30.12.19

अच्छी आदत कैसे...?

      अभी कुछ समय पूर्व एक रेलयात्रा के दौरान सामने की बर्थ पर बैठी एक माँ और उसकी बच्ची में कुछ रोचक सा देखने को मिला और वो यह कि उसकी माँ जब मेरी पत्नी सहित अन्य महिलाओं से बात कर रही थी तब उसकी छोटी बच्ची उसकी उम्र की बाल-कहानियां पढ रही थी । उसकी माँ से जब पूछा गया कि हमारे बच्चे तो ऐसे किसी भी समय में मोबाईल ही नहीं छोडते, फिर आपने इसमें पढने की ऐसी आदत कैसे डाली ? तब उस माँ ने मुस्कराते हुए जबाब दिया कि बच्चे कहने से नहीं बल्कि देखने से अधिक सीखते हैं और मैं इन्हें अक्सर पत्र-पत्रिकाएं पढते हुए ज्यादा दिखती हूँ तो ये भी वैसी ही कोशिश करते आपको दिख रही है ।

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      इसके विपरित जब मैं 18 वर्ष के आसपास की उम्र के युवाओं को नास्तिक होते देखता हूँ तो अटपटा तो लगता है किंतु बुरा नहीं लगता । बल्कि जब इन्हें नमाज़, कुरानइस्लाम और मुसलमानों की इज़्ज़त करते देखता हूँ तो अच्छा लगता है । लेकिन जब यही युवा पीढी  मंदिर में होती आरती का या भगवान की मूरत और उसकी पूजा का मज़ाक बनाते दिखती है तो दुःख होता है लेकिन टोकना व्यर्थ लगता है, क्योंकि इसमें मुझे इनसे ज्यादा इनके अभिभावकों के पालन-पोषण के तरीकों की कमी अधिक नज़र आती है ।

     दूसरी ओर जब मैं किसी मुस्लिम परिवार के पांच साल के बच्चे को भी नियमित नमाज़ पढ़ते देखता हूँ तो अच्छा लगता है । मुस्लिम परिवार अपना धर्म, अपने संस्कार अपनी अगली पीढ़ी को ज़रूर देते हैं, चाहे प्यार से या चाहे सख्ती से डराकरलेकिन उनकी नींव में उनके अपने बेसिक संस्कारों की गहरी पेठ होती है । यही ख़ूबसूरती सिखों के धर्म में भी देखी जा सकती है । एक बार बचपन में मैंने एक सरदार मित्र का जूड़ा पकड़ लिया था । उसने उसी वक़्त तेज़ आवाज़ में मुझे सिर्फ समझाया ही नहीं धमकाया भी था । तब बुरा भी लगा था लेकिन आज याद करता हूँ तो अच्छा लगता है ।

      हिन्दू धर्म चाहें जितना ही अपने पुराने होने का दावा कर ले  पर इसका प्रभाव अब सिर्फ सरनेम तक ही सीमित होता जा रहा है । मैं अक्सर देखता हूँ कि मज़ाक में लोग यदि किसी ब्राह्मण की चुटिया खींच दें तो कई बार वो सिर्फ हँस देता है । एक माँ आरती कर रही होती है और उसका बेटा जल्दी में प्रसाद छोड़ जाता है, लड़का आधुनिक है,  उसे इतना ज्ञान है कि प्रसाद गैरज़रूरी है । बेटी इसलिए प्रसाद नहीं लेती कि उसमें कैलोरी ज़्यादा हैं और उसे अपनी फिगर की चिंता है ।

       छत पर खड़े कोई अंकल जब सूर्य को जल चढ़ाते दिखते हैं तो ये युवा हंसते हैं व सोचते हैं कि  'बुड्ढा कब नीचे जायेगा और कब इसकी बेटी ऊपर आयेगी ?' दो वक़्त पूजा करने वाले के बारे में हम सहज ही मान लेते हैं कि बंदा जरुर दो नंबर की कमाई करता होगा,  इसीलिए इतना अंधविश्वास करता है ।

