चार दोस्त ! सभी 20 से 22 वर्ष की मध्य उम्र के, एक के पिता बडे प्रापर्टी ब्रोकर, एक के कारोबारी और शेष दो के
माता-पिता का प्रदेश की राजनीति में पक्ष और विपक्ष से जीवन्त जुडाव । कुल मिलाकर सभी
के पेरेन्ट्स नाम व नावां कमाने की धुन में मगन । बच्चे क्या कर रहे हैं जैसे
इन्हें कोई लेना देना ही नहीं । एक के पिता ने अपने बेटे को होस्टल व एटीएम की
सुविधा दिलवाकर इन्दौर में पढने के लिये भेज दिया । इसी के होस्टल के कमरे में
इनमें से ही एक और दोस्त साथ में रहने लगा । शराब के दौर साथ में चलने के साथ
दोनों का रोमान्स भी एक ही लडकी से हो गया । लडकी भी शायद दोनों को बराबरी से चारा
डालती रही । ऐसी ही एक नशीली सी सीटिंग में जहाँ एक मित्र अपने किसी और मित्र के
साथ होस्टल के इसी कमरे में बैठकर नशे की मदहोशी में उस लडकी के बारे में बात कर
रहा था तो वह दोस्त जो वास्तव में उस कमरे का मालिक भी था उसने अपने इस दोस्त को
उसके दोस्त के साथ कमरे से बाहर निकाल दिया ।
अपमान की ज्वाला के साथ ही अपने
पैरेन्ट्स के पैसे व पावर का रौब । अपमानित मित्र ने अपने उपरोक्त दोस्तों की मदद
से उस पहले मित्र को अगले दो एक दिन में रात्रि 10 बजे काफी पिलवाने के बहाने बुलवाया और
इन्हीं दोनों दोस्तों के साथ उसे अगवा कर उसके घर वालों से 5 लाख रु. की फिरौति की मांग कर
राजस्थान के किसी सीमावर्ती गांव में पहले सिर पर घातक प्रहार व फिर गले में तार
कसकर उस चौथे मित्र की हत्या कर देने के बाद उसकी पहचान छुपाने की नियत से किसी
निर्जन खेत के गड्ढे में पहले पत्थरों से उसका चेहरा कुचलकर व उसके शव को टायरों
पर लिटाकर उपर से पेट्रोल छिडककर उसे जला भी दिया । आरोपियों को देर-सवेर पकड में
आना ही था । इस दरम्यान इनके गिरफ्त में आने तक पुलिस ने इनके पेरेन्ट्स को अपनी
कस्टडी में रखा । जिससे इन्हें मुक्ति अपने इन नौनिहालों के पुलिस गिरफ्त में आने
के बाद ही मिल सकी । अन्दर की खबर ये भी रही कि इस घटनाक्रम के समय सभी दोस्तों ने
13-13 पैग
ड्रिंक ले रखी थी ।
इधर रात्रि में अलग-अलग क्षेत्र में
नागरिक जब सोकर उठें तो पावें कि उस पूरे मौहल्ले में सडक पर खडी सारी कारों के
कांच उपद्रवी तत्व तोडकर भाग गये ।
रास्ते चलते राहगीर से रात के निर्जन प्रहर में रोककर नशे के लिये पैसे मांगे और मना करने पर चाकू के घातक वारों से उस निरपराध नागरिक की बेरहमी से वहीं हत्या कर दी ।
जलती होली में दुश्मनी निकालने के लिये नशे की झोंक में किसी की पूरी मोटरसायकल ही उठाकर होली के सुपुर्द कर दी । और
दुकान के शटर पर लघुशंका से रोकने के जुर्म में चाकू मार-मारकर दुकान मालिक की इहलीला वहीं समाप्त कर दी ।
रास्ते चलते राहगीर से रात के निर्जन प्रहर में रोककर नशे के लिये पैसे मांगे और मना करने पर चाकू के घातक वारों से उस निरपराध नागरिक की बेरहमी से वहीं हत्या कर दी ।
जलती होली में दुश्मनी निकालने के लिये नशे की झोंक में किसी की पूरी मोटरसायकल ही उठाकर होली के सुपुर्द कर दी । और
दुकान के शटर पर लघुशंका से रोकने के जुर्म में चाकू मार-मारकर दुकान मालिक की इहलीला वहीं समाप्त कर दी ।
ये और ताजे उदाहरण हैं जो अभी-अभी
घटित अपराधों के रुप में सामने आ रहे हैं । यहाँ भी इनमें से अधिकांश के आरोपी
पुलिस की गिरफ्त में हैं।
सभी औसतन 25 वर्ष
से कम उम्र के हैं और अधिकांश ने वारदात के समय नाईट्रावेट या इस जैसी ही किसी
भयंकर मादक गोलियों का सेवन किया हुआ था और उस मादक गोली के तीव्रतम नशे के दौर
में ही इन घटनाओं ने जन्म लिया ।
और अब आखिर में नगर के एक
धनाढ्य व्यवसायी के 18-19 वर्षीय
पुत्र का इसके दो घनिष्ठ मित्रों ने अपहरण कर लेने के बाद एक ओर जहाँ अगले ही घंटे
