ये मैं कोई गीत नहीं गा रहा हूँ बल्कि ठण्ड के उस खतरनाक हालात को समझने का प्रयास कर रहा हूँ जिसमें किसी भी कारण से घर की सुविधा से वंचित रह गये वे सभी लोग जिनकी रात सडक पर या खुले प्रांगण में इस समय गुजर रही है उनकी पल-पल गुजरती घडी की टिकटिक कितनी लम्बी होती जा रही है ये महसूस करने की कोशिश कर रहा हूँ ।
सर्दी का जानलेवा कहर दिन-ब-दिन प्रचण्ड होता चल रहा है । इन्दौर में जहाँ पारा लगातार 5.0 के नीचे चल रहा है वहीं 50 किलोमीटर की दूरी पर उज्जैन में यह 2.0 डिग्री तक पहुँच गया है । खेतों में खडी फसल पर इस जानलेवा सर्दी से जो नुकसान कृषकों को भुगतना पड रहे हैं उनकी भरपाई तो हमें थोडी और मंहगाई के मुख में ले जाकर शायद पूरी हो जावेगी किन्तु इस ठण्ड से आसपास के क्षेत्र से मृत्यु के आगोश में समा जाने के जो परिदृश्य लगातार सामने आ रहे हैं वे इसकी भयावहता का बखूबी चित्रण कर रहे हैं ।
सबसे पहले वे भिखारी जिनके पास सिवाय सडक पर रात गुजारने के दूसरा कोई विकल्प ही नहीं है, जो जैसे अलाव के रुप में कुछ मिल जावे उसे जलाकर बैठे रहते हैं, नींद यदि आवे तो वहीं पड लिये लेकिन कितनी देर तक ? आंच घंटे भर भी गर्म नहीं रख पा रही है और गहराती रात के साथ ठण्ड बढती जा रही है । जब भी जो भी उधर से गुजरे- उनका एक ही सवाल सामने आ रहा है- ए भाई टाईम क्या हुआ है ? सुबह कब होगी ?
अस्पतालों में उपचार के लिये आसपास के गांव-कस्बों से रोगियों के साथ आए ग्रामीणों पर भी ये ठण्ड कहर बनकर टूट रही है और बस व रेल्वे-स्टेशनों पर अपनी गाडियों की प्रतिक्षा जिन्हे रात में करना पड रही है उनके भी हाल-बेहाल कर रही है ये ठण्ड ।
मात्र एक सप्ताह की इस शीतलहर में सिर्फ मध्यप्रदेश में ही लगभग 25 व्यक्तियों की जान ले चुकी ये ठण्ड शेष भारत में कहाँ क्या तांडव कर रही होगी और इसका प्रकोप कब तक थमेगा, राम जाने । फिलहाल तो सब तरफ यही सुनने में आ रहा है- कदी नी देखी रे दादा असी ठण्ड ।
इस बार ठण्ड जानलेवा हो रही है। समाचार की मानें तो शीतलहर से मरने वालों की संख्या १५० को पार कर चुकी है।
जवाब देंहटाएंसरकार को जगह-जगह अलाव जलवाने चाहिए जिससे सड़क पर , इस बर्फीले मौसम में लोगों को कुछ राहत मिल सके।
BAHUT THANT HAI J
जवाब देंहटाएंघर के बाहर स्थितियाँ बड़ी खराब हैं।
जवाब देंहटाएंइस मौसम में समाचार पत्रों में प्रकाशित शोक समाचारों में भी वृद्धि हो गयी है। कई वृद्धजन अंतिम विदाई कर गए। उदयपुर में मौसम कुछ ठीक हुआ है।
जवाब देंहटाएंईश्वर और प्रकॄति से प्रार्थना करें और हर संभव मदद जो गरीबों की कर सकते हैं करनी चाहिये।
जवाब देंहटाएंइस सीजन में गर्मी , बरसात और सर्दी -सभी ज्यादा पड़ी है । क्या यह संकेत है पृथ्वी पर बदलते मौसम का ?
जवाब देंहटाएंशौअद आगे आगे ऐसा ही हो ।
मानव जाति को सचेत हो जाना चाहिए ।
तथाकथित सभ्य कहे जाने वाले मानव समुदाय के द्वारा पर्यावरण के प्रति की गई छेड़छाड़ का ख़ामियाजा आज ग़रीब वर्ग के लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
जवाब देंहटाएंयह ठंड एक तरह की चेतावनी है कि मानव, अब तो तू सुधर जा।
... thand kahar varpaa rahi hai !!
जवाब देंहटाएंइस बार ठण्ड जानलेवा हो रही है। यह सब प्रकृति से छेड़ छाड़ का ही नतीजा दिखता लगता है|
जवाब देंहटाएंठण्ड तो है ही,
जवाब देंहटाएंआपके जीवन दर्शन के कायल हो गये हम तो कहाँ-कहाँ तक नजर दोैडाई है आपने,
शुभकामनाये
हम वातावरण के साथ छेड़छाड़ करते रहते हैं, यह उसी का नतीज़ा है।
जवाब देंहटाएंहम दूसरों की तकलीफ समझाने का प्रयत्न करते ही कहाँ हैं ...हकीकत है यह सब .... शुभकामनायें आपको
जवाब देंहटाएंमौसम के तेवर, गरीबी में आटा गीला करता है.
जवाब देंहटाएंMai to Chennai me hun par North India me to thand ne halat kharaab kar rakhi hai.
जवाब देंहटाएंvastav me jaada apna bhayankar roop dikhla raha hai.
जवाब देंहटाएंहम prakrti के साथ छेड़छाड़ करते रहते हैं, यह उसी का नतीज़ा है।
जवाब देंहटाएंसुशिल जी ,सर्दी का यह आलम है की हमारे बाम्बे मे जहा कभी इसके दर्शन ही नही होते थे ,वहा हम सुबह -सुबह स्वेटर पहने नजर आते है-- और इंदौर से आने वाले मेहमानों की तादाद इसी महीने बहुत होती थी---इस बार उसमे कटोती हुई है --ही-- ही --ही ------:
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