       घर की पूजा में बेटे की गैरहाजरी को माँ यह कहकर टाल देती है कि आज की जेनरेशन है, क्या कहें,  मॉडर्न बन रहे हैं ।' पिता भी खीझ कर रह जाते हैं कि 'ये तो हैं ही ऐसे,  इनके मुँह कौन लगे'नतीजतन बच्चों का पूजा के वक़्त हाज़िर होना सिर्फ दीपावली जैसे महाउत्सव तक ही सीमित रह जाता है ।

      यही बच्चे जब अपने विभिन्न धर्मावलंबी हमउम्र साथियों को हर शनिवार गुरुद्वारे में मत्था टेकते या हर शुक्रवार विधिवत नमाज़ पढ़ते या हर सन्डे चर्च में मोमबत्ती जलाते देखते हैं तो बहुत प्रभावित होते हैं । सोचते हैं यही हैं असली गॉड, मम्मी तो यूं ही थाली घुमाती रहती है । अब धर्म बदलना तो संभव नहीं,  इसलिए मन ही मन खुद को नास्तिक मान लेते हैं ।

       शायद हिन्दू धर्म को हम कभी अच्छे से परिभाषित नहीं कर पाए । शायद हमारे पूर्ववर्तियों को इसकी कभी ज़रूरत नहीं महसूस हुई । शायद आपसी वर्णों की मारामारी में रीतिरिवाज और पूजा पाठ सिर्फ' सौदा बन कर रह गया, वर्ना यह भी सत्य है कि-  सूर्य को जल चढ़ाना सुबह जल्दी उठने की वजह भी बनता है । नियमपूर्वक पूजा करना जल्दी नहा-धोकर दिन की व्यवस्थित शुरुआत करने का  माध्यम बन जाता है और घर में मंदिर बना हो तो घर व्यवस्थित साफ- सुथरा रखने का एक अतिरिक्त कारण बना रहता है ।

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      घण्टी बजने से होने वाली ध्वनि मन शांत रखने में मदद करती है तो आरती गाने से मनोबल बढ़ता है । हनुमान चालीसा विपरीत परिस्थितियों में डर को भगाने और शक्ति-संचार करने के लिए सर्वोत्तम है । सुबह टीका लगा लो तो ललाट चमक उठता है । प्रसाद में मीठा खाना इतना शुभ तो होता ही है कि टी.वी. पर विज्ञापनों में भी इसका उल्लेख चलता है ।     

     संस्कार हमेशा घर से शुरु होते हैं । जब घर के बड़े ही आपको अपने संस्कारों के बारे में नहीं बताते-समझाते तो आप इधर-उधर भटकते ही हैं जो स्वाभाविक है । लेकिन इस भटकन में जब कोई कुछ भी ग़लत समझा जाए तो ये भूल जाते हैं कि आप उस शिवलिंग का मज़ाक बना रहे हैं जिसपर आपकी माँ हर सोमवार जल चढ़ाती है ।

      लेकिन मैं किसी को बदल नहीं सकता । मैं किसी के ऊपर कुछ थोपना भी नहीं चाहता । मैं सिर्फ अपना घर देख सकता हूँ और मुझे गर्व है कि मुझे आज भी हनुमान चालीसा कंठस्थ है । शिव-स्तुति मैं रोज़ करता हूँ । सूरज को जल चढ़ाना मेरे लिए ओल्ड फैशन नहीं हुआ है । दुनिया मॉडर्न है इसलिए भजन यू-ट्यूब पर भी सुन लेता हूँ । अपने भगवान को मैं अपना आदर्श मानता हूँ और  मुझे यकीन है कि ये सब आदतें मेरी आने वाली पीढी मुझसे ज़रूर सीखेगी ।

