11.5.11

अनुकरणीय प्रयास...


        मेरा छोटा पुत्र अपने काम के सिलसिले में परसों रात्रि को स्लीपिंग कोच बस से जयपुर गया । बस की व्यवस्था उपर स्लीपर और नीचे सीटिंग यात्रियों की थी । रात की गहरी नींद में बालक की जेब से पर्स निकलकर नीचे गिर गया और बस के वेग से आगे आ गया । आगे सीमित दूरी की एक महिला यात्री ने उस पर्स को अपने पैरों के नीचे दबा लिया और सबकी नजर बचाकर पर्स को कब्जे में करने की कोशिश करने लगी । उसकी ये कोशिश बस के ड्रायवर से छुप न सकी । उसने जब उस महिला से वो पर्स मांगा तो महिला यात्री बोली - मेरा ही पर्स है जो नीचे गिर गया है । लेकिन उसकी हरकतें और जबाव देने में लडखडाहट से ड्राईवर उसकी बातों में नहीं आया और पर्स अपने कब्जे में लेकर उस महिला यात्री से बोला - ठीक है तुम्हारा पर्स है तो बताओ इसमें क्या-क्या रखा है ? महिला यात्री के पास इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीं था लिहाजा पर्स ड्राईवर की कस्टडी में पहुंच गया और खीसियाई सी महिला यात्री गंतव्य पर बस से उतर गई ।

          
इधर जब बस के जयपुर पहुँचने पर बालक अपना सामान सम्हालते नीचे उतरा तो पर्स गायब देखकर हक्का-बक्का रह गया । पर्स में काम के सिलसिले से सम्बन्धित महत्वपूर्ण कागजो व कुछ छोटे नोटों के साथ के साथ ही 1000 x 18 = 18,000/- रु. नगद और तीन अलग-अलग बैंकों के डेबिट व क्रेडिट कार्ड रखे थे । उपर नीचे दांए बांए ढूंढते और अगल-बगल के यात्रियों से पर्स के बारे में पूछताछ करते मेरे बालक को वो ड्रायवर चुपचाप देखता ही रहा । जब बालक पूछते-पूछते उस तक पहुँचा तो ड्रायवर ने फिर वही प्रश्न मेरे पुत्र से किया कि तुम्हारा पर्स कैसा था और उसमें क्या-क्या सामान था जब पर्स की पहचान के साथ उसमें रखे सामान का ब्यौरा मेरे पुत्र ने बताया तो उस ड्रायवर ने फौरन वह पर्स निकालकर चेक करवाते हुए उसे मेरे पुत्र को सौंप दिया ।
 
          
पुत्र ने जब ड्राईवर को धन्यवाद दिया तो ड्राईवर बोला - भैया रात दिन ये बस चलाता हूँ यदि ऐसी बेईमानी दिमाग में रखकर चलूंगा तो कब मेरे साथ क्या हादसा हो जाएगा किसे मालूम ? इसलिये कम से कम बेइमानी से दूर रहकर अपना काम करता हूँ । 

          
ईमानदार बने रहने की चाहे जो बाध्यता उस ड्राईवर के दिमाग में रही हो किन्तु जनसामान्य के लिये तो ईमानदारी व्यवहार में रही ही । अभी कुछ दिन पूर्व इसी ब्लाग पर जब ऐसी ही एक पोस्ट "सार्वजनिक जीवन में अनुकरणीय कार्यप्रणाली" के द्वारा रेल्वे के टिकिट चेकर की ईमानदारी से सम्बन्धित मैंने प्रकाशित की थी तो अनेक पाठकों ने आश्चर्य व्यक्त किया था कि अपने देश में ऐसी ईमानदारी कहाँ सम्भव है मैं भी मानता हूँ कि बहुत दुर्लभ है तभी तो ये घटनाएँ दिमाग में कुछ विशेष अहसास करवाती हैं वर्ना तो...


32 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छा लगा यह व्यवहार अनुकरणीय है ! शुभकामनायें !

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  2. ऐसे व्वहार एक आशा का संचार कर जाते हैं।

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  3. सच में बहुत अच्छा लगता है ऐसी बातों के बारे में जानकर .....आभार

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  4. यही सब घटनायें याद दिलाती है कि ईमानदारी बाकी है अभी....अच्छा लगा जानकर

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  5. कारण जो भी रहा हो मगर ईमानदारी आज भी बाकी है।

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  6. ऐसे वाकये बताते हैं की इमानदारी अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है !

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  7. चाहे कम ही हों। पर ईमानदार लोग हैं दुनिया में।

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  8. अभी ईमानदारी हे, ओर ज्यादा ईमानदारी गरीबो मे हे

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  9. ऐसे ही इमानदार लोगों पर दुनियां टिकी है|

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  10. इमानदारी बाकी है तभी तो दुनिया भी बाकी है...

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  11. अभी बहुत ईमानदारी शेष है, उसी के पुण्‍य से यह दुनिया चल रही है। बस कठिनाई यह है कि हमने बेईमानी को ही प्रदर्शित करना प्रारम्‍भ कर रखा है।

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  12. अँधेरा है घना, फिर भी कहीं - कुछ, दिख रही हैं 'लौ'
    उन्हीं के आसरे, बस, कट रहा - ये मुश्किल सफ़र है...........

