tag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post2593567014306197094..comments2023-12-17T09:11:07.456+05:30Comments on नजरिया: पिटाई से मुक्ति : वर्तमान बच्चों का सुख.Sushil Bakliwalhttp://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-47658555447212679682011-06-14T19:53:39.413+05:302011-06-14T19:53:39.413+05:30bhut sunder prstutibhut sunder prstutiVishu Singh Disodiahttps://www.blogger.com/profile/07071008279276451970noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-25877015192519274062011-06-14T17:29:05.947+05:302011-06-14T17:29:05.947+05:30यदि गलत करें तो टोकना चाहिए साथ ही गलत सही क्या है...यदि गलत करें तो टोकना चाहिए साथ ही गलत सही क्या है , ये अवश्य बताना चाहिए। बच्चों को मारना थोडा अनुचित लगता है।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-17438729252409538792011-06-14T12:38:22.351+05:302011-06-14T12:38:22.351+05:30आपका विचार सही है.
बच्चों के सही बहुमुखी विकास के...आपका विचार सही है. <br />बच्चों के सही बहुमुखी विकास के लिए प्यार और डांट-डपट दोनों जरूरी है.Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-64634897487788272322011-06-13T17:27:30.388+05:302011-06-13T17:27:30.388+05:30इस महत्वपूर्ण सामयिक चिंतन के लिए बधाई।
--------...इस महत्वपूर्ण सामयिक चिंतन के लिए बधाई।<br /><br />---------<br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">हॉट मॉडल केली ब्रुक... </a><br /><b><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">नदी : एक चिंतन यात्रा। </a></b>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-43767685573050360822011-06-13T15:00:47.646+05:302011-06-13T15:00:47.646+05:30मेरे माता-पिता का सूत्र वाक्य था कि डर या लिहाज़ आ...मेरे माता-पिता का सूत्र वाक्य था कि डर या लिहाज़ आँख का होना चाहिये न कि भय अथवा मार का ..... इसलिये हम भाई -बहन में से किसी की भी कभी पिटाई नहीं हुई और इसी वंश-परम्परा का निर्वहन हम सबने भी किया .... अपने बच्चों को सिर्फ़ समझाया और - नज़र न लगे - कोई दुष्परिणाम भी सामने नहीं आया ....सादर !निवेदिता श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17624652603897289696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-49324424047997908492011-06-13T13:41:06.029+05:302011-06-13T13:41:06.029+05:30ये खानदानी गुंडागर्दी आखिर कब तक चले गी...?
आज की ...ये खानदानी गुंडागर्दी आखिर कब तक चले गी...?<br />आज की पीढ़ी ...से तो यही सुनने की उम्मीद रखो !<br />बाकि आप और हम जैसे तो ऐसे लेख ही लिख कर समझा सकते हैं .आप की भी अच्छी कोशिश !<br /><br />शुभकामनाएँ !अशोक सलूजाhttps://www.blogger.com/profile/17024308581575034257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-63813163239372424202011-06-13T13:05:59.978+05:302011-06-13T13:05:59.978+05:30मुझे भी ऐसा लगता है की बड़ों की दाँत या पिटाई अगर ...मुझे भी ऐसा लगता है की बड़ों की दाँत या पिटाई अगर किसी अकचे बात को समझाने के लिए है तो वो ज़रूर काम आती है ... मुझे इसमें कोई बुराई नज़र नही आती ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-49509394586229436772011-06-13T12:45:10.298+05:302011-06-13T12:45:10.298+05:30Pitne ka dar bachpan me tha aur na pitne ka jawani...Pitne ka dar bachpan me tha aur na pitne ka jawani mein...jab yah pata chala ki ma baap ki patayee pyar ki barish hai to man tarasne laga...spare the ros spoil the child suna hai...par get the rod and get drenched in love shayad mahsoos kiya hai...<br /><br />Vicharotezzak lekh suresh ji...dhanyavaad.Vijuy Ronjanhttps://www.blogger.com/profile/05204504837179424572noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-46685192725976370282011-06-13T11:11:00.632+05:302011-06-13T11:11:00.632+05:30Well written... I agree with your points.