       मैं गुरुद्वारे भी जाता हूँ । चर्च भी गया हूँ । कभी किसी धर्म का मज़ाक नहीं उड़ाया है,  हर धर्म के रीति-रिवाज़ पर मैं तार्किक बहस कर सकता हूँ लेकिन किसी को भी इतनी छूट नहीं देता कि वो मेरे सामने हमारी आस्थाओं-परम्पराओं या मूर्तिपूजा का मज़ाक बनाये । मेरे लिए हिन्दू होना कोई शर्म की बात नहीं है । यदि आपकी आस्था धर्म के प्रति ना हो तो ना सही लेकिन कृपया इसका उलजलूल संदेशों में मज़ाक न बनाएं, आप चाहें जिसकी आराधना करें या न करें, लेकिन कम से कम अपनी या किसी भी अन्य की धार्मिक आस्थाओं का उपहास न करें ऐसी उम्मीद तो आपसे की ही जा सकती है । 

26.12.19

जैन समुदाय के लिये...



        वर्तमान समय में जैन लडके व लडकियों की शादी अपने सामाजिक जैन परिवार में ही हो यह आज के समय मे न सिर्फ लडके व लडकी के सुखी व सुरक्षित भावी जीवन के लिये बल्कि समाज विकास के लिये भी अत्यन्त आवश्यक हो चला है जिसका एक मुख्य कारण जैन समाज का आबादी के अनुपात में भी और सामान्य क्रम में भी जनसंख्या का प्रतिशत जो घटते क्रम में चल रहा है उसके विकासक्रम को बनाये रखने में आपके-हमारे योगदान के रुप में भी महत्वपूर्ण है ।

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        जैन का विवाह जैन परिवार में ही हो इस उद्देश्य को सामने रखकर जैन लड़के-लड़कियों की एक पृथक वेबसाइट बनाई गई है । जिसकी सेवाएँ जैन समाज के लिए फ्री मे उपलब्ध कराई जा रही है । यदि आप स्वयं अथवा आपके परिवार का कोई भी सदस्य विवाह योग्य उम्र में है तो आप आज ही अपना निशुल्क रजिस्ट्रेशन करे और अपना जीवन साथी पसंद करने हेतु इस सुविधा का लाभ अवश्य लें ।


वेबसाईट-      www.jainsathi.com

        आवश्यक सूचना-  जैन साथी की स्पेलिंग डालने से पहले सही से चैक करें (SATHI) साथी के अंदर (SA) लगेगा (SAA) नहीं लगेगा ।  
                              
        यह वेबसाइट जो सिर्फ जैन समाज के लिये ही बनाई गई हैं । इस वेबसाइट में रजिस्ट्रेशन करके आप अपना बायो-डाटा भर सकते है तथा उपलब्ध सभी लडके-लडकियों के बायो-डाटा देख सकते हैं ।


        आपसे यह भी विनम्र अनुरोध है की यह मैसेज आप अपने सभी जैन परिचितजैन संघ एवं Jain WhatsApp Groups में अवश्य भेजें ।


इसके अलावा अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारी...
         अभी ही भारत सरकार ने  NPR  करने की घोषणा की है । इसमें हम सभी भारतीय नागरिकों की जनगणना की जायेगी । सभी नागरिकों को इसमें अपने व परिवार से सम्बन्धित जानकारी देना है ।

        अतः कृपया ध्यान रखें कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में जाति और धर्म के कालम में  दोनों जगह जैन  ही लिखें । अपना सरनेम (गौत्र) न लिखें । सिर्फ जैन  लिखें । इसका विशेष ध्यान रखें ।

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       यह जानकारी लगातार हर ग्रुप में फारवर्ड करते रहें । हर जैन के मोबाइल में यह जानकारी पहुंचनी ही चाहिए ।


        इस कार्य मे जुड़ना और सभी समाजजनों को इससे जुडने हेतु प्रेरित करना भी जिनशाशन कि प्रभावना तथा साधर्मिक भक्ति है ।  इस पोस्ट को सभी समाजजनों के समक्ष प्रसारित करने में अपना योगदान अवश्य दें ।

 जैनम जयति शाशनम...



25.12.19

मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा का...



