tag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post6062836257762904972..comments2023-12-17T09:11:07.456+05:30Comments on नजरिया: दानवीर कंजूस...!Sushil Bakliwalhttp://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comBlogger39125tag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-72292547122759543922011-02-18T19:51:28.744+05:302011-02-18T19:51:28.744+05:30बहुत सुन्दर व्यंग..आज भी ऐसे कंजूसों की कमी नहीं ह...बहुत सुन्दर व्यंग..आज भी ऐसे कंजूसों की कमी नहीं है..बहुत सुन्दर पोस्ट..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-35822681196102778052011-02-18T12:53:26.452+05:302011-02-18T12:53:26.452+05:30सुशील भाई आप ने हास्य और व्यंग्य का अनोखा संगम प्र...सुशील भाई आप ने हास्य और व्यंग्य का अनोखा संगम प्रस्तुत किया है| यह लेख समाज के लिए सचमुच एक आईना है| बधाई मान्यवर|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-3016060407277213322011-02-18T03:13:40.477+05:302011-02-18T03:13:40.477+05:30जय हो कजूँस महाराज की..बेहतरीन.जय हो कजूँस महाराज की..बेहतरीन.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-14785878630926125902011-02-17T23:13:39.077+05:302011-02-17T23:13:39.077+05:30दरअसल कंजूसी के पीछे आदमी का विगत अभावग्रस्त जीवन ...दरअसल कंजूसी के पीछे आदमी का विगत अभावग्रस्त जीवन का लम्बा संघर्ष होता है। आज भले ही वह धनी हो जाय लेकिन आदत नहीं सुधरती। उनके बच्चे अपने पिता की कंजूसी से चिढ़ते हैं, शाह खर्च होते हैं मगर वे अपनी आदत नहीं बदल सकते। <br /><br />मैं भी अपने पिता को महान कंजूस कहता था। एक पैसा बचाने के लिए वे 5 किमी पैदल चल सकते थे। आज वे नहीं हैं तो जान पाया हूँ कि उतना बड़ा घर उनकी महान कंजूसी से ही चल पाता था।<br />...बढ़िया पोस्ट।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-18517989130038882182011-02-17T12:16:41.034+05:302011-02-17T12:16:41.034+05:30या मुझे इस आई डी पर मेल करे :-
ramlal@hasyavyang....या मुझे इस आई डी पर मेल करे :- <br />ramlal@hasyavyang.tkरामपुरी सम्राट श्री राम लालhttps://www.blogger.com/profile/02033499886375477589noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-48436870222787459122011-02-17T12:14:20.130+05:302011-02-17T12:14:20.130+05:30सुंदर बात, क्या फर्क पड़ता है सोना हो या पत्थर जब इ...सुंदर बात, क्या फर्क पड़ता है सोना हो या पत्थर जब इस्तेमाल ही नहीं करना है <br /><br />आप "हास्य व्यंग ब्लोगर्स महासभा" मे श लेखक के तौर पर आमंत्रित है .... अपनी ई-मेल आई डी टिप्पणी बॉक्स मे दे या मुझे ई-मेल करे <br />hvba@rocketmail.comरामपुरी सम्राट श्री राम लालhttps://www.blogger.com/profile/02033499886375477589noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-55204111133632778602011-02-16T23:22:57.384+05:302011-02-16T23:22:57.384+05:30दिलचस्प संस्मरण...दिलचस्प कथा....
बधाई।दिलचस्प संस्मरण...दिलचस्प कथा....<br />बधाई।Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-13492073919935126892011-02-16T21:30:44.900+05:302011-02-16T21:30:44.900+05:30* anshumalaji,
धन्यवाद आपको अपना संस्मरण प्रस्तुत...* anshumalaji,<br />धन्यवाद आपको अपना संस्मरण प्रस्तुत करने के लिये.<br /><br />* sagebobji,<br />आभार... आपको आलेख पसन्द आया, मेरा भी लिखना सार्थक रहा.<br /><br />* Shambunathji,<br />आपके पधारने व इस ब्लाग को फालो करने के लिये धन्यवाद...Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-15861826746354067252011-02-16T21:13:15.899+05:302011-02-16T21:13:15.899+05:30दानवीरता पर बड़ा ही रोचक और अप्रतिम आलेख पढ़कर आनं...दानवीरता पर बड़ा ही रोचक और अप्रतिम आलेख पढ़कर आनंद आ गया...प्रस्तुति बिल्कुल नए ढंग की थी....Shambhu Nathhttps://www.blogger.com/profile/12952582534202082441noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-7650591169081802092011-02-16T20:46:31.498+05:302011-02-16T20:46:31.498+05:30आपका कंजूस पुराण बहुत ही बढ़िया रहा.
