26.1.11

सारे जहाँ से अच्छा...? ? ?

        
        आज हमारे देश का 61वां गौरवपूर्ण गणतंत्र दिवस है । सोने की चिडिया कहलाए जाने वाले हमारे देश के गुजरे कल के गौरव के चर्चे हम सभी ने अपने-अपने स्तर पर अलग-अलग कालखंड के मुताबिक इतिहासज्ञों से, अपने पूर्वजों से व अन्य अनेकानेक माध्यमों से बहुतायद में सुने व उम्रदराज नागरिकों ने देखे भी हैं । लेकिन  मुझे इस सन्दर्भ में अपने दिल के सबसे करीब मनोज कुमार की फिल्म पूरब और पश्चिम की महेन्द्र कपूर की आवाज में प्रस्तुत ये पंक्तियां लगती हैं जिन्हें जब भी सुना जावे ये मन को अभिभूत सी करती महसूस होती हैं-

जब जीरो दिया  मेरे भारत ने, भारत ने  मेरे भारत ने
दुनिया को तब गिनती आई, तारों की भाषा भारत ने
दुनिया को पहले सिखलाई.

देता न दशमलव भारत तो यूं चांद पे जाना मुश्किल था
धरती और चांद की दूरी का अंदाजा लगाना मुश्किल था

सभ्यता जहाँ पहले आईपहले जन्मी है जहाँ पे कला
अपना भारत  वो भारत हैजिसके पीछे  संसार चला

संसार चला और आगे बढा यूं आगे बढा बढता ही गया
भगवान करे ये और बढेबढता ही रहे और फूले-फले
बढता ही रहे और फूले-फले...

           लेकिन संसार को बढता रहने व फूलने-फलने की शुभकामनाएँ देने वाले हमारे अपने भारत देश की स्थिति दुनिया के नक्शे पर इस समय कहाँ है दिन-ब-दिन बदलते राजनैतिक कर्णधारों ने आजादी का जो अर्थ इस देश के लिये लगाया है उसीका परिणाम यह दिखाई दे रहा है कि भारत में भ्रष्टाचार दुनिया के शीर्ष 4थे देश के स्तर पर आ पहुंचा है । हमारे यहाँ की भौतिक उन्नति की बातें चाहे जितनी की जावे किन्तु स्वतन्त्रता प्राप्ति के 64 वर्ष गुजर चुकने पर भी वास्तविकता अभी तक यही दिखती है कि अमरीका, चीन, जापान जैसे उन्नत देशों के समकक्ष तो हमारी उन्नति बहुत दूर की बात है, थाईलेंड जैसे छोटे से देश से भी हम उन्नति के नाम पर सालों पीछे चल रहे हैं । सन् 1947 से शुरु आजाद भारत की विकासशील देश के रुप में प्रारम्भ हुई यह यात्रा आजादी के 64 वर्ष व्यतीत हो चुकने पर भी हमें विकसित देशों की श्रेणी तक नहीं ला पाई है जबकि हमारे देश की बौद्धिक मानव सम्पदा का उपयोग कर दुनिया के अनेक देश अपना विकास अधिक तेजी से किये जा रहे हैं । हम तब भी विकासशील थे, आज भी विकासशील हैं और शायद आगे भी विकासशील ही बने रहेंगे । 
 
            जब कोई व्यक्ति जवान होने परशादीशुदा होने पर  और  फिर प्रौढावस्था में आ चुकने तक भी स्वयं को बच्चा ही मानता चला जावे और उस बचपने की ढाल से अपने सामान्य आर्थिक, मानसिक व सामाजिक विकास से दूर रहने के कारण गिनाता जावे तो वह व्यक्ति प्रशंसा का हकदार तो कतई नहीं हो सकता और जब यही बात किसी राष्ट्र के संदर्भ में करें तो ? जैसे राजा वैसी प्रजा के सिद्धांतानुसार वास्तव में आज हमारे देशवासियों की सोच यह देखने में आ रही है कि आदर्श के सारे सिद्धांत मुझे छोडकर देश के दूसरे सभी नागरिकों में दिखाई देने चाहिये । यदि इस देश की समस्त जनता जिसमें राजनेता भी शामिल हों, दूसरों के कन्धों पर पैर रखकर आगे निकलने, मौका मिलते ही देश की सारी सम्पदा उल्टे-सीधे हथकंडे अपनाकर अपने कब्जे में कर लेने, वास्तविक योग्यता को दरकिनार कर भाई-भतीजावाद को प्रश्रय देने जैसी मानसिकता से परे रहकर ईमानदार पारिश्रमिक में अपने हिस्से का काम पूरी मेहनत के साथ 110% तक परिणाम देने की सोच के दायरे में रखकर कर सकेंगे तब ही हम अपने देश के उस गौरव तक पहुँचने की कल्पना कर सकेंगे जहाँ सभी देशवासी सामूहिक रुप से सगर्व यह कह सकें कि- 


सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा...

गणतन्त्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाओं सहित...     जय हिन्द.

26 टिप्‍पणियां:

  1. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें .....

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  2. गणतंत्र दिवस पर आप को शुभकामनाएँ!
    आप की बात सही है पर मार्ग क्या है?

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  3. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

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  4. हालात तो ऐसे ही हैं लेकिन चले भी जा रहे हैं ।

    गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें ।

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  5. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें|

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  6. द्विवेदी सर,
    मार्ग की यदि बात की जावे तो एकमात्र मार्ग जो दिखाई देता है वह यही हो सकता है कि लालच से बचते हुए ईमानदार पारिश्रमिक में हर व्यक्ति हर स्तर पर 100% ही नहीं बल्कि 110% परिणाम देने का प्रयास करे । यद्यपि बुरी तरह बिगड चुके माहौल में ये सोच भी दूर की कौडी ही लगती है किन्तु सुधार व वास्तविक विकास तो तभी संभव हो सकता है ।

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  7. बिलकुल सही कहा आपने। आपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।

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  8. इस गाने की पंक्तियाँ बहुत ही अच्छी लगती हैं। क्या थे हम, क्या हो गये अभी।

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  9. गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ....

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  10. गणतंत्र दिवस पर आपका आलेख और चिंता वाजिब है आपको गणतंत्र
    दिवस पर शुभकामनाएं और सबी ब्लॉगर साथियों को भी ।

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  11. सटीक और सार्थक लेख

    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें..

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  12. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

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  13. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई !

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  14. बहुत सुंदर ....गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें और बधाई

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  15. आजादी के इतने वर्षों बाद हमें जहाँ होना चाहिए था, हम वहां नहीं पहुँच पाए हैं। सत्ता में अब पहले जैसे देशभक्त नेता नहीं हैं , इसीलिए समाज पतन की और उन्मुख हो रहा है । लेकिन आशा है की समाज के चिंतनशील नागरिक एक जन चेतना लायेंगे और विकास की नीव रखेंगे।

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  16. aap ko republi day ki badhai and shri dinesh rai dwivedi ke bicharo se sahamat hun.

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  17. आज के दिन को सार्थक करता आलेख।

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  18. गणतंत्र दिवस पर ढेरों शुभकामनायें

    जय हिंद!

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  19. मुझे अंतिम पैराग्राफ बहुत ही बेहतर लगा

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  20. बहुत बढ़िया पोस्ट!
    गणतन्त्र दिवस की 62वीं वर्षगाँठ पर
    आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

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  21. बिलकुल सही कहा आपने। आपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...

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  22. आदरणीय ,
    आपका लेख बहुत ही चिंतनपरक है |
    देश से भ्रष्टाचार समाप्त करने के आह्वान
    से पूर्व हमें अपने अन्दर झांकना होगा |
    ईमानदारी की कमाई से भी जीवन जिया
    जा सकता है ,इस तथ्य को हृदयंगम करना
    होगा |

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  23. बिलकुल सही कहा आपने। आपको
    बहुत पसन्द आया
    हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
    बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ.

    गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!

    Happy Republic Day.........Jai HIND

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  24. बहुत देर हो गई सुशिल जी गणतन्त्र दिवस निकले ३दिन गुजर चुके हे | माफ़ी, फिर भी आप और आपके परिवार जन को हार्दिक शुभकामनाए

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आपकी अमूल्य प्रतिक्रियाओं के लिये धन्यवाद...