        जीवन में हम सभी की पहली आवश्यकता होती है अपनी आत्मनिर्भरता के दौर में सबसे पहले अपने परिवार की सुविधा व सुरक्षा हेतु एक मकान का इन्तजाम करना । जो लोग इसका इन्तजाम कर लेते हैं वे अपना आगामी जीवन परिवार सहित वहाँ सुकूनपूर्वक बिता पाते हैं और जो यह सुविधा नहीं जुटा पाते वे किसी अन्य के मकान में किराया चुकाकर उसमें निवास करते हैं और इसमें दुनिया का प्रत्येक कानून वैद्य तरीके से किसी के द्वारा बनाये अथवा खरीदे गये मकान पर निर्विवाद रुप से उसका स्वामित्व स्वीकार करता है ।

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        लेकिन तब क्या हो जब आपके अपने मकान में आपसे विनती कर किराये पर रहने आया शख्स पहले आपके परिवार के किसी एक सदस्य को यह समझाते हुए बरगलाना शुरु करे कि देखो दूसरे भाई की तुलना में तुम्हारे साथ कितना भेदभाव हो रहा है, परिवार के किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय में तुम्हारी सलाह को कोई महत्व नहीं मिलता. वगैरह, वगैरह.

        इस प्रकार उसे अपने पक्ष में जोडकर गृहस्वामी के प्रति उसकी निष्ठा कमजोर करवाते हुए वहाँ अपने किसी अन्य मित्र-परिचित को लाकर रख ले और बाद में अपने ही जान-पहचान व पक्ष के लोगों की भीड वहाँ लाकर गृहस्वामी को भी वहाँ से बेदखल कर जीवन भर के खून-पसीने से संचित उसकी सम्पत्ति को अपनी ताकत के दम पर हथियाने की कोशिश करता दिखे ।

        जोडतोड कर अपनी सत्ता व शक्ति बढाने के फेर में अनगिनत जयचंद पिछले कई दशकों से यही खेल हमारे देश में खेलते व पडौसी देशों से अवांछित लोगों की भीड जुटाकर अपनी सामर्थ्य बढाते चले आ रहे हैं । अपनी कई पीढियों के लिये अरबों-खरबों की रकम जुटाकर विदेशों में जमा करवाकर भी इनकी सत्ता लोलुपता दिन-ब-दिन बढती ही जा रही है जिन्हें देश के नागरिक जानते-समझते भी शासन के प्रजातांत्रिक माहौल में बेबस कुछ कर नहीं पा रहे थे ।

        लेकिन परिवर्तन का दौर भी कभी तो आता ही है और देश के निवासियों को परिवर्तन का यही दौर 2014 में एक ऐसे व्यक्ति के रुप में देखने में आया जिसके नजरिये में परिवारवाद से उपर राष्ट्रवाद की भावनाएं देश के नागरिकों ने देखी और तब देशवासियों के बहुमत के फैसले ने इनकी सारी जोडतोड को पीछे धकेलते हुए उसी व्यक्ति को राष्ट्र के संचालन की बागडौर सौंप दी । देश के चौकीदार के रुप में आए उस व्यक्ति ने भी सतत कर्मनिष्ठा से देश के पुराने नासूरों का जब इलाज करना प्रारम्भ किया तो इस देश को आसान चरागाह समझने वाले ये सभी राष्ट्रद्रोही तत्व और अधिक तेजी से उसके खिलाफ माहौल बनवाने हेतु दुश्मन का दुश्मन दोस्त वाली शैली में एकजुट होकर उसके खिलाफ अपने-अपने चक्रव्यूह बनाकर अपनी चालें चलने लगे ।

        आज जो कुछ भी हिंसा, अराजकता व वर्गसंघर्ष इस देश में हम देख रहे हैं वह CAB के बहाने उसी भडास के रुप में हमारे सामने चल रहा है । ये राष्ट्रद्रोही ताकतें इस देश में ऐसा कुछ भी नहीं होने देना चाहती जिससे कि हमारा देश स्वावलंबन की दिशा में आगे बढते हुए शेष दुनिया के समक्ष गर्व से सिर उठाकर खडा रह सके । जबकि सामान्य देशवासी राष्ट्रप्रमुख के इस निर्णय को कैसे देख रहे हैं उसकी बानगी इस वीडिओ में देखी जा सकती है-


