24.8.16

प्रेरणा...!


           अमेरिका की बात है, एक युवक को व्यापार में बहुत नुकसान उठाना पड़ा, उसपर बहुत कर्ज चढ़ गया,  तमाम जमीन-जायदाद गिरवी रखना पड़ी,  दोस्तों ने भी मुंह फेर लिया, जाहिर हैं वह बहुत हताश था, कहीं से कोई राह नहीं सूझ रही थी, आशा की कोई किरण बाकि न बची थी । एक दिन वह एक Park में बैठा अपनी परिस्थितियो पर चिंता कर रहा था, तभी एक बुजुर्ग वहां पहुंचे. कपड़ो से और चेहरे से वे काफी अमीर लग रहे थे ।

           बुजुर्ग ने चिंता का कारण पूछा तो उसने अपनी सारी कहानी बता दी - बुजुर्ग बोले - "चिंता मत करो, मेरा नाम जॉन डी. रॉकफेलर है, मैं तुम्हे नहीं जानता, पर तुम मुझे सच्चे और ईमानदार लग रहे हो, इसलिए मैं तुम्हे दस लाख डॉलर का कर्ज देने को तैयार हूँ ।”


           फिर जेब से चेकबुक निकाल कर उन्होंने रकम दर्ज की और उस व्यक्ति को देते हुए बोले- “नौजवान, आज से ठीक एक साल बाद हम इसी जगह मिलेंगे  तब तुम मेरा कर्ज चुका देना ।”  इतना कहकर वो चले गए । युवक चकित था. रॉकफेलर तब अमेरीका के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक थे, युवक को तो भरोसा ही नहीं हो रहा था की उसकी लगभग सारी मुश्किलें हल हो गई हैं ।


           उसके पैरो को पंख लग गये, घर पहुंचकर वह अपने कर्जों का हिसाब लगाने लगा,  बीसवी सदी की शुरुआत में 10 लाख डॉलर बहुत बड़ी धनराशि होती थी और आज भी है । अचानक उसके मन में ख्याल आया, उसने सोचा एक अपरिचित व्यक्ति ने मुझ पर भरोसा किया, पर मैं खुद पर भरोसा नहीं कर रहा हूँ,  यह ख्याल आते ही उसने चेक को संभाल कर रख लिया,  फिर उसने निश्चय किया की पहले वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेगा, पूरी मेहनत करेगा की इस मुश्किल से निकल जाए, उसके बाद भी अगर कोई चारा न बचे तो वो उस चैक का इस्तेमाल करेगा ।


           उस दिन के बाद युवक ने खुद को झोंक दिया. बस एक ही धुन थी, किसी तरह सारे कर्ज चुकाकर अपनी प्रतिष्ठा को फिर से पाना हैं । उसकी कोशिशे रंग लाने लगी. कारोबार उबरने लगा, कर्ज चुकने लगा । साल भर बाद तो वो पहले से भी अच्छी स्तिथि में था । निर्धारित दिन ठीक समय वह बगीचे में पहुँच गया, वह चेक लेकर रॉकफेलर की राह देख ही रहा था की वे दूर से आते दिखे, जब वे पास पहुंचे तो युवक ने बड़ी श्रद्धा से उनका अभिवादन किया, उनकी ओर चेक बढाकर उसने कुछ कहने के लिए मुंह खोल ही था की एक नर्स भागते हुए आई और झपट्टा मरकर उस वृद्ध को पकड़ लिया ।


            युवक हैरान रह गया । तब वह नर्स बोली, “यह पागल बार बार पागलखाने से भाग जाता है और लोगों को जॉन डी. रॉकफेलर के रूप में चैक बाँटता फिरता हैं ।” अब तो वह युवक पहले से भी ज्यादा हैरान हो गया । जिस चैक के बल पर उसने अपना पूरा डूबता कारोबार फिर से खड़ा कर लिया वह फर्जी था ।


           पर यह बात जरुर साबित हुई की वास्तविक जीत हमारे इरादे, हौंसले और प्रयास में ही होती है,  यदि हम खुद पर विश्वास रखें और आवश्यकता के मुताबिक प्रयत्न करते रहें तो यक़ीनन किसी भी बाधा अथवा चुनौति से निपट सकते है ।



5 टिप्‍पणियां:

  1. इस प्रेरणादायक पोस्ट के लिए धन्यवाद

    Vinod Sharma

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  2. यह सब विधि का विधान है... विधाता अपनी रचना के भीतर छिपे परमात्मा को उजागर करने के लिये कितने कितने रूप धर लेता है. कभी रौकफेलर का रूप तो कभी महाभारत के युद्ध में एक सारथी का रूप!
    एक प्रेरक रचना!!

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  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25 - 08 - 2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2445 {आंतकवाद कट्टरता का मुरब्बा है } में दिया जाएगा |
    धन्यवाद

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  4. बहुत ही उम्दा ..... बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ... Thanks for sharing this!! :) :)

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आपकी अमूल्य प्रतिक्रियाओं के लिये धन्यवाद...

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