Nice re...Well written... I agree with your points. <br />Nice read !!Jyoti Mishrahttps://www.blogger.com/profile/01794675170127168298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-75678324740997656632011-06-13T11:09:19.215+05:302011-06-13T11:09:19.215+05:30बिलकुल आपसे सहमत हूँ। बच्चों को पिता या माँ का डर ...बिलकुल आपसे सहमत हूँ। बच्चों को पिता या माँ का डर होना जरूरी है। शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-29488636118113464002011-06-13T09:54:43.120+05:302011-06-13T09:54:43.120+05:30आपसे पूरी तरह से सहमत हूँ, समय समय पर पिटाई (डर) ज...आपसे पूरी तरह से सहमत हूँ, समय समय पर पिटाई (डर) जरूरी हैDeepak Sainihttps://www.blogger.com/profile/04297742055557765083noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-26449415769599019842011-06-13T09:48:36.118+05:302011-06-13T09:48:36.118+05:30जब पिटते थे तब बहुत बुरा लगता था और इस परम्परा पर...जब पिटते थे तब बहुत बुरा लगता था और इस परम्परा पर गुस्सा भी बहुत आता था। लेकिन अब जब पीटने का मौका नहीं मिलता तो लगता है कि कुछ छूट गया। हाय हमारी रेगिंग हो गयी और हम किसी की ले नहीं पाए? इस पीढी के बच्चे ढीट जरूर हो गए है लेकिन पीटना कतई विकल्प नहीं है। असल में हमने पीटने को त्यागकर डांटना भी बन्द कर दिया, यहाँ तक की उसे टोकना भी बन्द कर दिया और ऊपर से इतना लाड़-दुलार की बच्चा तो बिगडेगा ही ना।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-25351466185009751262011-06-13T09:46:13.412+05:302011-06-13T09:46:13.412+05:30Aapki bimar parichita ke liye kuchh shabd :
Nice p...Aapki bimar parichita ke liye kuchh shabd :<br />Nice post.<br />भारतीय आयुर्वेदाचार्यों ने इस संबंध में बेहतरीन उसूल दिए हैं:<br />मिसाल के तौर पर उन्होंने कहा है कि <br />1. हितभुक 2. मितभुक 3. ऋतभुक<br />अर्थात हितकारी खाओ, कम खाओ और ऋतु के अनुकूल खाओ।<br />हमें अपने महान पूर्वजों की ज्ञान संपदा से लाभ उठाना चाहिए।<br /><a href="http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/06/blog-post_3631.html" rel="nofollow">आज आदमी बीमार नहीं है र्बिल्क ‘फ़ूड प्रूविंग‘ का शिकार है-Dr. Anwer Jamal</a>DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-55060138038395244082011-06-13T09:43:32.414+05:302011-06-13T09:43:32.414+05:30पिटाई तो नहीं लेकिन कभी-कभी पिटाई अथवा घर वालों की...पिटाई तो नहीं लेकिन कभी-कभी पिटाई अथवा घर वालों की नाराज़गी का डर ज़रूर बच्चों को गलत कार्यों से रोक देता है...Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-78388698159512578982011-06-13T09:17:54.671+05:302011-06-13T09:17:54.671+05:30इस आलेख पर टिप्पणियों में विरोधी विचारधारा अधिक सा...इस आलेख पर टिप्पणियों में विरोधी विचारधारा अधिक सामने आने के कारण मैं किसी भी टिप्पणीकर्ता को अलग से सम्बोधित किये बगैर ये बताना चाहता हूँ कि 30-40 वर्ष पूर्व से लगाकर पौराणिक काल तक स्कूल व परिवार में पिटाई या सजा को उतना बुरा नहीं समझा जाता था जितना कि आज । पहला उदाहरण (पढे गये आधार पर) पौराणिक काल से- <br />कौरवों-पांडवों के बालपन में शिक्षा के दरम्यान गुरु द्रोण ने सभी को पढाया - क्रोध करना बुरी बात है, हमें क्रोध से बचना चाहिये । दूसरे दिन गुरु ने सभी बच्चों से पूछा कल का सबक सबने समझ लिया ? सभीने हाँ भरी किन्तु युधिष्ठिर बोला नहीं गुरुजी मुझे अभी कल का सबक याद नहीं हुआ है । गुरु ने फिर बताया और पूछा अब याद हुआ युधुष्ठिर ने फिर मना कर दिया । दो-तीन बार इसी क्रम की पुनरावृत्ति होने पर गुरु द्रोण ने अपने हाथ की छडी से युधिष्ठिर को मारते हुए पूछा - अब याद हुआ, नहीं युधिष्ठिर का जवाब था । अब तो गुरु मारते जाते और पूछते जाते अब याद हुआ और हर बार शांत भाव से खडे युधिष्ठिर का वही उत्तर होता नहीं गुरुजी । अंततः गुरु की युधिष्ठिर को मारते-मारते छडी टूट गई । गुरु ने आश्चर्यमिश्रीत दुःख से पूछा - इतनी सी बात तुम्हें याद क्यों नहीं हो पा रही है ? तब युधिष्ठिर ने जवाब दिया - सबक था क्रोध करना बुरी बात है हमें इससे बचना चाहिये और आपके इतना मारने पर भी मुझे क्रोध नहीं आया इसलिये मैं ये कह सकता हूँ कि अब मुझे यह सबक याद हो गया और गुरु द्रोण जो खुद क्रोध कर रहे थे ने युधुष्ठिर को गले से लगा लिया ।