       देशवासियों के जायज अधिकारों को कमजोर करने के लिये अवैद्य रुप से बाहरी लोगों को इस देश में इन राष्ट्रद्रोही ताकतों द्वारा कैसे लाकर भरा जा रहा है उसकी झलक भी आप नीचे के इस छोटे से वीडियो में अवश्य देखें-

       इन अवांछित गतिविधियों पर सख्त अंकुश लगाने की मोदीजी की इन नीतियों का बावजूद इसके कि एक बडा वर्ग समर्थन कर रहा है किंतु देश में ही कुछ प्रतिशत नागरिक अपने निजी कारणों से विरोध भी करते देखे जा रहे हैं । जबकि घर का जोगी जोगडा, आन गांव का सिद्ध वाली शैली में विदेशी समाचार पत्र भी मोदीजी की कार्यशैली का कुछ इस अंदाज में समर्थन करते दिख रहे हैं - 

      
      अब बहुमत के रुप में देश के नागरिकों को ही यह समझना होगा कि ये राष्ट्रद्रोही ताकतें जो पीढियों से अपने बाद अपने वंशजों को देश को लूटने-खसोटने के अभियान में लगी हुई हैं अपनी बहुमत की शक्ति से इन्हें इनके नापाक मंसूबों में कामयाब न होने दें । 


24.12.19

क्या हैं हम और क्या हमें होना चाहिये...?

मत बांधिए जंजीरें मेरे वतन के पैरों में,
यह एक परिंदा है इसे आजाद रहने दीजिए...
-डॉ. विमलसिंह.


       मै कल एक सोसायटी में अपने पुराने मित्र से मिलने गया, सोसायटी के चौकीदार ने मुझे रोककर रजिस्टर खोला जिसमें पहले मेरा नाम, मोबाईल नंबर, विजिट का समय,  घर का नंबर और अंत में दस्तखत करवाकर सवाल किया कहां से आए हैं ? फिर मेरे मित्र के घर फोन कर कन्फर्म किया कि अमुक भाई साहब आपसे मिलने आए हैं,  उन्हें आने दूं क्या ? मेरे मित्र की अनुमती के बाद ही उसने मुझे अंदर आने दिया । 


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     पांच  मिनिट की इस कार्यवाही के बाद मेरे मन में विचार आया कि एक सोसायटी में अपने पुराने मित्र से मिलने के लिए मुझे ये सारी जानकारी सोसायटी की सुरक्षा के लिए देनी पड़ रही है तो देश की सुरक्षा के लिये यदि देश का चौकीदार बाहर से आकर बसे लोगों से  उनसे सम्बन्धित जानकारी मांगे तो इसमें बुराई क्या है ? लेकिन वास्तव में हो क्या रहा है- 

       एक वर्ग  दंगा कर चुका  है जो अभी जारी है ।  दूसरा वर्ग  अब मानवाधिकार कार्यकर्ता बन के सामने आएगा ।  तीसरा वर्ग  मीडिया प्रमुख एनडीटीवी, रवीश कुमार, राजदीप, बरखादत्त, जैसे लोगों के विचार में इन्हें पीड़ित साबित करेंगा और चौथा वर्ग जिनमें नामी-गिरामी वकीलों की फौज कपिल सिब्बलसलमान खुर्शीदप्रशांत भूषणइंदिरा जयसिंह जैसे नाम इनके लिए कोर्ट में मुफ्त केस लड़ते दिखाई देंगें ।