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  13. आज के दौर में ऐसी ईमानदारी आश्चर्यचकित करती ही है।
    उस बस चालक को शुभकामनाएं।

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  14. बस ड्राइवर की इमानदारी की जितनी भी प्रशंसा की जाय कम है !
    आज कल ऐसे उदाहरण कम ही मिलते हैं !

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  15. ऐसे संस्मरण मानवता पर विश्वास बनाये रखने के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे...ईमानदारी का पाठ सिर्फ छोटे लोगों के लिए है...जब बड़े-बड़े पदों पर बैठे लोग इसकी बिलकुल कद्र नहीं करते...ऐसे में ये मिसाल सराहनीय है...

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  16. धरती पर महाप्रलय ऐसे ही लोगों के कारण रुका हुआ है..

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  17. दुनिया में इमानदार लोग हैं अभी ।

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  18. भाई साहिब !चंद ईमानदार (५%)लोगों की वजह से ही मेरा मुल्क चल रहा है .सार्थक संस्मरण -ईमानदारी भी एक दुआ है ,करम है अल्ला ताला का .जो इस्पे चला वह रईस है ।
    एक दिक्कत आ रही है भाई साहिब -राम भाई नाम से मेरे दो ब्लॉग हो गयें हैं ,दूसरा मेरे एक मित्र ने तब बना दिया था जब मैंने उनसे ट्विटर पर अपना अकाउंट खुल वाया था ,पोस्ट को त्वीट करने के लिए ।
    इस दूसरे ब्लॉग पर ले देकर कुल दस पोस्ट हैं जबकि मेरे नियमित ब्लॉग पर ३००० को छू रही है यह संख्या .कृपया बतलाएं कैसे इन दोनों को एक में ही समाहित किया जाए ,दुबकी लगवाई जाए ,मर्ज़ किया जाए ।
    मैं नियमित लिख रहा हूँ और यहाँ ४३३०९,सिल्वरवुड ड्राइव केंटन (मिशिगन )में आने के बाद तो दो दो लैप टॉप मेरे पास राहतें हैं जो विज्ञान लेखन ,सेहत और मनोरोगों सम्बन्धी जानकारी को द्रुत गति से प्रस्तुत करने का मौक़ा दे रहें हैं ।
    आज मैं अपने पुराने ब्लॉग पर पता नहीं कैसे पहुँच गया -देखा आप जैसे २२ लोगों की टिप्पणियाँ शराब से सम्बन्धी मेरे एक लेख पर मौजूद थीं ,अन -उत्तरित भी पड़ीं थीं .शर्मिंदा हूँ .कृपया मदद करें कैसे दस पोस्ट वाले "राम राम भाई "को ३००० पोस्ट वाले राम राम भाई में दुबकी लगवाऊँ ?

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  19. 12 मई 2011 की शाम से 13 मई 2011 की रात्रि 10 बजे तक ब्लागर डेशबोर्ड व ब्लाग्स ओपन नहीं हो रहे थे और जब ब्लाग व डेशबोर्ड 13 मई 2011 की रात्रि 10 बजे के बाद खुलना चालू हुए तो इस पोस्ट की 23 टिप्पणियां जो 12 मई की शाम तक इस ब्लाग पर मौजूद थीं वे कहाँ कैसे गायब हो गई यह बात मैं अब तक समझ नहीं पा रहा हूँ । क्या कोई जानकार पाठक मुझे ये बता सकता है कि एकाएक ये टिप्पणियां कैसे यहाँ से गायब हो गई ? बाकि तो मेरे लिये ये घटना भी इस लेख के टाईटल को ही आगे बढा रही हैं, है ना आश्चर्य...?

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  20. 12-5-11 की सभी ब्लॉगों की टिप्पणियां गुम हो गई हैं|

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  21. ji sushilji 12 may ke sabhi post ki tippaniyan gayab hai. imandari abhi bhi moujood hai aur jinhme ham tathakathit chhote log samjhte hai unka charitra kahi uncha hota hai jo sukundayee hai.aise vakyat samne aane chahiye jisse logo me imandari ke liye samman bana rahe aur ve isse prerna le sake...

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  22. तब तो हम इसे( इमानदारी को ) एक चमत्कार की तरह देखते हैं सुन्दर पोस्ट.. आभार

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  23. ऐसी घटनाओं से ही विश्वास हो पाता है कि ईमानदारी अभी भी पाई जाती है...

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  24. इमानदार लोग आज भी है दुनियामे !
    अच्छी लगी पोस्ट पढ़कर !

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  25. अच्छा लगा यह जानकार कि ऐसे ईमानदार लोग आज भी हैं इस दुनिया में ...

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  26. काश हर कोई ऐसा सोचे तो कुछ ईमानदारी आ जाए समाज में ....

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  27. ईमानदार लोग (भी) हैं तभी दुनिया चल रही है। ऐसे उदाहरण सच और अच्छाई पर विश्वास और दृढ़ करते हैं।
    अच्छा लगा सुशील जी, ऐसी घटनाओं को भी लाईमलाईट में लाना ही चाहिये।

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आपकी अमूल्य प्रतिक्रियाओं के लिये धन्यवाद...