11.2.17

आपके हाथ की उंगलियां और आप.


          जैसा कि तस्वीर मे दिखाया गया है उस से आपको हाथ की उंगलियों के नाम पता चल गये होंगे ।

सबसे पहले तर्जनी की बात...
           अगर यह उंगली सीधी है, कहीं से भी टेडापन नहीं है और ना ही इस उंगली का झुकाव मध्यमा की तरफ या अंगूठे की तरफ हो रहा हो तो ऐसा व्यक्ति इरादे का पक्का, बुलंदी को छुने का इरादा रखने वाला और दूसरों पर राज़ करने वाला होना चाहिये ।

फिर मध्यमा की बात...
           अगर यह उंगली सीधी है, कहीं से भी टेडापन नहीं है और ना ही इस उंगली का झुकाव अनामिका की तरफ या तर्जनी की तरफ हो रहा हो तो ऐसा व्यक्ति सन्यास / उदासी को पसंद करने वाला - अलग थलग रहने का आदि और भीड़ में/घर परिवार मे घुलमिल कर न रहने वाला होना चाहिये ।

 अब अनामिका की बात...
          
अगर यह उंगली सीधी है, कहीं से भी टेढापन नहीं है और ना ही इस उंगली का झुकाव मध्यमा या कनिष्का की तरफ हो रहा हो तो ऐसा व्यक्ति अपने हाथ की / से कमाई करने वाला, उसके पास कोई ना कोई हुनर होगा जिस से वो कमाई कर रहा होगा । खुद भी हाथ से काम करके खुश होगा / हाथ से काम करना पसंद करेगा ।

अब कनिष्का / कनिष्ठ की बात...
          
अगर यह उंगली सीधी है, कहीं से भी टेढापन नहीं है और ना ही इस उंगली का झुकाव अनामिका की तरफ हो रहा हो तो ऐसा व्यक्ति बोलने मे माहिर ( तर्क शक्ति का होना ) और दिमागी तौर पर बलवान होना चाहिये ।

          
सीधी उंगलियों के बारे जानने के बाद अब झुकाव किस तरफ है उंगली का और उसका क्या असर होगा यह समझते हैं ।

         
अगर सभी उंगलियों का झुकाव तर्जनी की तरफ हो रहा है तो ऐसा व्यक्ति पक्के इरादे वाला, आज़ाद तबियत का मालिक और कभी भी हौसला ना हारने वाला होगा ।
  
          अगर तर्जनी का झुकाव मध्यमा की तरफ हो जाये तो जो उपर लिखा है उसके उल्ट प्रभाव वाला होना चाहिये ।

         
अगर सभी उंगलियों का झुकाव मध्यमा कि तरफ हो जाये तो उदासी और अकेलेपन का आदि होगा ।

         
अगर मध्यमा का झुकाव तर्जनी की तरफ हो तो दुनिया को छोड़ देने का ख्याल और बेकार के ख्यालों में खोये रहने वाली उदासी का मालिक होगा ।

         
अगर मध्यमा का झुकाव अनामिका की तरफ हो तो एक क्षण में खुश और दूसरे ही क्षण उदास टाईप की अजीबो गरीब तबियत का मालिक होगा ।

         
अगर अनामिका का झुकाव मध्यमा की तरफ हो जाये तो शोहरत चाहने वाला होगा जो कि थोड़ी बहुत मिल भी सकती है ।

         
अगर अनामिका का झुकाव कनिष्का / कनिष्ठ की तरफ हो तो हाथ से काम करने वाला, व्यापारी और पैसे का पीर होगा, हो सकता है कि ऐसे व्यक्ति को पैसे से ज़्यादा किसी से प्यार न हो ।

         
अगर कनिष्का/कनिष्ठ उंगली का झुकाव अनामिका की तरफ हो तो दिमागी ताकत का मालिक और हाथ के काम से लाभ उठाना जानता होगा ।
 
 

8.2.17

अगली शताब्दी में जीवन...


           सन् 2095 यानि आज से लगभग 79 साल बाद...

         
रितेश अपने कमरे में चुपचाप गुमसुम सा बैठा है, तभी मम्मी की तरंगे कैच होने लगती है (उस समय तक शायद मोबाईल म्यूज़ियम में पहुंच जावेंगे और ऐसे छोटे-छोटे ऊँगलियों में फिट होने वाले गेजेट्स आ जायेंगे जिनका बटन ऑन करने के बाद जिस व्यक्ति के बारे में सोचेंगे उस से मानसिक तरंगो से बात होना शुरू हो जाएगी जैसे अभी मोबाईल से होती है ।
 
          
रितेश हलो मम्मी ...कैसी है आप ?