       जबकि हर हिंदुस्तानी ये जानता है कि CAB  जो अब बहुत ही जरूरी बन गया है और जिसका किसी भी सूरत में भारत के वर्तमान नागरिकों से कोई सरोकार नहीं है, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो बावजूद इसके इनके आक्रमण व हिंसा जारी है इसका मतलब साजिश गहरी है । अब इस साजिश और इसके सूत्रधारों को सामने लाकर इनका पक्का इलाज करना सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए ।

       अभी दो दिन पहले ही देश के चौकीदार ने कहा था कि इनके कपड़ों से ही इन उपद्रवियों की पहचान हो रही है, तो अब ये बंदे नंगे होकर प्रदर्शन करते दिखने लगे । अब नंगे भी तो पकड़ में आएंगे ही । अब इस कार्यवाही में सरकार से हमें यह उम्मीद भी करना लाजमी है कि सिर्फ किसी वर्ग-विशेष को इकतरफा अपराधी मान लेने के बजाय वास्तविक अपराधियों पर ही शिकंजा कसा जाए, फिर भले ही छुद्र स्वार्थों की पूर्ति करते ये लोग किसी भी वर्ग, धर्म या रुतबे से सम्बन्धित क्यों न हों, क्योंकि जिन कंधों पर बंदूक रखकर चलाई जा रही है उसके पीछे से निशाना साधने वालों की पहचान भी सामने आना ही चाहिये ।

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       देशहित में जो भी नियम-कायदे आवश्यक है उसे होना ही चाहिये । लेकिन इस प्रक्रिया में जिनके भी आर्थिक व राजनीतिक लाभ प्रभावित हुए हैं उनकी राष्ट्रद्रोही कारगुजारियां भी देश के सभी शांतिप्रिय नागरिकों के सामने भी आना चाहिये ।

आज के समय में भारत की वास्तविक आवश्यकता क्या है उसे आप 
90 के दशक के इस वीडिओ में अवश्य देखें...


23.12.19

हम कहाँ जा रहे हैं...

      इस समय देश में जिस अफरातफरी का माहौल बना हुआ है इसमें हर उस राज्य में जहाँ BJP का शासन है वहाँ जमकर हिंसा, आगजनी, तोडफोड और जो भी सामने आए उसे नष्ट करदो का जो माहौल बनाया हुआ है क्या यह सिर्फ नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ निकाला जा रहा गुस्सा है  यकीनन नहीं क्योंकि इसकी बुनियाद तो बहुत पहले से बनाई जा रही है ।  

    
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आत्म-विश्वास      

      "तुम कितने अफजल मारोगे - हर घर से अफजल निकलेगा" ये बात हम लोग पहले से सुनते आ रहे हैं, अभी भी टी.वी./इन्टरनेट पर ना जाने कितने वीडियो घूम रहे है,  जिसमे सैकडों-हजारों अफजल भारत की अस्मिता, इसके लोकतंत्र को चुनौती दे रहे हैं । कहीं ट्रेन पर पत्थर फेंके जा रहे है, तो कहीं रेलवे प्लेटफॉर्म पर यात्रियों की सुविधा के लिए लगाई गई भारी-भरकम कुर्सियों को रेल की पटरियों पर फेंका जा रहा है ।

       कल तक जो अफजल लोकतंत्र के मंदिर पर गोलिंयां बरसा रहा था, आज वो ही अफजल देश के अलग-अलग हिस्सों में तोड़फोड़ आगजनी कर रहा है, क्या यह मात्र संयोग है ? अगर कोई सोचे कि ये अफजल CAB बिल के पारित होने  से नाराज होकर सड़क पर उतरा है तो वाकई में वह बहुत नासमझी वाली सोच ही होगी । क्योंकि अफजल तो 2014 के लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद राष्ट्रवादियों की सरकार बनने से ही हैरान परेशान है, क्योकि वो अब सड़क पर खुलेआम गाय नही काट पा रहा है ।

       अफजल परेशान है, क्योंकि उसकी इच्छा के बगैर ट्रिपल तलाक को प्रतिबंधित कर दिया गया ! वो इसलिये भी गुस्से में है, क्योंकि वो चाहकर भी सुप्रीम कोर्ट के राममंदिर के पक्ष मे दिए गए निर्णय का विरोध नही कर सकता ! इसलिये अफजल के लिए CAB बिल तो सिर्फ बहाना है, असली मकसद सत्ता को अपनी धमक/ताकत दिखलाना है, वो ताकत जिससे हिन्दुस्तान ही नही विश्व की कई सरकरें डरती हैं !