शुभ कामनाएंआपका कंजूस पुराण बहुत ही बढ़िया रहा.<br />शुभ कामनाएंविशालhttps://www.blogger.com/profile/06351646493594437643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-3785319086221211582011-02-16T16:53:50.354+05:302011-02-16T16:53:50.354+05:30हा मेरे पड़ोस में भी ऐसे ही कंजूस लोग है देखने में ...हा मेरे पड़ोस में भी ऐसे ही कंजूस लोग है देखने में अच्छे खासे है और लम्बी लम्बी हाकते भी लेकिन तब बहुत गुस्सा आता है जब उनको अपनी छोटी सी बेटी की बहुत तबियत ख़राब होने पर सरकारी अस्पताल में ले जा कर इलाज कराते देखती हूँ नाराज भी होंगे की वहा अच्छा इलाज नहीं है कोई ध्यान नहीं देता बेटी और बीमार ना हो जाये पर उसे किसी दूसरे अच्छे डाक्टर के पास नहीं ले जाते है वो भी हैसियत होते हुए भी |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-91838155343586575822011-02-16T14:02:22.029+05:302011-02-16T14:02:22.029+05:30* श्री मनोज कुमारजी,
आभार आपका प्रतिक्रिया देने क...* श्री मनोज कुमारजी,<br />आभार आपका प्रतिक्रिया देने के लिये. इस बार बहुत दिनों बाद आपका ब्लाग पर आना हुआ है.<br /><br />* श्री राज भाटियाजी सा.,<br />अच्छे संस्मरण बताये आपने बुरे दिनों के नाम पर बचत करने वाले कंजूसों के. धन्यवाद...<br /><br />* डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीतिजी,<br />आभार आपका महाकंजूस के चुटकुले को शेयर करते हुए इस आलेख को चर्चामंच में स्थान देने के लिये. विश्वगाथा ब्लाग की आपकी प्रस्तुति 'दानी मितव्ययी' बिल्कुल उत्तम दर्जे का उदाहरण प्रस्तुत करती है ।Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-28156961625938277272011-02-16T12:53:06.133+05:302011-02-16T12:53:06.133+05:30इसी सन्दर्भ में मेरी एक पोस्ट /कथा जो..विश्व्गाथा ...इसी सन्दर्भ में मेरी एक पोस्ट /कथा जो..विश्व्गाथा ब्लॉग में छपी थी ...<br /><br />http://vishwagatha.blogspot.com/2011/01/blog-post_17.html?spref=fbडॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीतिhttps://www.blogger.com/profile/08478064367045773177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-82045556860493955002011-02-16T12:52:38.008+05:302011-02-16T12:52:38.008+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीतिhttps://www.blogger.com/profile/08478064367045773177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-27420204043335096602011-02-16T12:42:17.123+05:302011-02-16T12:42:17.123+05:30बहुत सुन्दर अनुभव कथा लेख ..
एक चुटकुला
एक कंजूस ...बहुत सुन्दर अनुभव कथा लेख ..<br />एक चुटकुला <br />एक कंजूस चौथी मजिल पर छत साफ़ करते समय फिसल गया .. छत के ठीक नीचे उस जगह पर रसोई की खिडकी थी ..<br />नीचे गिरते समय खिडकी से सामने से चिल्लाता हुवा गिरा - .अरी ..मेरे लिए खाना मत चड़ा देना आज ...<br /><br />आपकी यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी ..यहा शुक्रवार को चर्चामंच पर होगी.. आप वह आ कर अपने विचार से अनुग्रहित करियेगा ...डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीतिhttps://www.blogger.com/profile/08478064367045773177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-42347387544051184422011-02-15T23:37:08.364+05:302011-02-15T23:37:08.364+05:30अजी हमारा पाला पडा हे इस से भी बडे कंजूसो से, जिन्...अजी हमारा पाला पडा हे इस से भी बडे कंजूसो से, जिन्होने आज तक किसी को इस लिये घर पर नही बुलाया कि कही चाय ना पिलानी पड जाये.... ओर यह लोग इतने महान कंजूस होते हे कि पेसा होने के वाजूद भी नमक से घटिया आटे की रोटी खाते हे, पता नही पेसा कब काम आयेगा, एक दो बार पुछा तो मालूम पडा बुरे समय के लिये बचत कर रहे हे, तो आज कोन सा समय अच्छा हे इन के लिये, अजी दुनिया रंगबिरंगी हे, एक बुजुर्ग अपने सगे देवर की लडकी की शादी मे सिर्फ़ इस लिये नही गई की शगून देना पडेगाराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-72923573311651598672011-02-15T22:43:54.184+05:302011-02-15T22:43:54.184+05:30बहुत सही लिखा है आपने।