         
मम्मी--ठीक हूँ बेटा... तू बता अभी अमेरिका में धूप निकली की नही  ?

         
रितेश--नही मम्मी अभी कहाँ... करीब दो महीने तो हो गए... अभी तो अन्धेरा ही है और मौसम विभाग की भविष्यवाणी हुई है की अभी एक महीने और सूरज निकलने के आसार नही है ।

         
मम्मी--हूँsss यहाँ भी स्थिति ठीक नही है...  पिछले एक महीने से सूरज ढल ही नही रहा...  85 डिग्री सेल्सियस तापमान बना हुआ है... भयंकर पराबैंगनी किरणे फैली हुई है... कल ही पडौस वाले जोशीजी का मांस पिघल कर गिरने लगा था... वो अभी भी I.C.U  में भर्ती है ।

         
रितेश--ओह्ह...  तो क्या उन्होंने घर पे ओजोन कवर नही लगा रखा है ?

         
मम्मी--घर पर तो लगवा रखा है पर उनकी कार का ओजोन कवर थोडा पुराना हो गया था इसलिए... उसमें छेद हो गया और पराबैंगनी किरणें उनकी बॉडी से टच हो गई थी ।

       
रितेश--अच्छा मम्मी आपने सुना इधर एक बड़ी घटना हो गई... परसों अमेरिका के किसी कस्बे में एक पौधा पाया गया... पूरी दुनिया में अफरातफरी मच गई । दुनिया भर के वैज्ञानिक वहाँ इकठ्ठा हो गए, काफी रिसर्च चल रही है, आखिर दुनिया में एक वनस्पति दिखाई देना बहुत बड़ी बात है ।

         
मम्मी--अच्छा बेटा तू टाईम से अपने भोजन के केप्सूल तो लेता है ना ? और हाँ- वो पानी वाले केप्सूल लेना मत भूलना, वरना तेरी तबियत खराब हो जाएगी और टाईम से ऑक्सीजन लेते रहना बेटा, तेरे पापा ने एक बार ऑक्सीजन लेने में लापरवाही कर दी थी तो पूरे फेफड़े ही बदलवाने पड़ गए... तू तो जानता ही है की अच्छे वाले फेफड़े कितने महंगे हो गए है...।

         
रितेश:---मम्मी अभी  बजाज के फेफड़े लांच होने वाले हैं जो किमत में काफी कम है और सर्विस होंडा के फेफड़ो जैसी ही रहेगी । और हां मम्मी आप भी याद रखना घर में तीन चार लिवर एक्स्ट्रा रखा करो..... यूं भी दादाजी को हर तीन महीने में नया लिवर लगता ही है, एकाध एक्स्ट्रा भी रहना चाहिए कब रात-बिरात जरूरत पड़ जाए ।

         
अभी हमें यह मजाक लग सकता है, पर अपनी आने वाली पीढ़ी को यदि इन परिस्थितियों से बचाना है तो हमें  इसके लिये ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने ही होंगे और अपने दोस्तों/रिश्तेदारों/कलिग्स को भी इसके लिए प्रेरित करना होगा ।

4.2.17

तब से अब तक...!



            एक राजा को मलाई रबड़ी खाने का शौक था । उसे रात में सोने से पहले मलाई रबड़ी खाए बिना नींद नहीं आती थी ।  इसके लिए राजा ने एक नौकर को रोजाना चार आने की मलाई लाने की ड्यूटी दे दी । यह क्रम कई दिनों तक चलता रहा ।

           
कुछ समय बाद खजांची को शक हुआ कि कहीं  नौकर चार आने की मलाई में गड़बड़ तो नहीं कर रहा । उसने चुपचाप नौकर पर नजर रखनी शुरू की तो देखा कि नौकर केवल तीन आने की मलाई लाता है और एक आना बचा लेता है । अपनी चोरी पकड़ी जाने पर नौकर ने खजांची को एक आने की रिश्वत देना शुरू कर दिया अब राजा को दो आने की मलाई रबड़ी मिलती जिसे वह चार आने की समझ कर खाता ।

