tag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post745221820246128470..comments2023-12-17T09:11:07.456+05:30Comments on नजरिया: पकी उम्र में नये जीवन-साथी का साथ...Sushil Bakliwalhttp://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-34273530158174602932013-01-08T02:39:15.688+05:302013-01-08T02:39:15.688+05:30♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
♥♥नव वर्ष मंगल...<b> </b> <br /><b> </b> <br />♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥<br /><b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.in/" rel="nofollow">♥♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥♥</a></b><br />♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥<br /><br /><b> </b> <br /><b> </b> <br /><b> </b> पत्नी के निधन के बाद अन्य महिला के साथ जीवनयापन करने , और आजीवन अकेले जीवन बिताने - दोनों ही परिस्थितियों में विधुर बुजुर्गों का जीवन बहुत दयनीय हो जाने की स्थितियां देखने में आती हैं । <br /><b> </b> इनकी पीड़ा की ओर अक्सर किसी का ध्यान भी नहीं जाते देखा । दोनों ही परिस्थितियों में विधुर उपेक्षा , अभाव और अपमान का शिकार होते देखे जाते हैं ... <br /><br /><b> आदरणीय सुशील बाकलीवाल जी </b><br /><b> </b> आपका लेख समाज के एक विकृत चेहरे को सामने लाता है । <br /><b> </b> मैं अपने निकट-दूर के ऐसे अनेक लोगों को जानता हूं ... <br />लेकिन , उनके बेटे-बहू अपना निजी मामला बता कर , या उन बुजुर्गों को ही गलत बतलाते हुए बड़ी कुटिलता से हमें किनारे कर देते हैं । ... और समाज में किसी को किसी के लिए कोई चिंता फिक्र और समय नहीं है । <br /><b> </b><br />गंभीर विषय है , विस्तृत विमर्श की आवश्यकता है इस पर ।<br />विचारणीय लेख के लिए साधुवाद !<br /><br /><b> शुभकामनाओं सहित… </b> <br />राजेन्द्र स्वर्णकार <br />◄▼▲▼▲▼▲▼▲▼▲▼▲▼▲▼▲▼▲▼►<br /><b> </b> <br /><b> </b>Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-3299878931134435402012-09-14T00:13:18.715+05:302012-09-14T00:13:18.715+05:30मेरे विचार से तो किसी को भी अकेले जीवन बिताने को अ...मेरे विचार से तो किसी को भी अकेले जीवन बिताने को अभिशप्त नहीं होना चाहिए.<br />यह भी सच है कि परिपक्व उम्र के जीवनसाथी परिवार के अन्य सदस्यों के साथ सरलता से नहीं रम पाते. परन्तु परिवार को अपना पूरा सहयोग देना चाहिए.<br />घुघूतीबासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-60312330383431574462012-07-14T14:26:30.348+05:302012-07-14T14:26:30.348+05:30किसी न किसी का तो साथ चाहिये ही..किसी न किसी का तो साथ चाहिये ही..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-69585895194952633952012-07-13T08:08:34.221+05:302012-07-13T08:08:34.221+05:30अकेले हुए प्रौढों या वृद्धों के अकेलेपन को दूर करन...अकेले हुए प्रौढों या वृद्धों के अकेलेपन को दूर करने की कुछ जिम्मेदारी तो उनके बच्चों की बनती ही है!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-58483288014800816982012-07-12T20:18:10.207+05:302012-07-12T20:18:10.207+05:30बच्चे नहीं चाहते कि कोई पिता के जीवन में आए और उन ...बच्चे नहीं चाहते कि कोई पिता के जीवन में आए और उन के उत्तराधिकार में हिस्सा बँटाए। <br />दुनिया में अधिकांश झगड़ों की जड़ निजि संपत्ति है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-40874529371565295972012-07-12T18:44:24.932+05:302012-07-12T18:44:24.932+05:30विचारणीय आलेख प्रस्तुति ... काश समाज की सोच बदल स...विचारणीय आलेख प्रस्तुति ... काश समाज की सोच बदल सकें ...समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-55078368585030131202012-07-12T17:11:39.508+05:302012-07-12T17:11:39.508+05:30बहुत अच्छी प्रस्तुति!बहुत अच्छी प्रस्तुति!Sawai Singh Rajpurohithttps://www.blogger.com/profile/12180922653822991202noreply@blogger.com