26.6.16

सामर्थ्य - समय व धैर्य की...


            एक साधु था, वह रोज घाट के किनारे बैठ कर चिल्लाया करता था, "जो चाहोगे सो पाओगे"  "जो चाहोगे सो पाओगे।"

            बहुत से लोग वहाँ से गुजरते थे पर कोई भी उसकी बात पर ध्यान नहीँ देता था सब उसे पागल समझते थे ।

             एक दिन एक युवक वहाँ से गुजरा और उसने उस साधु की आवाज सुनी-  "जो चाहोगे सो पाओगे"   "जो चाहोगे सो पाओगे।"

            वह आवाज सुनते ही उसके पास चला गया ।

            उसने साधु से पूछा - महाराज आप बोल रहे थे कि
"जो चाहोगे सो पाओगे" ।

            तो क्या आप मुझको वो दे सकते हो जो मैं जो चाहता हूँ ?

            साधु उसकी बात को सुनकर बोला –  हाँ बेटा तुम जो कुछ भी चाहते हो  उसे मैं तुम्हें जरुर दुँगा, बस तुम्हे मेरी बात माननी होगी । लेकिन उसके पहले ये बताओ कि तुम्हे आखिर चाहिये क्या ?

            युवक बोला-
"मेरी एक ही ख्वाहिश है, मैँ हीरों का बहुत बड़ा व्यापारी बनना चाहता हूँ ।"

            साधू बोला-
"कोई बात नहीँ, मैं तुम्हे एक हीरा और एक मोती देता हूँ, उससे तुम जितने भी हीरे मोती बनाना चाहोगे बना पाओगे ।"

            ऐसा कहते हुए साधु ने अपना हाथ आदमी की हथेली पर रखते हुए कहा- 
"पुत्र, मैं तुम्हे दुनिया का सबसे अनमोल हीरा दे रहा हूं, लोग इसे ‘समय’ कहते हैं, इसे तेजी से अपनी मुट्ठी में पकड़ लो और इसे कभी मत गंवाना,  तुम इससे जितने चाहो उतने हीरे बना सकते हो ।"

            युवक अभी कुछ सोच ही रहा था कि साधु उसकी दूसरी हथेली पकड़ते हुए बोला -
"पुत्र, इसे भी पकड़ो, यह दुनिया का सबसे कीमती मोती है, लोग इसे “धैर्य” कहते हैं, जब कभी समय देने के बावजूद परिणाम ना मिले, तो इस कीमती मोती को धारण कर लेना, याद रखना जिसके पास यह मोती है, वह दुनिया में कुछ भी प्राप्त कर सकता है ।"

            युवक गम्भीरता से साधु की बातों पर विचार करते हुए निश्चय करता है कि आज से वह कभी अपना समय बर्बाद नहीं करेगा और हमेशा धैर्य से काम लेगा । 

             ऐसा सोचकर वह हीरों के एक बहुत बड़े व्यापारी के यहाँ काम सीखते हुए करना शुरू करता है और अपने मेहनत और ईमानदारी के बल पर एक दिन खुद भी हीरों का बहुत बड़ा व्यापारी बन जाता है ।

            मित्रो- ‘समय’ और ‘धैर्य’ वह दो हीरे-मोती हैं जिनके बल पर हम बड़े से बड़ा लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं । अतः ज़रूरी है कि हम अपने कीमती समय को बर्वाद ना करें और अपनी मंज़िल तक पहुँचने के लिए हमेशा धैर्य से काम लें । हमारे बुजुर्गों ने भी अपने शब्दों में धीरज का महत्व हमें इस प्रकार समझाने का प्रयास किया है-


धीरे-धीरे  रे मना,  धीरे  सब  कुछ  होय,
माली सींचे सौ घडा, ऋुत आये फल होय ।



17.6.16

मनोस्थिति : सुख या दु:ख...



