tag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post1895647751685811589..comments2023-12-17T09:11:07.456+05:30Comments on नजरिया: आखिर क्यों ?Sushil Bakliwalhttp://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-8567736251235120642010-12-10T20:15:29.953+05:302010-12-10T20:15:29.953+05:30आपका विशेष रूप धन्यवादआपका विशेष रूप धन्यवादSawai Singh Rajpurohithttps://www.blogger.com/profile/12180922653822991202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-48534073487551490602010-12-10T19:54:51.199+05:302010-12-10T19:54:51.199+05:30मेरे ब्लॉग "एक्टिवे लाइफ" पर आने के लिए ...मेरे ब्लॉग "एक्टिवे लाइफ" पर आने के लिए दिल से धन्यवाद ...Sawai Singh Rajpurohithttps://www.blogger.com/profile/12180922653822991202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-22844959776188459462010-12-09T14:27:19.940+05:302010-12-09T14:27:19.940+05:30... saarthak abhivyakti !!!... saarthak abhivyakti !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-80676469875195776792010-12-09T12:22:45.559+05:302010-12-09T12:22:45.559+05:30कथनी और करनी का अंतर ना जाने क्यों हमेशा से बना रह...कथनी और करनी का अंतर ना जाने क्यों हमेशा से बना रहा है.....<br />सार्थक सन्देश ..... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-69258789429619258482010-12-08T16:29:25.458+05:302010-12-08T16:29:25.458+05:30"जागरूक और आज के समाज के लिए एक प्रश्न भी&quo..."जागरूक और आज के समाज के लिए एक प्रश्न भी"<br />शुभकामनायें !!!सूर्यदीप अंकित त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/06317463615959494209noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-20551375659591007572010-12-06T15:13:19.750+05:302010-12-06T15:13:19.750+05:30आप की रचना तो प्रेरक है, परन्तु लोग दूसरों को सुधर...आप की रचना तो प्रेरक है, परन्तु लोग दूसरों को सुधरने के लिए ही बोलतें हैं, खुद को नहीं |<br />ये संसार हमीं से बना है दूसरों को छोंड कर अगर हम अपने आप को सुधारें तो देश क्या, पूरा संसार सुधर जायेगा |<br />बहुत सुन्दर रचना, बहुत - बहुत शुभकामनालाल कलमhttps://www.blogger.com/profile/10463937302054552696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-66102565893031161452010-12-05T18:22:37.477+05:302010-12-05T18:22:37.477+05:30आपके संस्मरण बहुत ही प्रेरक हैं!आपके संस्मरण बहुत ही प्रेरक हैं!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-17613796476971713842010-12-05T17:43:26.657+05:302010-12-05T17:43:26.657+05:30कथनी और करनी के बीच की खाई को पाटने की आवश्यकता है...कथनी और करनी के बीच की खाई को पाटने की आवश्यकता है !<br />विचारपूर्ण आलेख!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-20419591954538808062010-12-05T12:21:59.958+05:302010-12-05T12:21:59.958+05:30जी हाँ इसीलिए कहा गया है हाथी के दाँत खाने के और ह...जी हाँ इसीलिए कहा गया है हाथी के दाँत खाने के और होते हैं और दिखाने के और्………………सब दोगला चरित्र जीते हैं जब अपने पर आती है तो कुछ और ही ख्याल होते हैं और जब दूसरे के साथ हो तो कुछ और ………।यही दुनिया की रीत है और ये आसानी से बदलने वाली नही है……………कलयुग इसीलिये तो है वरना सतयुग ना कहलाता।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-80618957751664053682010-12-05T10:24:58.551+05:302010-12-05T10:24:58.551+05:30शायद हम ऐसे नहीं थे...
