दीपावली महोतसव की आज धनतेरस से शुरुआत हो चुकी है और
आज से लगाकर भाई-दूज तक सभी हिन्दू धर्मावलंबी अपने-अपने घरों को अपनी सामर्थ्य अनुसार दीपक की रोशनी से सुसज्जित कर रहे होंगे । इस अवसर पर मैं
आपका परिचय एक ऐसे सुमंगल दीपक से करवाना चाह रहा हूँ जिसका प्रयोग आप अपने घर में साल के 365 ही दिन नियमित रुप से यदि कर सकें तो सामान्य मान्यता
के अनुसार आपके घर-परिवार में सुख-शान्ति व सफलता सदा बरकरार रहते हुए घर के सभी सदस्य अनावश्यक बीमारियां, मानसिक तनाव,
असन्तोष और आर्थिक
समस्याओं से बहुत हद तक बचे रह सकते हैं ।
इस सुमंगल दीपक की जानकारी निरोगधाम पत्रिका में
दिल्ली निवासी वास्तुविद पं. गोपाल शर्माजी के द्वारा करीब 10 वर्ष पूर्व प्रकाशित हुई थी जो इसकी उपयोगिता के अनुसार आपके लिये प्रस्तुत करने
का प्रयास कर रहा हूँ । इनकी इस जानकारी के अनुसार-
नीचे लिंक पर क्लिक कर ये उपयोगी
जानकारी भी देखें... धन्यवाद.
एक कांच या चीनी मिट्टी
का लगभग 5"
6" इंच व्यास का कटोरा लें
और उसे आधे
से कुछ अधिक पानी से
भरदें । अब इसमें कांच का एक गिलास उल्टा करके इस प्रकार से रख दें कि वह छोटे दीपक के लिये एक
स्टेन्ड सा बन जावे और फिर उसके उपर एक छोटा कटोरा कांच का लेकर उसमें घी, तेल या मोम अपनी सामर्थ्य अनुसार भर कर उसमें रुई की सामान्य बत्ती
बनाकर लगा दें । अब उस बडे कटोरे के पानी में लोहे के कुछ छर्रे जो साईकिल की दुकान पर या बाल बेरिंग की दुकान पर उपलब्ध हो सकते हैं उन्हे इसमें डाल
दे । कांच की कुछ गोटियां
(बच्चों के खेलने की) भी
इसी पानी में डाल दे और अन्त में एक फूल की कुछ पंखुडियां भी इस पानी में डालकर सूर्यास्त के
बाद इस दीपक को प्रज्जवलित कर अपने घर के बैठक के कमरे में दक्षिण पूर्व दिशा (आग्नेय कोण) में रख दें । यदि इस क्षेत्र में इसे रखने में कुछ असुविधा
लग रही हो तो वैकल्पिक स्थान के रुप में आप इसे दक्षिण पूर्व की दिशा में भी रख सकते हैं । यदि घर में विवाह योग्य कन्या हो और उसके विवाह में किसी
भी प्रकार की अडचन आ रही हो तो इस दीपक को आप उस कन्या के कमरे में इसी दिशा में रख सकते हैं । मान्यता यह भी है कि इस उपाय से कन्या के विवाह में आ
रही बाधाएँ भी दूर हो जाती हैं ।
हमारा शरीर जिन
पंचतत्वों (पृथ्वी,
जल, काष्ठ, धातु और अग्नि) से निर्मित है उन्हीं पंचत्तवों का सन्तुलन इस दीपक के द्वारा हमारे घर-परिवार में कायम रहता है और इसी सामंजस्य से जीवन में
नकारात्मकता दूर होकर सकारात्मकता
बनी रहती है जो हमारे शान्तिपूर्ण, सुखी व समृद्ध जीवन में मददगार साबित होती है ।
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जानकारी भी देखें... धन्यवाद.
प्रतिदिन सूर्यास्त के
बाद जलाये जाने वाले इस दीपक को आप सोने के पूर्व बन्द भी कर दें और कटोरा रात भर वहीं रखा रहने
दें । सुबह इस पानी को किसी गमले में डाल दें व एक कांच की बोतल में पानी भरकर दिन भर उसे धूप में रखा रहने दें । धूप न भी हो तब भी इस बोतल को बाहर
खुले में ही रखें और सूर्यास्त
के बाद यही पानी इस कटोरे में भरकर यह दीपक इस विधि से जलाकर सोने के पूर्व तक इसे जलता रहने दें । वास्तुशास्त्र के अन्य सरल व सर्वत्र उपयोगी मुख्य नियम व सीद्धांत को समझने के लिये आप वास्तुशास्त्र के सर्वत्र उपयोगी प्रचलित नियम इस लेख को भी यहीं अंडरलाईन वाले शीर्षक को क्लिक करके देखें ।
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