        एक महान लेखक अपने लेखन कक्ष में बैठा लिख रहा था पिछले वर्ष मेरा आपरेशन हुआ और मेरा गाल ब्लाडर निकाल दिया गया जिसके कारण एक बडे अनावश्यक खर्च के साथ मुझे लम्बे समय तक बिस्तर पर पडे रहना पडा ।

        इसी वर्ष मैं 60 वर्ष का हुआ और मेरी पसंदीदा प्रकाशन संस्थान की वह नौकरी भी चली गई जहाँ मैं पिछले 30 वर्षों से कार्यरत था ।

नीचे लिंक पर क्लिक कर ये उपयोगी जानकारी भी देखें... धन्यवाद.

        अपने पिता की मृत्यु का दु:ख भी मुझे इसी वर्ष में झेलना पडा ।

     और इसी वर्ष में मेरा बेटा कार एक्सीडेंट के कारण बहुत दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहने से अपनी मेडिकल की परीक्षा में फेल हो गया । कार की टूट-फूट का नुकसान अलग हुआ ।

     अंत में लेखक ने लिखा यह बहुत ही बुरा साल था ।

     जब उसकी पत्नी लेखन कक्ष में आई तो उसने देखा कि कलम हाथ में लिये बैठा उसका पति अपने विचारों में खोया बहुत दु:खी लग रहा था । अपने पति की कुर्सी के पीछे खडे रहकर उसने देखा और पढा कि वो क्या लिख रहा था ।

     वह चुपचाप उसके कक्ष से बाहर निकल गई और कुछ देर बाद एक लिखे हुए दूसरे कागज के साथ वापस लौटकर आई और वह कागज भी पति के लिखे कागज के बगल में रखकर बाहर निकल गई ।

     लेखक ने पत्नी के द्वारा रखे कागज पर कुछ लिखा देखकर उसे पढा तो उसमें लिखा था-

     पिछले वर्ष आखिर मुझे उस गाल ब्लाडर से छुटकारा मिल गया जिसके कारण मैं कई सालों दर्द से परेशान रहा ।

     इसी वर्ष अपनी 60 साल की उम्र पूरी कर स्वस्थ-दुरुस्त अवस्था में अपनी प्रकाशन कम्पनी की नौकरी से सेवानिवृत्त हुआ । अब मैं पूरा ध्यान लगाकर शांति के साथ अपने समय का उपयोग और भी बेहतर लेखन-पठन के लिये कर सकूंगा ।

     इसी साल में मेरे 95 वर्षीय पिता बगैर किसी पर आश्रित हुए और बिना किसी गंभीर बीमारी का दु:ख भोगे अपनी उम्र पूरी कर परमात्मा के पास चले गये ।

नीचे लिंक पर क्लिक कर ये उपयोगी जानकारी भी देखें... धन्यवाद.

     और इसी वर्ष भगवान ने एक बडे एक्सीडेंट के बावजूद मेरे बेटे की रक्षा भी की । भले ही कार में बडा नुकसान हुआ किन्तु मेरे बेटे का न सिर्फ जीवन बल्कि उसके हाथ-पैर भी सब सही-सलामत रहे ।

     अंत में उसकी पत्नी ने लिखा था इस साल ईश्वर की हम पर बहुत कृपा रही, साल अच्छा बीता ।

     तो देखा आपने सोचने का नजरिया बदलने पर कितना कुछ बदल जाता है । स्थितियाँ तो वही रहती है किंतु आत्म संतोष कितना मिलता है ।

दाम्पत्य जीवन में अनुकरणीय...

    
            वैवाहिक वर्षगांठ की पूर्वसंध्या पर पति-पत्नी साथ में बैठे चाय की चुस्कियां ले रहे थे । संसार की दृष्टि में वो एक आदर्श युगल थे, दोनों में प्रेम भी बहुत था, लेकिन कुछ समय से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि संबंधों पर समय की धूल जम रही है । शिकायतें धीरे-धीरे बढ़ रही थीं । 

           
बातें करते-करते अचानक पत्नी ने एक प्रस्ताव रखा कि मुझे तुमसे बहुत कुछ कहना होता है लेकिन हमारे पास समय ही नहीं होता एक-दूसरे के लिए । इसलिए मैं दो डायरियाँ ले आती हूँ और हमारी जो भी शिकायत हो हम पूरा साल अपनी-अपनी डायरी में लिखेंगे व*अगले साल इसी दिन हम एक-दूसरे की डायरी पढ़ेंगे ताकि हमें पता चल सके कि हममें कौन-कौनसी कमियां हैं जिससे कि उसका पुनरावर्तन ना हो सके ।