बहुत वास्ता पड़ता है कंजूसो...बहुत सही लिखा है आपने।<br />बहुत वास्ता पड़ता है कंजूसों से।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-82270756109790028352011-02-15T21:46:47.603+05:302011-02-15T21:46:47.603+05:30* सुश्री वन्दनाजी,
ऐसे धुरंधरों से बच पाना भी कहा...* सुश्री वन्दनाजी,<br />ऐसे धुरंधरों से बच पाना भी कहाँ सम्भव हो पाता है.<br /><br />* डॉ टी एस दराल सरजी,<br />आदमी न कुछ लाया है और न कुछ साथ ले जा पायेगा इसीलिये तो जो कुछ ईश्वर की ओर से उसे मिला है उसका समयानुसार व्यवस्थित उपयोग कर ही लेना चाहिये.<br /> <br />* Shri amit-niveditaji,<br />मेक्जिमम लोग तो ऐसे नहीं हैं वर्ना समारोहों के अवसर पर 125/- रु. से लगाकर 1250/- रु. प्रति प्लेट का भोजन लोग कैसे अपने मेहमानों के लिये उपलब्ध करवा देते होते ?<br /><br />* श्री प्रवीण पाण्डेयजी,<br />आभार आपका, अपना मत प्रकट करने के लिये.Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-44075946131591621892011-02-15T21:32:52.420+05:302011-02-15T21:32:52.420+05:30* सुश्री निर्मला कपिलाजी,
यदि नेता उस धन को विदेश...* सुश्री निर्मला कपिलाजी,<br />यदि नेता उस धन को विदेशी बैंकों में रखकर मर रहे हैं तो देश के काम भी कैसे वह धन आ पा रहा है ?<br /><br />* श्री सुरेन्द्र सिंह " झंझट "<br />शुक्रिया आपका अपने विचार व्यक्त करने के लिये.<br /> <br />* दीदी श्री अजीत गुप्ताजी,<br />धन का बचाना भी आवश्यक लगता है और आवश्यकता के समय 100 की बजाय 110 खर्च करना भी आवश्यक लगता है. लेकिन जो बचाते ही चले जावें और खर्च करने के समय जेब पर ताला लगाकर बैठे रहें ऐसे ही लोगों के कारण यह आलेख आकार ले पाया है ।<br /><br />* सुश्री संगीता स्वरुपजी,<br />वाकई ऐसे लोग ही उस धन को मिट्टी सदृश बना देते हैं ।<br /><br />* श्री केवल रामजी,<br />वाकई चिंतनपरक, शब्द तो आवश्यकता के समय जिस रुप में भी आकार ले लें । आभार सहित..Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-14491731084858519522011-02-15T20:28:08.827+05:302011-02-15T20:28:08.827+05:30हाँ, पाला पड़ा है।हाँ, पाला पड़ा है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-29968767932967848312011-02-15T20:24:30.510+05:302011-02-15T20:24:30.510+05:30maximum log aise hi hain...maximum log aise hi hain...amit kumar srivastavahttps://www.blogger.com/profile/10782338665454125720noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-70148933056339699442011-02-15T17:35:10.754+05:302011-02-15T17:35:10.754+05:30आदमी क्या लेकर आया है जो sath लेकर जायेगा ।
aisi...आदमी क्या लेकर आया है जो sath लेकर जायेगा ।<br />aisi कंजूसी भी kis काम की ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-6065696350373906292011-02-15T15:09:37.215+05:302011-02-15T15:09:37.215+05:30ऐसे कंजूस हर जगह पाये जाने वाले प्राणी है और इनका ...ऐसे कंजूस हर जगह पाये जाने वाले प्राणी है और इनका होना समाज के लिये हानिकारक नही क्योंकि जो भी मिलेगा समाज को ही मिलेगा आखिर मे…………बस जब तक ज़िन्दा रहे ये लोग इनसे बचकर चलना चाहिये।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-52831222713034745602011-02-15T14:41:46.112+05:302011-02-15T14:41:46.112+05:30चिंतनपरक लेख ..शब्दों का बड़ी चतुराई से प्रयोग किय...चिंतनपरक लेख ..शब्दों का बड़ी चतुराई से प्रयोग किया है ....केवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-1407851357407996902011-02-15T13:04:16.268+05:302011-02-15T13:04:16.268+05:30ऐसे कंजूस भरे पडे हैं चारो ओर।
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अंतरिक्ष...ऐसे कंजूस भरे पडे हैं चारो ओर।<br /><br />---------<br /><b><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">अंतरिक्ष में वैलेंटाइन डे।</a></b><br /><b><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">अंधविश्वास:महिलाएं बदनाम क्यों हैं?</a></b>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.com