16.8.13

इसके बारे में क्या ख्याल है ?

                   
        जबसे रुपये के इस नये व उपर से कटे हुए गलत वास्तु प्रतीक चिन्ह को शासकीय स्तर पर मान्यता प्राप्त हुई है तबसे न सिर्फ डालर बल्कि दुनिया भर की उल्लेखनीय करंसी की तुलना में भारतीय रुपये का अस्तित्व घटता व कटता ही चला जा रहा है, जो रुपया 5-7 वर्ष पूर्व 39 रुपये = 1 डालर चला करता था वह इस नये प्रतीक चिन्ह के बाद तो पूरी तेजी से फिसलते हुए 62 रुपये = 1 डालर तक आ चुकने के बाद भी लगातार नीचे की ओर लुढकता ही चला जा रहा है, तो क्यों न इस देश के नीति-निर्धारक कर्णधारों को अपने इस पूर्व फैसले पर पुर्निवचार करते हुए इस चिन्ह की मान्यता को तत्काल प्रभाव से समाप्त करके रुपये को इसके पूर्व की स्थिति के मुताबिक ही पुनः परिवर्तित कर देना चाहिये ?

        विशेष जानकारी – पिछले करीब डेढ महिने से ज्योतिष ज्ञान में अपनी रुचि जाग्रत होने और इन्दौर शहर के वयोवृद्ध ज्योतिष आचार्य पं. आर्यभट्ट कलशधर शास्त्री (80 वर्षीय) का सानिंध्य मिल जाने के कारण वर्तमान में मेरा अधिकांश समय ज्योतिष विद्या के गूढ ज्ञान की प्राप्ति में व्यतीत हो रहा है और ब्लाग जगत से मैं इसीलिये फिलहाल करीब-करीब अनुपस्थित दिख रहा हूँ ।

      निश्चय ही कुछ और समय स्थिति ऐसे ही चलती दिखेगी पश्चात् आपके समक्ष अपनी पूर्व सक्रियता को जीवंत बनाते हुए यथासंभव एक और नये ज्योतिष ब्लाग के साथ आपको फिर से दिखाई दूंगा और तब तक भी गाहे-बगाहे आपके समक्ष आता दिखता तो रहूंगा ही ।

     अतः क्षमापना के साथ ही आप सबके प्रति धन्यवाद सहित..





     


   

7 टिप्‍पणियां:

  1. सुशील जी , वैसे मेरा ज्योतिष या वास्तु ज्ञान कमजोर है , लेकिन आपने रूपये के कटे चिन्ह के कारण उसकी गिरती स्थिति को बताया है ...तो मेरी जानकारी अनुसार डॉलर, यूरो , येन आदि के चिन्ह भी तो कटे हुए है , तो उनका भी अवमूल्यन होना चाहिए था ?
    चिन्ह से ज्यादा महत्वपूर्ण व्यवस्था को नियंत्रित करने वाले लोग अधिक जिम्मेदार है . जरा उनकी कुंडली जरुर देखिएगा .
    सादर

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  2. न जाने किसका प्रभाव पड़ गया हमारे रुपये पर।

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  3. इस नये रूप में पढेंगे फिर आपका ब्लॉग । रुपये की कमजोरी तो सरकार की कमजोरी है ।

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  4. आपके ब्लॉग को ब्लॉग एग्रीगेटर "ब्लॉग - चिठ्ठा" में शामिल किया गया है। सादर …. आभार।।

    कृपया "ब्लॉग - चिठ्ठा" के फेसबुक पेज को भी लाइक करें :- ब्लॉग - चिठ्ठा

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  5. मुख्य कारण तो गलत आर्थिक नीतियाँ है ।

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  6. नये ब्लॉग की प्रतीक्षा है।

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आपकी अमूल्य प्रतिक्रियाओं के लिये धन्यवाद...

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