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभा...शायद हम ऐसे नहीं थे...<br />सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार<br /><br />आपके अपने ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है<br />http://arvindjangid.blogspot.com/Arvind Jangidhttps://www.blogger.com/profile/02090175008133230932noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-80062363273034719782010-12-05T08:35:26.427+05:302010-12-05T08:35:26.427+05:30जी, अब मेरे विचार से पोस्ट अधिक वजनी हो गया है।..आ...जी, अब मेरे विचार से पोस्ट अधिक वजनी हो गया है।..आभार।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-799952713096323892010-12-05T05:28:30.485+05:302010-12-05T05:28:30.485+05:30अंतिम पैरा इस पोस्ट के साथ न लिखते तो अधिक अच्छा ह...अंतिम पैरा इस पोस्ट के साथ न लिखते तो अधिक अच्छा होता। <br />....हम ऐसे ही हैं जैसा आपने लिखा...हमारे में सुधार की भी पूरी संभावना है क्योंकि आपकी पोस्ट अच्छी लगती है।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-51815184387215537042010-12-05T00:28:25.097+05:302010-12-05T00:28:25.097+05:30संगीता जी से पूर्णत्: सहमति तथा सुशील जी ने जो कहा...संगीता जी से पूर्णत्: सहमति तथा सुशील जी ने जो कहा वह भी कि हम प्राय: दो तरह से जीवन जिया करते हैं, पर यह किसी देश या देश वासी का स्वभाव नही वरन् सामाजिक मनुष्य की साधारण व्यवस्था है, जो वह अपने समाजिक हित के लिये करता है,समाज में जो चल रहा है, उसे बद्लने का पहला प्रयास स्व्यं को बदलना है, सुशील जी का धन्यवाद जो हमारे ब्लाग पर भी उन्होंने अपनी राय दी और उत्साहवर्धन किया। हम 100 वर्ष में शत प्रतिशत ना बद्लें पर 10वर्षों में 100अच्छे लोगों से मिलकर 10प्रतिशत तो बदलेंगे।<br />dprabhakarsblog.blogspot.comD.Prabhakarhttps://www.blogger.com/profile/07951611817156965602noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-28252057938228963242010-12-04T23:23:14.349+05:302010-12-04T23:23:14.349+05:30आचरण सबका अलग अलग होता है ....और यह भी सही है की घ...आचरण सबका अलग अलग होता है ....और यह भी सही है की घर में कुछ और बाहर कुछ होता है ...लेकिन यह कह कर की हम सुधरने वाले नहीं ...अपनी ज़िम्मेदारी से भागना जैसा है ....विचारणीय पोस्टसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-76230415752947516802010-12-04T17:30:17.025+05:302010-12-04T17:30:17.025+05:30जी हां, हम ऐसे ही हैं, हमारी कथनी और करनी में हमेश...जी हां, हम ऐसे ही हैं, हमारी कथनी और करनी में हमेशा फ़र्क़ होता ही है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-79698870591454775572010-12-04T16:55:25.356+05:302010-12-04T16:55:25.356+05:30कोशिशे जारी रखें ... शुभकामना ...कोशिशे जारी रखें ... शुभकामना ...समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-8814838325495208792010-12-04T16:09:55.936+05:302010-12-04T16:09:55.936+05:30निर्लिप्त निस्वार्थ बनना अति कठिन कार्य है, पर हमे...निर्लिप्त निस्वार्थ बनना अति कठिन कार्य है, पर हमें कोशीशें अवश्य करनी चाहिए।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-63748898511737519552010-12-04T16:04:05.312+05:302010-12-04T16:04:05.312+05:30हमको सुधरने में वर्षों कि गिनतियाँ समाप्त हो जाएँग...हमको सुधरने में वर्षों कि गिनतियाँ समाप्त हो जाएँगीSunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-83234153333520867172010-12-04T15:46:34.700+05:302010-12-04T15:46:34.700+05:30सर जी, ये ब्लागजगत तो अन्त में अतिरिक्त उदाहरण के...सर जी, ये ब्लागजगत तो अन्त में अतिरिक्त उदाहरण के रुप में ही है । अलबत्ता आपकी ये बात सही है कि हम हिन्दुस्तानियों को सुधरने में अभी १०० साल और लगेंगे (वैसे तो शायद हम नहीं सुधरेंगे)Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2400677247486190844.post-8703403576222555442010-12-04T15:34:41.780+05:302010-12-04T15:34:41.780+05:30"यदि आप इस ब्लाग जगत में सीनियर हैं और हिन्दी..."यदि आप इस ब्लाग जगत में सीनियर हैं और हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये सार्वजनिक तौर पर अपने वक्तव्यों के द्वारा अधिक से अधिक नये लेखकों को आमन्त्रित करने के लेखों में दिखाई देते हैं व इस आधार पर जो समर्थन अनुसरणकर्ता के रुप में औऱ अपने उन लेखों पर टिप्पणियों के रुप में आप पाते हैं क्या व्यक्तिगत तौर पर भी किसी नये लेखाकार की उसके किसी प्रयास पर टिप्पणी के रुप में या अनुसरणकर्ता के रुप में वैसी ही हौसला आफजाई आप कर पाते हैं ?"<br /><br />सर जी, मैं हाजिर हूँ और निष्कर्ष वाली बात कहूंगा कि आंशिक तौर पर हम हिन्दुस्तानियों को सुधरने में अभी १०० साल और लगेंगे ( पूर्णतया तो शायद ही कभी सुधरें )पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.com