2.1.20

समस्याग्रस्त जीवन


        प्रायः हम सभी अपने जीवन में दिन की शुरुआत किसी समस्या के समाधान के प्रयत्न से करते हैं और रात्रि में जब सोने जाते हैं तो कुछ अन्य समस्याएं हमारे सामने मौजूद रहती हैं । शायद ही किसी कामकाजी व्यक्ति का कोई दिन कभी ऐसा गुजर पाता हो जब वो ना तो किसी छोटी-बडी समस्या का सामना दिन के प्रारम्भ में कर रहा हो या रात तक किसी नई समस्या को अपने सामने न देख रहा हो ।

      सामान्यतः हम सभी के जीवन का यही नियमित चलने वाला क्रम है और इसीमें जीवन के प्रति हमारी नकारात्मक या सकारात्मक सोच का परिचय स्वयं हमें या हमसे जुडे व्यक्तियों को हमारे बारे में देखने-समझने में आता है । यह कहावत भी इसीलिये जन्मी दिखती है कि पानी से आधे भरे गिलास को हम आधा भरा हुआ देखते हैं या आधा खाली देख रहे हैं । इस मनोभावना से सम्बन्धित एक उदाहरण आप भी देखिये-

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       किसी कंपनी में काम करने वाला एक शिक्षित व्यक्ति जो हर समय अपनी समस्याओं के बारे में दुःखी व परेशान रहता था । एक बार किसी महात्मा से मिलने पर उनसे बोला- महाराज मै अपने जीवन से बहुत दुःखी हूँ । कभी ऑफिस की टेंशन,  कभी घर की अनबन,  कभी सेहत की परेशानी हमेशा मुझे चिंता व तनावग्रस्त रखती हैं क्या कोई ऐसा उपाय है कि मेरी ये सभी समस्याएँ खत्म हो जाए और मै चैन से जी सकूँ...

       महात्मा ने मुस्कुरा कर उस व्यक्ति से कहा- बच्चे तुम्हारे प्रश्न का उत्तर मैं कल दे सकूंगा । लेकिन आज तुम्हें मेरा एक छोटा सा काम करना होगा बोलो कर सकोगे ?  तब वह व्यक्ति बोलाजी महाराज जरूर करुँगा, आप बताएं... तब महात्मा बोले- हमारे काफिले में सौ उंट हैं और  इनकी देखभाल करने वाला बीमार पड गया है । मैं चाहता हूँ आज रात तुम इनका ध्यान रखलो । बस जैसे ही ये सब उँट बैठ जाएं तब तुम सोने चले जाना ।


      अगले दिन सुबह महात्मा ने उससे पूछा- कैसे हो बेटे, नींद तो अच्छी आई ?” तब वो बोला- कहाँ महाराज मैं तो एक पल भी नहीं सो पाया । बडी कोशिश करने पर भी मैं सभी ऊंटों को नही बैठा पाया । कोई न कोई ऊंट वापस खडा हो जाता था । तब महात्मा बोले- मै जानता था, यही होगा । आज तक ऐसा नहीं हुआ है कि ये सारे ऊंट एक साथ बैठ जाएं । तब उस आदमी ने नाराज़गी के स्वर में कहा- तो फिर आपने मुझे ऐसा काम क्यों दिया ?”

       तब वे बोले- रात तुमने समझा होगा कि चाहे कितनी भी कोशिश करो सारे ऊंट एक साथ नहीं बैठ सकते । ऐसे ही सारी समस्याएं भी कभी खत्म नहीं हो सकती । सोचो कल क्या हुवा कई ऊंट रात होने पर अपने आप बैठ गएकइयों को तुमने अपने प्रयास से बैठा दिया  और कुछ जो पहले नही बैठे थे वे कुछ देर बाद अपने आप बैठ गए इस बीच कुछ बैठे हुवे ऊंट फिर खडे हो गए ।

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      जीवन में समस्याएँ भी ऐसी ही हैं । कुछ अपने आप खत्म हो जाती हैंकुछ को तुम अपने प्रयास से खत्म करते हो । कुछ प्रयास करने पर भी खत्म नहीं होती तो ऐसी समस्याओं को समय पर छोड दो । सही समय आने पर वो खुद हल हो जाएंगी । जीवन है तो समस्याएं रहेंगी ही । लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि दिन-रात चिंता ही करते रहो । इसलिये समस्याओं को सुलझाने की कोशिश भी करते रहो और अपने जीवन का आनंद भी लेते रहो । 

      यही हम सभी के जीवन में निरन्तर चलती रहने वाली छोटी-बडी समस्याओं के प्रति हमारा भी नजरिया होना चाहिये जिससे कि अपने सामान्य जीवन में इन समस्याओं की कमी या अधिकता से हमें समस्या न हो ।



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