            
पति भी सहमत हो गया कि विचार तो अच्छा है । डायरियाँ आ गईं और देखते ही देखते साल बीत गया । अगले साल फिर विवाह की वर्षगांठ की पूर्वसंध्या पर दोनों साथ बैठे । एक-दूसरे की डायरियाँ लीं । पहले आप, पहले आप की मनुहार हुई । आखिर में महिला प्रथम की परिपाटी के आधार पर पत्नी की लिखी डायरी पति ने पढ़नी शुरू की ।

            
पहला पन्ना, दूसरा पन्ना, तीसरा पन्ना,

          
आज शादी की वर्षगांठ पर मुझे ढंग का तोहफा भी नहीं दिया । आज होटल में खाना खिलाने का वादा करके भी नहीं ले गए । आज मेरे फेवरेट हीरो की पिक्चर दिखाने के लिए कहा तो जवाब मिला बहुत थक गया हूँ । आज मेरे मायके वाले आए तो उनसे ढंग से बात नहीं की । आज बरसों बाद मेरे लिए साड़ी लाए भी तो पुराने डिजाइन की । ऐसी अनेक रोज़ की छोटी-छोटी फरियादें लिखी हुई थीं ।

            
पढ़कर पति की आँखों में आँसू आ गए । पूरा पढ़कर पति ने कहा कि मुझे पता ही नहीं था मेरी गल्तियों का, किंतु फिर भी मैं ध्यान रखूँगा कि आगे से इनकी पुनरावृत्ति ना हो ।

           
अब पत्नी ने पति की डायरी खोली, पहला पन्ना… खाली,  दूसरा पन्ना…  खालीतीसरा पन्ना … . खालीअब दो-चार पन्ने साथ में पलटे तो वो भी खाली,  फिर 50-100 पन्ने साथ में पलटे तो वो भी खाली ।
    
            पत्नी ने कहा कि मुझे पता था कि तुम मेरी इतनी सी इच्छा भी पूरी नहीं कर सकोगे । मैंने पूरे साल इतनी मेहनत से तुम्हारी सारी कमियां लिखीं ताकि तुम उन्हें सुधार सको और तुमसे इतना भी नहीं हुआ ।

          
पति मुस्कुराया और कहा मैंने सब कुछ अंतिम पृष्ठ पर एक साथ लिख दिया है । 

            पत्नी ने उत्सुकता से अंतिम पृष्ठ खोला । उसमें लिखा था - मैं तुम्हारे मुँह पर तुम्हारी जितनी भी शिकायत कर लूँ लेकिन तुमने जो मेरे और मेरे परिवार के लिए त्याग किए हैं और इतने वर्षों में जो असीमित प्रेम दिया है, उसके सामने मैं इस डायरी में लिख सकूँ ऐसी कोई भी कमी मुझे तुममें दिखाई ही नहीं दी । ऐसा नहीं है कि तुममें कोई कमी नहीं है - लेकिन तुम्हारा प्रेम, तुम्हारा समर्पण, तुम्हारा त्याग उन सब कमियों से ऊपर है । मेरी अनगिनत अक्षम्य भूलों के बाद भी तुमने जीवन के प्रत्येक चरण में छाया बनकर मेरा साथ निभाया है । अब अपनी ही छाया में कोई दोष कैसे दिखाई दे मुझे ।

              अब रोने की बारी पत्नी की थी । उसने पति के हाथ से अपनी डायरी लेकर दोनों डायरियाँ अग्नि में स्वाहा कर दीं और साथ में सारे गिले-शिकवे भी । फिर से उनका जीवन एक नवपरिणीत युगल की भाँति प्रेम से महक उठा । जब जवानी का सूर्य अस्ताचल की ओर प्रयाण शुरू कर दे तब हम एक-दूसरे की कमियां या गल्तियां ढूँढने की बजाए अगर ये याद करें हमारे साथी ने हमारे लिए कितना त्याग किया है, उसने हमें कितना प्रेम दिया है, कैसे पग-पग पर हमारा साथ दिया है तो निश्चित ही जीवन में प्रेम फिर से पल्लवित हो जाएगा । 
For all of us.


