24.12.19

क्या हैं हम और क्या हमें होना चाहिये...?

मत बांधिए जंजीरें मेरे वतन के पैरों में,
यह एक परिंदा है इसे आजाद रहने दीजिए...
-डॉ. विमलसिंह.


       मै कल एक सोसायटी में अपने पुराने मित्र से मिलने गया, सोसायटी के चौकीदार ने मुझे रोककर रजिस्टर खोला जिसमें पहले मेरा नाम, मोबाईल नंबर, विजिट का समय,  घर का नंबर और अंत में दस्तखत करवाकर सवाल किया कहां से आए हैं ? फिर मेरे मित्र के घर फोन कर कन्फर्म किया कि अमुक भाई साहब आपसे मिलने आए हैं,  उन्हें आने दूं क्या ? मेरे मित्र की अनुमती के बाद ही उसने मुझे अंदर आने दिया । 


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     पांच  मिनिट की इस कार्यवाही के बाद मेरे मन में विचार आया कि एक सोसायटी में अपने पुराने मित्र से मिलने के लिए मुझे ये सारी जानकारी सोसायटी की सुरक्षा के लिए देनी पड़ रही है तो देश की सुरक्षा के लिये यदि देश का चौकीदार बाहर से आकर बसे लोगों से  उनसे सम्बन्धित जानकारी मांगे तो इसमें बुराई क्या है ? लेकिन वास्तव में हो क्या रहा है- 

       एक वर्ग  दंगा कर चुका  है जो अभी जारी है ।  दूसरा वर्ग  अब मानवाधिकार कार्यकर्ता बन के सामने आएगा ।  तीसरा वर्ग  मीडिया प्रमुख एनडीटीवी, रवीश कुमार, राजदीप, बरखादत्त, जैसे लोगों के विचार में इन्हें पीड़ित साबित करेंगा और चौथा वर्ग जिनमें नामी-गिरामी वकीलों की फौज कपिल सिब्बलसलमान खुर्शीदप्रशांत भूषणइंदिरा जयसिंह जैसे नाम इनके लिए कोर्ट में मुफ्त केस लड़ते दिखाई देंगें ।

       जबकि हर हिंदुस्तानी ये जानता है कि CAB  जो अब बहुत ही जरूरी बन गया है और जिसका किसी भी सूरत में भारत के वर्तमान नागरिकों से कोई सरोकार नहीं है, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो बावजूद इसके इनके आक्रमण व हिंसा जारी है इसका मतलब साजिश गहरी है । अब इस साजिश और इसके सूत्रधारों को सामने लाकर इनका पक्का इलाज करना सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए ।

       अभी दो दिन पहले ही देश के चौकीदार ने कहा था कि इनके कपड़ों से ही इन उपद्रवियों की पहचान हो रही है, तो अब ये बंदे नंगे होकर प्रदर्शन करते दिखने लगे । अब नंगे भी तो पकड़ में आएंगे ही । अब इस कार्यवाही में सरकार से हमें यह उम्मीद भी करना लाजमी है कि सिर्फ किसी वर्ग-विशेष को इकतरफा अपराधी मान लेने के बजाय वास्तविक अपराधियों पर ही शिकंजा कसा जाए, फिर भले ही छुद्र स्वार्थों की पूर्ति करते ये लोग किसी भी वर्ग, धर्म या रुतबे से सम्बन्धित क्यों न हों, क्योंकि जिन कंधों पर बंदूक रखकर चलाई जा रही है उसके पीछे से निशाना साधने वालों की पहचान भी सामने आना ही चाहिये ।

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       देशहित में जो भी नियम-कायदे आवश्यक है उसे होना ही चाहिये । लेकिन इस प्रक्रिया में जिनके भी आर्थिक व राजनीतिक लाभ प्रभावित हुए हैं उनकी राष्ट्रद्रोही कारगुजारियां भी देश के सभी शांतिप्रिय नागरिकों के सामने भी आना चाहिये ।

आज के समय में भारत की वास्तविक आवश्यकता क्या है उसे आप 
90 के दशक के इस वीडिओ में अवश्य देखें...


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