        क्या मिश्र में या सीरिया मे कोई नागरिकता संसोधन बिल आया है जो वंहा तोड़फोड़ आगजनी हो रही है ? क्या देश के बंटवारे के समय किया गया खून-खराबा भी CAB का विरोध था वास्तव में अफजल इस बिल के बहाने अपने उस पुराने रसूख को पाना चाह रहा है जो उसे बाबर, औरंगजेब, मोहम्मद गौरी, इब्राहीम लोधी व जिन्ना ने दिया था, जिस रसूख के दम पर वो आजाद हिन्दुस्तान मे न्यायालय के निर्णय (शाहबानो प्रकरण) को भी बदलवाने का दम रखता था !

        अफजल जानता है नागरिकता संसोधन बिल 2019 से सच्चे देशभक्त मुसलमान की सेहत पर कोई फर्क नही पडेगा, न तो उसे हिन्दुस्तान से निकाला जाएगा और ना ही उसके रोजी-रोजगार पर कोई आंच आने वाली है । अफजल जानता है, नागरिकता संसोधन बिल के माध्यम से सिर्फ पाकिस्तान/अफगानिस्तान/बांग्लादेश के अल्पसंख्यको को ही सुरक्षित वापस स्वदेश लाया जाएगा !

       अफजल जानता है कि इन तीनो ही पडोसी देशो मे अब मुठ्ठी भर हिन्दू या अल्पसंख्यक बचे हैं, जिनके भारत आने से इनकी सेहत पर कोई असर नहीं पडने वाला है । परन्तु अफजल ये भी मानता है कि अभी नही तो कभी नही । अगर आज उसने औरंगजेब की तरह तोड़फोड़ नही मचाई तो छत्रपति शिवाजी की भूमि पर उसके आतंक की बादशाहत खत्म हो जाएगी । हिन्दुस्तान की सियासत में उसकी हैसियत खत्म हो जाएगी जबकि उसकी हिंसकवृत्ति ही उसकी ताकत है और इसी ताकत के दम पर इस लोकशाही मे वो कामयाब भी हुआ है । परन्तु यहाँ शायद अफजल ये भूल रहा है कि वो राणा प्रताप के धैर्य को भूल रहा है, वो गोधराकांड भूल रहा है ?

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       अफजल भूल रहा है कि राणा प्रताप ने बरसों घास की रोटी सिर्फ इसलिये खाई थी कि वो अकबर को उसकी औकात बता सकें । वो भूल रहा है कि गोधरा में सिर्फ "क्रिया पर ही प्रतिक्रिया" हुई थी और सबसे बड़ी भूल तो वो ये कर रहा है कि देश की बागडोर इस समय किसके हाथो में है, उसके जो इनके पिछवाड़े तोड़ने में पी.एच.डी. कर चुका है और अब तो माशाअल्लाह मोटा भाई भी आ खडे हुए हैं । हम सबने देखा है कि आते ही उन्होंने देश के विकास की सारी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली और वे उंगली दिखाने में नही बल्कि दिखाई जा रही उंगली तोड़ देने में फ्रंटफुट पर खेलने में ही विश्वाश करते हैं ।
      

17.12.19

जिंदगी के मायने...!


           एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई । जब उसे इसका आभास हुआ तो उसने देखा कि भगवान उसके समक्ष एक सूटकेस हाथ में लिये खडे हैं और उससे कह रहे हैं - चलो मेरे बच्चे, तुम्हारा समय पूरा हो गया है ।

           व्यक्ति बोला - इतनी जल्दी ! अभी तो मेरे सामने ढेरों प्लान पूरे करने के लिये बाकि हैं । भगवान बोले - नहींअब कुछ नहींतुम्हारा समय पूरा हो चुका है ।

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           व्यक्ति ने पूछा - इस सूटकेस में क्या है ?