13.6.16

हमारा गौरवशाली इन्दौर...


             भारत के नक्शे पर कई शहर अपनी विशेष पहचान के कारण ही जाने जाते हैं, उन्हीं में यदि रानी अहिल्याबाई व सर सेठ हुकमचंद जैसी ऐतिहासिक शख्सियतों से जुडे इन्दौर शहर की बात की जावे तो चाहे यह शहर बम्बई, दिल्ली, कलकत्ता, मद्रास जैसे देश के महानगरों सा आकार नहीं रखता हो किंतु इसकी ऐतिहासिकता के साथ ही ऐसी अनेक विशेषतायें इस शहर के साथ शुरु से जुडी रही हैं जो इसे देश के नक्शे में एक विशिष्ट स्थान दिलवाते हुए इसकी पहचान को हमेशा से एक विशेष दर्जा सदैव दिलवाती रही हैं । 

            देश के सात राज्यों से सीधे जुडे मध्यप्रदेश के भी लगभग मध्य में राज्य की औद्योगिक व व्यापारिक राजधानी का दर्जा रखने के कारण अन्य प्रांतों से आकर बसने वाली आबादी का सर्वोच्च भार वहन करने वाले इस शहर की खासियतों का यदि जिक्र करना प्रारम्भ किया जावे तो वास्तव में लेख की लम्बाई तो बढती ही चली जाएगी किंतु यहाँ की विशेष पहचान के क्रम समाप्त होते नहीं दिखेंगे । फिर भी इस क्रम में यह जानने की कोशिश करते हैं कि वे कौन-कौनसी प्रमुख विशेषताएँ हैं जो इस शहर को इसकी खासियतों के आधार पर इसे अन्यों से कुछ अलग दिखला सकने का कारण बनती हैं-

            महान क्रिकेट खिलाड़ी सुनील गावस्कर ने अपने वनडे करियर की एकमात्र सेंचुरी इंदौर के नेहरू स्टेडियम में लगाई ।

            इन्दौर स्थित सैन्य छावनी MHOW (Military Headquarters Of War) देश की मुख्य सैन्य छावनियों में शामिल है ।

            जानकारी के अनुसार इन्दौर का नामकरण इन्द्रेश्वर मंदिर के नाम पर हुआ था, शुरूआत में यह "इन्दूर" था,जो आगे चलकर "इन्दौर" कहलाया ।

            इन्दौर देश का एकमात्र शहर है जहाँ पर IIM एवं IIT दोनों है ।
 
           इन्दौर में एशिया की सबसे बड़ी रिहायशी कॉलोनी सुदामा नगर है ।

            देश के पहले निजी रेडियो चैनल "रेडियो मिर्ची" ने अपने प्रसारण की शुरुआत इन्दौर से की थी ।

            स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर, फिल्म स्टार सलमान खान, क्रिकेट खिलाड़ी राहुल द्रविड़ और परम पूज्यनीय योग गुरु श्री मनीष शर्मा की जन्मभूमि भी इन्दौर है ।

            पूर्व में इन्दौर को  "म.प्र.का डेट्रॉयट"  नाम से नवाजा जा चुका है ।

         इंदौर देश का एकमात्र ऐसा शहर है जहां 100 कि.मी. की रेंज में दो ज्योतिर्लिंग हैं-  1. ओंकारेश्वर  और  2. महाकालेश्वर ।

            इन्दौर स्थित आर आर कैट देश की मुख्य प्रयोगशालाओं में एक है । यहां एक्सलरेटर, क्रायोजेनिक्स सहित कई महत्वपूर्ण शोध हो रहे हैं ।