           
कुछ दिन बाद राजा को शक हुआ कि मलाई की मात्रा में कमी हो रही है । राजा ने अपने खास मंत्री को अपनी शंका बतलाई और असलियत पता करने को कहा- मंत्री ने पूछताछ शुरू की तो खजांची ने एक आने का प्रस्ताव मंत्री को भी दे दिया ।

           
अब हालात ये हुए कि नौकर को केवल दो आने मिलते जिसमें से एक आना नौकर रख लेता और एक आने की मलाई रबड़ी राजा के लिए ले जाता । कुछ दिन गुजरने पर हलवाई जिसकी दुकान से रोजाना मलाई रबड़ी जाती थी उसे संदेह हुआ कि पहले तीन आने की मलाई जाती थी अब घटते घटते एक आने की रह गई ।

           
हलवाई ने नौकर को पूछना शुरू किया और राजा को बतलाने की धमकी दी । नौकर ने पूरी बात खजांची को बतलाई और खजांची ने मंत्री को । अंत में यह तय हुआ कि एक आना हलवाई को भी दे दिया जाये । अब समस्या यह हुई कि मलाई कहां से आएगी और राजा को क्या बताया जाएगा, इसकी जिम्मेदारी मंत्री ने ले ली ।

           
इस घटना के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि राजा को मलाई की प्रतीक्षा करते-करते नींद आ गयी । उसी समय मंत्री ने राजा की मूछों पर सफेद चाक (खड़िया) का घोल लगा दिया । अगले दिन राजा ने उठते ही नौकर को बुलाया तो मंत्री और खजांची भी दौड़े आए । राजा ने पूछा -कल मलाई क्यों नही लाये ?
             
     नौकर ने खजांची और मंत्री की ओर देखा.... तभी मंत्री बोला - हुजर यह लाया थाआप सो गए थे  इसलिए मैने आपको सोते में ही खिला दी थी ।  देखिए अभी तक भी आपकी मूछों में लगी है । यह कहकर उसने राजा को आईना दिखाया । मूछों पर लगी सफेदी को देखकर राजा को विश्वास हो गया कि उसने मलाई खाई थी । 

           
अब यह रोज का क्रम हो गया, खजाने से पैसे निकलते और बंट जाते, राजा के मुंह पर सफेदी लग जाती ।

           
यह कहानी आज के समय में  भी एक दम फिट है । आप कल्पना करें कि- आम जनता राजा है,  मंत्री हमारे नेता हैं और अधिकारी व ठेकेदार ये खजांची और हलवाई हैं । पैसा भले कामों के लिए निकलता है और आम आदमी को चूना दिखाकर बहला दिया जाता है ।

26.1.17

सबक और आशा...


            एक बेटा अपने वृद्ध पिता को रात्रि भोज के लिए एक अच्छे रेस्टॉरेंट में लेकर गया । खाने के दौरान वृद्ध पिता ने कई बार भोजन अपने कपड़ों पर गिराया ।  रेस्टॉरेंट में बैठे दुसरे खाना खा रहे लोग वृद्ध को तिरस्कारपूर्ण नजरों से देख रहे थे, लेकिन वृद्ध का बेटा शांत था ।

             खाने के बाद बिना किसी शर्म के बेटा, वृद्ध को वॉश रूम ले गयाउसके कपड़े साफ़ किये, चेहरा साफ़ किया, बालों में कंघी की, और चश्मा पहनाकर बाहर लाया । सभी लोग खामोशी से उन्हें ही देख रहे थे । बेटे ने बिल का पेमेन्ट किया और अपने परिवार सहित बाहर जाने लगा । तभी डिनर कर रहे एक अन्य वृद्ध ने बेटे को आवाज दी और उससे पूछा- "क्या तुम्हे नहीं लगता कि यहाँ अपने पीछे तुम कुछ छोड़ कर जा रहे हो ?"

            बेटे ने जवाब दिया- "नहीं सर, मैं कुछ भी छोड़ कर नहीं जा रहा ।"

            वृद्ध ने कहा "बेटे, तुम यहाँ छोड़ कर जा रहे हो, प्रत्येक पुत्र के लिए एक शिक्षा (सबक) और प्रत्येक पिता के लिए उम्मीद (आशा)...

