडती गई जिसके चलते पिछले पन्द्रह-बीस दिनों से तो मेरे ई-मेल अकाउन्ट पर फेस-बुक की ओर से भी गैरहाजिरी के नोटिफिकेशन मुझे हर दूसरे दिन बार-बार मिलते रहे । इसी अवधि में सम्माननीय श्री अनूप शुक्लाजी और सबके जन्मदिन की चिंता रखने वाले श्री बी. एस. पाबलाजी के जन्मदिन भी आकर गुजर गये जिन पर मैं अपनी ओर से उन्हें शुभकामनाएँ भी नहीं दे पाया जिसका अफसोस अब अगले 365 दिनों तक तो रहना ही है ।
अतः इस पोस्ट के द्वारा मैं इस ब्लागवुड के अपने उन सभी मित्रों को सिर्फ यह कारण बताने का प्रयास ही कर रहा हूँ जिनके मन में मेरी इस लम्बी गैरहाजिरी को लेकर नाना प्रकार के कयास चलते रहे हैं । अभी भी मैं यह तो नहीं कह सकता कि अब से मैं प्रतिदिन पूर्व के समान ही अपनी उपस्थिति यहाँ नियमित रुप से दर्शाता रह सकूँगा लेकिन चूंकि अब व्यापार क्षेत्र में भी इस अवधि में कुछ तो गाडी पटरी पर आ ही चुकी है इसलिये ईमानदार कोशिश के द्वारा यहाँ भी अपनी मौजूदगी की अल्पकालीन ही सही नियमितता बनाये रख सकूँ ऐसी कोशिश अवश्य करता रहूँगा ।
शेष आप सभीके स्नेह और शुभकामनाओं की चाहत के साथ...