इस ब्लागवुड में नये-पुराने, छोटे-बडे, गद्य-पद्य सभी प्रकार के चिट्ठाकारों की एक चाह जो शिद्दत से उभरकर सामने आते दिखती है वो ये कि मेरे आलेख के नीचे चारों दिशाओं से टिप्पणियों की भरपूर फसल लहलहाते दिखे । चिट्ठाकार इसके लिये जहाँ खडा है वहीं पूरी जागरुकता से विषय तलाश रहा है । कुछ ज्यादा जागरुक लेखक तो जैसे जब भी अपने कम्प्यूटर से अलग हटते होंगे तो तत्काल केमरा भी उनके साथ चल रहे जरुरी सामान यथा पर्स, चाबी, चश्मा, रुमाल जैसी एक अनिवार्य आवश्यकता के रुप में साथ लग लेता होगा कि विषय के साथ ही चित्र भी तत्काल लपेटे में आ जावे तो सोने में सुहागा । क्या पता कब ऐसा चित्र ही मिल जावे कि बगैर किसी लेख की मेहनत के ही टिप्पणियों का जलजला हमारे लिये लेता आवे और माफी चाहते हुए निवेदन करना चाहूँगा कि मैं भी कोई इस चाहत से अलग नहीं हूँ ।
तो मेरी व ऐसे सभी चिट्ठाकारों के लिये मेरे मस्तिष्क में एक झकझकी कुलबुला रही है जिसे मैं यहाँ परोसना चाह रहा हूँ । सभी विद्वजनों से निवेदन है कि इसे कविता समझने की गल्ति ना करें क्योंकि मेरे परम आदरणीय स्व. पिताजी सहित मेरे काका, ताऊ और उनके सभी वंशज जहाँ तक मेरी नजरें जा सकती है जिसमें अपनी कल्पना भी जोड दूँ तो मेरी सात पुश्तों ने आज तक कभी कविता नहीं की, तो मेरा तो प्रश्न ही नहीं बचता । हाँ इस चिट्ठा-जगत की सोहबत में कभी मैं तुकबन्दी भिडाना चालू करदूँ और मुझसे बाद की पीढियों के लिये ये मार्ग प्रशस्त हो जावे तो जुदा बात है । फिलहाल तो आप मेरी इस झकझकी से ही काम चलालें-
एक बात और साहित्य में प्रेरणा कहीं से भी ली जा सकती है फिर भी इस झकझकी को शुरु करने के पहले मैं इस ब्लागवुड के परम आदरणीय भीष्म-पितामह को विशेष रुप से नमन करते हुए उनसे क्षमा या आशीष अवश्य चाहूँगा । निवेदन है-
ऐसा ज्ञान कहाँ से लाऊँ,
टिप्पणी से समृद्ध जो करदे,
वो आलेख कहाँ से लाऊँ.
छपते ही वाहवाही करलें
वो पाठक मैं कहाँ से लाऊँ.
टिप्पी जो लेखक को पसन्द हो
वो अल्फाज कहाँ से लाऊँ.
शेअर से पैसा जो जुटाए
ऐसी टिप्स कहाँ से लाऊँ
बैठे-बैठे खर्च चल सके,
ऐसा काम कहाँ से लाऊँ
घर में सबको सदा सुहाए
वो व्यवहार कहाँ से लाऊँ,
खेमेबाजी में भी घुस सकूँ
वो चमचाई कहाँ से लाऊँ
टिप्पणी से समृद्ध जो करदे,
वो आलेख कहाँ से लाऊँ.
चिट्ठे जो सब पसन्द कर सकें
टिप्पी जो लेखक को पसन्द हो
वो अल्फाज कहाँ से लाऊँ.
शेअर से पैसा जो जुटाए
ऐसी टिप्स कहाँ से लाऊँ
बैठे-बैठे खर्च चल सके,
ऐसा काम कहाँ से लाऊँ
घर में सबको सदा सुहाए
वो व्यवहार कहाँ से लाऊँ,
खेमेबाजी में भी घुस सकूँ
वो चमचाई कहाँ से लाऊँ
टिप्पणी से समृद्ध जो करदे,
वो आलेख कहाँ से लाऊँ.
चिट्ठे जो सब पसन्द कर सकें
ऐसा ज्ञान कहाँ से लाऊँ,