            दोस्तों आमतौर पर हम लोग अपने बुजुर्ग माता पिता को अपने साथ बाहर ले जाना पसंद नही करते और कहते हैं क्या करोगे आप से चला तो जाता नही, ठीक से खाया भी नही जाता । आप घर पर ही रहो वही अच्छा होगा ।

            किंतु आप यह क्यों भूल जाते हैं कि जब आप छोटे थे और आप के माता पिता आप को अपनी गोद मे उठा कर ले जाया करते थे । आप जब ठीक से खा नही पाते थे तो माँ आपको अपने हाथ से खाना खिलाती थी और खाना गिर जाने पर डाँट नही प्यार जताती थी । फिर वही माँ बाप उनके बुढापे मे भार स्वरुप क्यो लगने लगते है ?

          इस पृथ्वी पर तो माँ-बाप की तुलना भगवान से ही की गई है इसलिये उनकी सेवा कीजिये और उन्हे प्यार दीजियेक्योकि एक दिन आप भी बूढे होंगे फिर अपने बच्चो से सेवा की उम्मीद कैसे करेंगे किंतु यदि इसे पढने के बाद अगर 10% लोगों में भी बदलाव आ गया तब तो यह पोस्ट अपने उद्देश्य में सार्थक है ही ।

23.1.17

तिमारदारी का बदलता स्वरुप.

     पिताजी बीमार पड़ गये, उन्हें आनन-फानन में नज़दीक के अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा । अस्पताल पहुँचते ही बेटे ने अस्पताल के बेड पर उनकी फोटो खींची और फेसबुक-वॉट्सएप पर Father ill admitted to hospital  स्टेटस के साथ अपलोड कर दी ।

           
फेसबुकिया यारों ने भी 'Like' मार-मार कर अपनी 'ड्यूटी' पूरी कर दी । बेटा भी अपने मोबाइल पर पिताजी की हालत 'Update' करता रहा । पिताजी व्याकुल आँखों से अपने 'व्यस्त' बेटे से बात करने को तरसते रहे...! 

           
आज बेटे ने देखा कि पिताजी की हालत कुछ ज्यादा ख़राब है ! पुराना वक्त होता तो बेटा भागता हुआ डाक्टर को गुहार लगाता, पर उसने झट से 'बदहवास' पिता की एक-दो फोटो और खींच कर 'Condition critical'  के स्टेटस के साथ अपलोड कर दीफेसबुकिया यारों ने हर बार की तरह इस बार भी अपनी ज़िम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभा दी ।

           
दो-चार घनिष्ठ मित्रों ने बेहद मार्मिक कमेंट कर अपने संवेदनशील होने का प्रमाण दिया । 'वाह ! इनकी आँख के आँसू भी साफ दिख रहे हैं । 'फोटो  कैमरे से लिया है या मोबाइल से ?'

           
तभी नर्स आई - 'आप ने पेशेंट को दवाई दी

            दवाई

           बिगड़ी हालत देख, नर्स ने घंटी बजाई 'इन्हें एमरजेंसी में ले जा रहे हैं !

           
थोड़ी देर में 'बेटा' लिखता है- 'पिताजी चल बसे ! सॉरी..नो फोटो..मेरे पिताजी का अभी-अभी देहांत हो गया !  ICU में फोटो खींचनी अलाउड नहीं थी....'

           
कुछ कमेंट्स आए - 'ओह, आखरी वक्त में आप फोटो भी नहीं खींच पाए !'

           '
अस्पताल को अंतिम समय पर यादगार के लिए फोटो खींचने देना चाहिए थी !'

            'RIP'       'RIP'

            '
अंतिम विदाई की फोटो जरूर अपलोड करना'

           
पिताजी चले गए थे... पर बेटा संतुष्ट था.... इतने 'लाइक' और 'कमेंट्स' उसे पहले कभी नहीं आए थे....

           
कुछ खास रिश्तेदार अस्पताल आ गए थे...      कुछ एक ने उसे गले लगाया...     गले लगते हुए भी बेटा मोबाइल पर कुछ लिख रहा था ।

           
बेटा कितना कर्त्तव्यनिष्ठ था !  बाप के जाने के समय भी.... सबको 'थैंक्स टू ऑल' लिख रहा था...!

           
रिश्ते अपना नया अर्थ खोज रहे थे !

22.1.17

जीवन में साथी की अहमियत...