            तुम्हारी सम्पत्ति - भगवान ने जवाब दिया ।

            आपका मतलब - मेरा सामान, कपडे, पैसे ?

            नहीं, वे तो कभी तुम्हारे थे ही नहीं । वे तो यहाँ पृथ्वी पर तुम्हारा समय गुजारने के माध्यम थे ।

            इसका मतलब मेरी यादें । व्यक्ति ने पूछा ?

            नहीं । वे सब तो समयाश्रित थी । भगवान ने फिर जवाब दिया । 

            तो फिर मेरा हुनर । व्यक्ति ने फिर पूछा ?

            ना... ना... वे तो परिस्थितियों की देन थे । भगवान ने फिर जवाब दिया ।

            अच्छा तो फिर इसमें मेरे मित्र और परिजन साथ होंगे । व्यक्ति ने फिर पूछा ?

            नहीं भाई, वे तो तुम्हारी जीवन यात्रा के राही थे । भगवान बोले ।

            तो फिर मेरी पत्नी और बच्चे । व्यक्ति ने फिर पूछा ?

            नहीं, वो तो तुम्हारे दिल में थे । भगवान ने फिर उसकी जिज्ञासा का समाधान किया । 

           
तो फिर जरुर इसमें मेरा शरीर होगा । व्यक्ति ने फिर पूछा ?

           
कैसा शरीर ? वह तो राख की अमानत है । भगवान का फिर जवाब मिला । 

           
तो निश्चय ही इसमें मेरी आत्मा होगी । बडे विश्वास के साथ उसने फिर पूछा ?

           
दुःख की बात है कि यहाँ भी तुम गलत हो,  तुम्हारी आत्मा तो मेरी देन रही है । भगवान ने फिर जवाब दिया । 

           
तब उस व्यक्ति ने आँखों में आंसू भरकर बडे दुःखी मन से ईश्वर से उस सूटकेस को खोलकर दिखाने का अनुरोध किया । ईश्वर ने जब उस सूटकेस को खोलकर दिखाया तो वह बिल्कुल खाली था ।
  
            टूटा दिल और गिरते आंसू के साथ उस व्यक्ति ने भगवान से पूछा- तो क्या इतने वर्षों में मेरा यहाँ कभी कुछ भी नहीं रहा ? हाँ- अब तुम ठीक सोच रहे हो । ऐसा कुछ भी कभी नहीं रहा जो तुम्हारा वस्तुविशेष के रुप में गिना जा सके ।

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स्वनिर्मित- सस्ता व स्वास्थ्यप्रद आंवला च्यवनप्राश.

            
तो फिर आखिर इतने वर्षों में मेरा क्या रहा व्यक्ति ने फिर पूछा ?
तुम्हारे कार्य ! तुम्हारे वे सभी कार्य जो तुमने यहाँ रहते किये, वे सभी सिर्फ तुम्हारे रहे हैं । भगवान ने जवाब दिया... 

            
इसलिये जब तक जीवित हो - जो कुछ भी अच्छे कार्य कर सकते हो, अवश्य करो । हमेशा अच्छे कार्यों के लिये सोचो और अपने प्रत्येक कार्य के लिये ईश्वर का धन्यवाद करो ।

            
हमारी जिंदगी एक सादे कागज़ के समान है, जिस पर हर इंसान को स्वयं ही चित्रकारी करनी है ।

            "
ईश्वर" ने हमें हमारे 'कर्म' की 'पेंसिल' देकर हमें चित्रकारी करने की सुविधा अवश्य दी है, परंतु सदैव ध्यान रखें...

            "
ईश्वर" ने हमें ऐसा कोई रबर नहीं दिया है, जिससे हम अपनी बनाई चित्रकारी को मिटा सकें ।