उसकी हत्या कर दी वहीं अगले दो दिनों तक उसके पैरेन्ट्स से 5
लाख रु. और हथिया लेने की जुगत
में भी लगे रहे । यहाँ भी अन्दर की खबर ये सुनी गई कि घटनाक्रम की जड में ऐसा कोई प्रेम-प्रसंग ही रहा है जो
मृतक मित्र को पसन्द नहीं था और इसीलिये इस घटना में भी दोस्ती की कीमत भरोसे में
जान देकर चुकानी पडी ।
इन सभी उदाहरणों में अलग-अलग क्षेत्रों के अलग-अलग पात्र नजर आ रहे हैं किन्तु इन सबमें एक बात जो कामन दिख रही है वह है इस उम्रवर्ग के ही आरोपियों की इन अपराधों में संलिप्तता । और दूसरी कामन बात जो इन सभी घटनाओं में दिख रही है वह है इन बच्चों के पैरेन्ट्स द्वारा अपने बच्चों को साधन-सुविधाएँ और पैसों की अनवरत पूर्ति करते रहने के बावजूद ये बच्चे क्या कर रहे हैं ? इनके मित्र वर्ग में किस-किस तरह के दोस्त जुड रहे हैं ? और घर पर होने की स्थिति में उस बच्चे के व्यवहार में क्या असमानता लग रही है ? इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर इनके माता-पिता अपनी जिम्मेदारी के प्रति उदासीन ही लगे हैं ।
सभी घटनाओं में नशा प्रमुख रुप
से शामिल रहा है । शराब का नशा, मादक प्रतिबन्धित गोलियों का नशा और शीशा पार्लर का नशा । फिर विपरीत सेक्स से जुडाव
के साथ ही अत्युत्तम क्वालिटी के वाहन व मोबाईल के शौक की सामान्य चाहत और इन
सबमें लगने वाला बेहिसाब खर्च । ये बच्चे अपने ही दोस्तों को, अपने माता-पिता को, अपने दादा-दादी को अपना आसान शिकार
बनाकर इस अनाप-शनाप खर्चे को जुटाने की राह पर चल रहे हैं ।
एक और कारण जिसका उल्लेख ये माता-पिता अब मजबूरी में करते दिख रहे हैं वो है इन बच्चों के द्वारा माता-पिता को इस धमकी के दबाव में रखना कि मेरे दोस्तों के बारे में यदि कुछ कहा तो घर छोडकर चला जाऊँगा । बच्चे वैसे ही इकलौते से रह गये हैं, यदि बच्चा भावावेश में घर छोडकर चला जावे, या किसी तरीके से अपनी जान ही दे दे तो ? इससे बेहतर है जो जैसा चल रहा है चलता रहने दो की उनकी भावना । लेकिन चलता रहने दो की ये समझौतावादी प्रवृत्ति भी आखिर इन्हीं बच्चों के लिये कहाँ तक उपयोगी साबित हो पाई ? शायद आगे चलकर ये माता पिता जोड-जुगाड लगवाकर अपने इन बच्चों को कानून के शिकंजे से मुक्त भी करवा लेंगे । लेकिन...
क्या यहाँ ये आवश्यक नहीं लगता कि माता-पिता अपनी तरुणवय संतानों की समस्त गतिविधियों पर अनिवार्य रुप से पैनी नजर रखें । उसके खर्चों को कभी भी अनियंत्रित दायरे में न जाने दे और यदि बच्चा ऐसे समय किसी भी किस्म की धौंस या धमकी अपनी बात मनवाने के लिये माता-पिता को देता दिखे तो उस समय हथियार डाल देने की बजाय बच्चे के उस बदले रवैये का सख्ती से सामना करें ।
अब भी तो इनमें से अधिकांश बच्चे अनिश्चित समय के लिये घर से दूर होकर कानून की गिरफ्त में फँस गये हैं । क्या अन्तर पड जाता यदि बच्चा धमकी देकर घर छोड जाता । बल्कि उस स्थिति में उसे स्वयं के जिन्दा रहने के साधन जुटाना सीखना भी आ सकता था जो उसके भावी जीवन में उपयोगी होता । अभी तो ये बच्चे अपने माँ-बाप को पुलिस कस्टडी में रखवाने के जिम्मेदार भी बने हुए हैं ।
और अब तो ये सभी बच्चे पैसों की
कितनी भी बडी इकाई को बिना कमाये ही इस्तेमाल करने की मानसिकता से भी जुड गये हैं, और छोटी या बडी कैसी भी सजा के दौर में
कानून की गिरफ्त में फंसे और भी बडे-बडे उस्तादों से होने वाली इनकी दोस्ती जो इन्हें जीवन में आसान रास्ते तलाशने
के नये-नये ज्ञान अब बिना मांगे ही उपलब्ध करवा देंगी । इन स्थितियों में रहते वर्षों बाद कानून की गिरफ्त से छूटने
वाले ये इकलौते से बच्चे अपनी आगे की जिन्दगी कैसे गुजारेंगे यह सोच सामाजिक रुप
से पर्याप्त चिंतन मांगता दिख रहा है ।
(सभी चित्र गूगल सौजन्य से)