              
            मेरी पत्नी ने कुछ दिनों पहले घर की छत पर कुछ गमले रखवा दिए और एक छोटा सा गार्डन बना लिया । पिछले दिनों मैं छत पर गया तो यह देख कर हैरान रह गया कि कई गमलों में फूल खिल गए हैं, नींबू के पौधे में दो नींबू भी लटके हुए हैं और दो चार हरी मिर्च भी लटकी हुई नज़र आई ।

           
मैंने देखा कि पिछले हफ्ते उसने बांस का जो पौधा गमले में लगाया था, उस गमले को घसीट कर दूसरे गमले के पास कर रही थी । मैंने कहा तुम इस भारी गमले को क्यों घसीट रही हो ? पत्नी ने मुझसे कहा कि यहां ये बांस का पौधा सूख रहा है, इसे खिसका कर इस पौधे के पास कर देते हैं । मैं हँस पड़ा और कहा - अरे पौधा सूख रहा है तो खाद डालो, पानी डालो । इसे खिसका कर किसी और पौधे के पास कर देने से क्या होगा ? पत्नी ने तब मुस्कुराते हुए कहा ये पौधा यहां अकेला है इसलिए मुर्झा रहा है । इसे इस पौधे के पास कर देंगे तो ये फिर लहलहा उठेगा । 

           
पौधे भी अकेले में सूख जाते हैं, और उन्हें अगर किसी और पौधे का साथ मिल जाए तो जी उठते हैं । यह बहुत अजीब सी बात थी। एक-एक कर कई तस्वीरें आखों के आगे बनती चली गई...

           
मां की मौत के बाद पिताजी कैसे एक ही रात में बूढ़े, बहुत बूढ़े हो गए थे । हालांकि मां के जाने के बाद सोलह साल तक वो रहे, लेकिन सूखते हुए पौधे की तरह । मां के रहते हुए जिस पिताजी को मैंने कभी उदास नहीं देखा था, वो मां के जाने के बाद खामोश से हो गए थे । मुझे पत्नी के विश्वास पर पूरा विश्वास हो रहा था...  लग रहा था कि सचमुच पौधे भी अकेले में सूख जाते होंगे । 

           
बचपन में एक बार मैं बाज़ार से एक छोटी सी रंगीन मछली खरीद कर लाया था और उसे शीशे के जार में पानी भर कर रख दिया था । मछली सारा दिन गुमसुम रही । मैंने उसके लिए खाना भी डाला, लेकिन वो चुपचाप इधर-उधर पानी में अनमनी सा घूमती रही । सारा खाना जार की तलहटी में जाकर बैठ गया, मछली ने कुछ नहीं खाया । दो दिनों तक वो ऐसे ही रही, और एक सुबह मैंने देखा कि वो पानी की सतह पर उल्टी पड़ी थी । आज मुझे घर में पाली वो छोटी सी मछली याद आ रही थी । बचपन में किसी ने मुझे ये नहीं बताया था, अगर मालूम होता तो कम से कम दो- तीन या ढ़ेर सारी मछलियां खरीद लाता और मेरी वो प्यारी मछली यूं तन्हा न मर जाती । 

           
बचपन में माँ से सुना था कि लोग मकान बनवाते थे तो रोशनी के लिए कमरे में दीपक रखने के दीवार में दो मोखे इसलिए बनवाते थे क्योंकि माँ का कहना था कि बेचारा अकेला मोखा गुमसुम और उदास हो जाता है ।

           
मुझे लगता है कि संसार में किसी को भी अकेलापन पसंद नहीं । आदमी हो या पौधा, हर किसी को किसी न किसी के साथ की ज़रुरत होती है ।

           
आप अपने आसपास झांकिए, अगर कहीं कोई अकेला दिखे तो उसे अपना साथ दीजिए उसे मुरझाने से बचाइए और अगर आप अकेले हों, तो आप भी किसी का साथ लीजिएखुद को भी मुरझाने से रोकिए ।

           
अकेलापन संसार में सबसे बड़ी सजा है । गमले के पौधे को तो हाथ से खींच कर दूसरे पौधे के पास किया जा सकता है, लेकिन आदमी को करीब लाने के लिए जरुरत होती है रिश्तों को समझने की, सहेजने की और समेटने की ।
 
           
अगर मन के किसी कोने में आपको लगे कि ज़िंदगी का रस सूख रहा हैजीवन मुरझा रहा है तो उस पर रिश्तों के प्यार का रस डालिए । खुश रहिए और मुस्कुराइए ।  कोई यूं ही किसी की भी गलती से आपसे दूर हो गया हो तो उसे अपने करीब लाने की कोशिश कीजिए और हो जाइए हरे-भरे ।