29.11.19

सब खुश – सब संतुष्ट...



         
          इस बार के महाराष्ट्र विधान सभा के चुनावों के बाद सभी राजनीतिक दलों में सत्ता के लिये जो महासंग्राम हुआ, वो समूचे देश ने शताब्दी के इकलौते उदाहरण के रुप में रुचिपूर्वक देखा । अंतत: महाराष्ट्र के इस महासंग्राम में कौन कैसे संतुष्ट हुआ इसकी रोचक बानगी देखिये-

          देवेन्द्र फडणवीस इसलिये खुश हैं कि महाराष्ट्र की राजनीति में वे लगातार दो बार मुख्यमंत्री बन गये ।

          अजीत पंवार इसलिये खुश हैं कि BJP  को सपोर्ट करने के इनाम के रुप में उन पर दर्ज सभी आर्थिक अपराध समाप्त कर दिये गये ।

          शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे इसलिये खुश हैं कि अंतत: उनके नेत्रत्व में अब महाराष्ट्र में शिवसेना का शासन है ।

          कांग्रेस इसलिये खुश है कि सीटों के आधार पर महाराष्ट्र में वो सबसे निचले पायदान की पार्टी होने के बावजूद सत्ता में बराबर की भागीदारी कर रही है ।

          NCP  के शरद पंवार इसलिये खुश हैं कि वे न सिर्फ किंगमेकर के रुप में अपना लोहा मनवा चुके बल्कि सत्ता में भी हर समय सरकार को अपने दबाव में रख सकने की भूमिका में हैं ।

          राज्यपाल इसलिये खुश हैं कि उन्होंने पहला चांस BJP को सत्ता संभालने हेतु दिया और अब वे मोदीजी के साथ ही अमित शाह के खास मित्रों की सूचि में शामिल हैं ।

          मीडिया इसलिये खुश है कि इस पूरे प्रकरण में उसे कई दिनों तक हर घंटे विशेष बेकिंग न्यूज दिखाकर अपना दर्शक वर्ग बढाने का भरपूर मौका मिला ।

          मतदाता भी इसलिये खुश हो सकते हैं कि किसी रोमांचक हिन्दी फिल्म से भी अधिक रोमांच इस कथासार में पूरे सप्ताह उनके समक्ष चलते दिखा ।

          5 - 7 बडे होटल समूह इसलिये खुश हैं कि इस समूचे घटनाक्रम के चलते उन्हें अपनी होटलों से पर्याप्त आमदनी कमाने का इस दौरान मौका मिला ।

           इस प्रकार इस महासंग्राम में सभी संबंधितों को किसी न किसी रुप में खुश व संतुष्ट होने का अवसर मिल गया और शायद हमारे इस प्रजातंत्र की यही खासियत है ।


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