<br />दूसरी घटना जो मैंने शशिकपूर के सन्दर्भ में पढी थी - जब अपने पुत्र को उसके बचपन में बार-बार समझाने के बाद भी पुत्र का भोजन जूठा छोड देने की आदत समाप्त नहीं हुई तो पुत्र को कपडे उतारकर मारते हुए बाथरुम में बन्द करने की सजा देकर ही उसे उनके द्वारा ये बात समझाई गई ।<br />चूंकि विषय गंभीर हो चला है इसलिये मैं इसके शीर्षक में से 'कुटावडे' शब्द को संशोधित कर 'पिटाई' कर रहा हूँ ।Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-9484821772461018852011-06-13T08:22:16.267+05:302011-06-13T08:22:16.267+05:30भाई सुशील जी बहुत ही शिक्षाप्रद आलेख बधाई |भाई सुशील जी बहुत ही शिक्षाप्रद आलेख बधाई |जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-9817440450592472372011-06-13T08:09:45.698+05:302011-06-13T08:09:45.698+05:30कभी कभी झापड़ या झन्नाट वाक्य जीवन की दिशा बदल देत...कभी कभी झापड़ या झन्नाट वाक्य जीवन की दिशा बदल देते हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-33205426418116427002011-06-13T07:58:15.714+05:302011-06-13T07:58:15.714+05:30पिटाई का मैं सख्त विरोध करता हूँ। पीटना, अधिकतर पी...पिटाई का मैं सख्त विरोध करता हूँ। पीटना, अधिकतर पीटने वाले के दुःख व क्रोध का ही सूचक है। शांत व समझदार शिक्षक या माता-पिता को चाहिए कि पोस्ट में उद्धरित सिक्के कमाने जैसा कोई आइडिया लगा कर बच्चों को शिक्षित करें।<br />सबसे अच्छा है बच्चों से लगातार संवाद बनाये रखना। उनकी आधुनिक हो रही मानसिकता के अनुरूप तारतम्य बिठाते हुए, समझदारी से कमियाँ बताते रहना।<br />पीटने के साइड इफेक्ट होते हैं। मानसिक विकास अवरूद्ध हो सकता है। बच्चा दब्बू या निरंकुश हो सकता है। आधुनिक समाज में बढ़ रही बच्चों के द्वारा की जाने वाली आत्महत्याओं की घटना, संवाद हीनता के परिणाम भी हैं।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-74780981517792575662011-06-13T07:13:59.392+05:302011-06-13T07:13:59.392+05:30मास्टर की पिटाई से अगर कुछ नुकसान भी होता था तो आग...मास्टर की पिटाई से अगर कुछ नुकसान भी होता था तो आगे चल कर उसके परिणाम भी शुभ निकलते थे|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-61681109565678278942011-06-13T06:35:50.661+05:302011-06-13T06:35:50.661+05:30सुशील जी आपको कैसे मालूम हुआ की हम बाथरूम में बंद...सुशील जी आपको कैसे मालूम हुआ की हम बाथरूम में बंद करके पिटे है| पहले लोग गुरु के पास जाकर कहते थे" हड्डी हमारी और खाल तुम्हारी" और अब पुलिस में रिपोर्ट करते है अच्छी पोस्ट, आभार...Sunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-20027565926532316832011-06-13T06:29:17.264+05:302011-06-13T06:29:17.264+05:30अच्छी पोस्ट के लिए बधाई |पर मेरे ख्याल से टिप्पणीव...अच्छी पोस्ट के लिए बधाई |पर मेरे ख्याल से टिप्पणीव्यर्थ नहीं की जाती |इसके कई लाभ भी हैं |खैर नजरिया अपना अपना <br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-77145581633754882702011-06-13T03:34:21.183+05:302011-06-13T03:34:21.183+05:30नालायक मास्टर लोग पिटाई में ही विश्वास रखते थे...क...नालायक मास्टर लोग पिटाई में ही विश्वास रखते थे...क्योंकि समझा कर पढ़ाना कोई खेल नहीं है. यही हाल कमोवेश हर दूसरी जगह भी देखा जा सकता हैKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-44253413993956583592011-06-13T01:13:34.526+05:302011-06-13T01:13:34.526+05:30बहुत बढिया पोस्ट,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com...बहुत बढिया पोस्ट,<br /><a href="http://vivj2000.blogspot.com/" rel="nofollow"><b> विवेक जैन </b><i>vivj2000.blogspot.com</i></a>Vivek Jainhttps://www.blogger.com/profile/06451362299284545765noreply@blogger.com