24.1.11

ये क्या हो रहा है...?

          गणतंत्र दिवस पर होटल, लाज व धर्मशालाओं की आकस्मिक सुरक्षा चेकिंग के दौरान नगर के व्यस्ततम दवा बाजार क्षेत्र की एक लाज में दोपहर 3.30 बजे के व्यस्ततम समय में  पुलिस के हत्थे चढे एक सेक्स रैकेट में  7 युवक और 7 युवतियां आपत्तिजनक अवस्था में पकडे गए । पकडी गई  युवतियों में एक 12वीं की छात्रा और दो  देवी अहिल्या विश्व विद्यालय की छात्राएं हैं । 
                                                                                एक समाचार...

 एक विचार... 
क्या इन युवतियों के अभिभावक ये जानते होंगे कि हमारे घर की ये लडकियां जो पढने के लिये घर से निकली हैं ये वास्तविक जीवन में क्या गुल खिला रही हैं ? जीवन की सारी सुख-सुविधाएं न सिर्फ आसानी से मिल पावें बल्कि अभी और इसी समय मिल जावे भले ही इसकी कीमत स्वयं की लाईलाज बीमारियों के माध्यम से अगली पीढी तक को अथवा स्वयं के साथ ही परिवार को सार्वजनिक रुप से कैसी भी जिल्लत सहकर चुकाना पडे, किन्तु अभी की चाहतों से हमें कोई समझौता न करना पडे । 

        ये सुविधाभोगी प्रवृत्ति जनमानस को कहाँ ले जा रही है ?  

15 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद शर्मनाक और भयावह स्थिति है।

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  2. बहुत चिंताज़नक विषय है ।
    बेशक इजी मनी इन्हें नरक की ओर धकेल रही है ।

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  3. Aad.sushil ji,
    Bahut hi bhyawah sthiti hai.
    adhunikata aur paise ki bhukh ne hamen nanga kar diya hai. Apni sanskrtiti ko bhulane ki kimat bhi Chukaai jaa rahi hai.
    Behad afasos aur dukh hai.

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  4. बेहद शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण स्तिथी..

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  5. बेहद शर्मनाक और भयावह स्थिति है।

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  6. सूचना और मनोरंजन के हर तंत्र से सेक्स जिस तरह से युवा पीढ़ी को परोसा जा रहा है वह उसे जल्द से जल्द अनुभव करना चाहता है.. पैसा तो दूसरा पहलू है... अब युवा उत्तेजक फोटो वाली किताबों को छुपा कर नहीं पढता.. नेट पर सब कुछ उघडा रखा है.... ये १४ पकडे गए हैं... स्थिति इससे कहीं ज्यादा भयानक है...

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  7. सतीष चन्द्र सत्यार्थीजी,
    मैं भी इस खबर को प्रतीक के रुप में ही दे व देख रहा हूँ । जब हम बात सुख-सुविधा की करें तो जाहिर सी बात है कि शरीर-सुख पहले और पैसे की सुविधा तो साथ में है ही ।

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  8. दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक......

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  9. बेहद शर्मनाक और भयावह स्थिति

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  10. खुलेपन को ही आधुनिकता मान लिया है आज की पीढी ने.आपने ऐसे सच की तस्वीर दिखाई है जिसे निघलना बहुत मुश्किल है.

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  11. नैतिकता के क्षरण,मर्यादा को पिछड़ेपन की निशानी मानने तथा उच्छृंखलता को बोल्डनेस के रूप में परिभाषित करने वाले समाज की यही दुर्गति होती है।

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  12. यथार्थ का सिर्फ एक उदाहरण !!
    न जाने कितने ऐसे गुल होंगे जो रातों के अंधरों में छुपकर खिलते होंगे....

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  13. ये शर्मनाक सच्चाई है हमारी नयी जनरेशन की,
    गल्ती उनकी कम और हमारी ज्यादा है क्योकि जब टीवी पर, इंटरनेट पर, साहित्य मे ये सब देखेते और पढते है तो उत्तेजना तो बढेगी ही। और ये सब यह कह कर टाल देेते है कि जमाना बदल रहा है।

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