            टेस्ट क्रिकेट में एक टेस्ट में   सर्वाधिक विकेट लेने का  कीर्तिमान इंदौर के नरेन्द्र हिरवानी और बाब मैसी (आस्ट्रेलिया) के नाम पर संयुक्त रूप से दर्ज है । 
.
            किसी महिला प्रत्याशी द्वारा एक ही लोकसभा सीट से एक ही पार्टी के टिकट पर सर्वाधिक बार चुनाव जीतने का कीर्तिमान इन्दौर की सांसद और वर्तमान लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन के नाम पर दर्ज ।

            विकास के शुरुआती वर्षों में इन्दौर "कपड़ा मिलों का शहर" के नाम से प्रसिद्ध था लेकिन अब ये सभी मिलें बंद हो चुकी है ।

            इन्दौर स्वाद के शौकीनों का शहर है । इसे "स्वाद की राजधानी" के रूप मे जाना जाता है ।

            यहाँ पर एशिया के सबसे बड़े गणपति विराजमान हैं (बड़ा गणपति)

            यहाँ पर संपूर्ण कांच से निर्मित मंदिर है । जहां पर छत, दिवार से लेकर फर्श भी कांच की है और ये सारे कांच  विदेशों से मंगाए गए थे ।

            यहीं पर ही वीरेंद्र सहवाग ने 200 रन बनाये थे ।

            यहीं के एक विधायक के नाम सबसे ज्यादा मतों से जितने का रिकार्ड है ।

            यहीं की एक बेटी पलक मुछाल ने गाने गाकर सबसे ज्यादा हार्ट सर्जरी करवाई और यह क्रम अभी तक भी सतत जारी है ।

            यहीं का एक ट्रैफिक पुलिस आज दुनिया का सबसे पसंदीदा ट्रैफिक पुलिस है । जिसे काम करते सभी देखना चाहते है । रणजीत सिंह ।

            यहाँ पर स्थित दवा बाजार एशिया का सबसे बड़ा दवा बाजार है ।

            यहीं पर एक ऐसा पर्वत है जहां पर पितरों की याद में पोधे लगाये जाते है । पितृ पर्वत ।

            यही वो शहर है जहां मूक बधिरों की सेवा के लिए सबसे अच्छा स्कूल और ट्रेनिग कैंप है ।

            यही वो शहर है जहाँ के एक व्यापारी सर सेठ हुकुमचंदजी (कॉटन किंग) की तस्वीर आज भी लंदन कॉटन एक्सचेंज में मुख्य द्वार पर लगी है ।


            यहीं पर सर सेठ हुकुम चंद जी द्वारा स्वर्ण से निर्मित रथ है जो दुनिया में कही नहीं है और वो केवल महावीर जयंती पर ही निकलता है ।

            मोबाईल कंपनी एयर टेल ने अपनी मोबाइल सेवा की शुरुवात  सर्व प्रथम इंदौर से ही की थी ।
 

            अनंत चतुर्दशी पर रात भर चलने वाले विशाल चल समारोह और रंगपंचमी पर दिन भर रंगों से सरोबार हुडदंगीयों की विशाल सामूहिक गेर जिनके फिल्मांकन के लिये राजश्री प्रॉडक्शन जैसी नामी-गिरामी फिल्म प्रोड्यूसर संस्थाएँ विशेष आयोजन रखती हैं वह भी इसी इन्दौर शहर की विशिष्ट पहचान रही है ।


और अब इन्दौर का एक परिचय यह भी...!

  
इन्दौरियों को समर्पित - जन्म दिन विश करने का तरीका...
 
हिंदी में- जन्म दिन की बहुत बहुत शुभकामनाये भाई साब.


English में:- Happy Birthday Sir.


भोपाल में- जन्मदिन मुबारक हो,


मुम्बई में- भाई को Happy बड्डे, 


            और इंदौर  में -  हमारे भाई साब,  ऊर्जावान नेतृत्व के धनी, गो-माता के रक्षक, गरीबो के मसीहा, विकासपुरुष, बालाजी महाराज के परमभक्त, यारों के यार, युवा क्रन्तिकारी, दिलफेंक दिलदार, हरफनमोला हर परिस्थितियों में दोस्तों का साथ देने वाले, चाणक्य से भी तेज बुद्धि वाले, बहुमुखी प्रतिभा के धनी, सदैव जाग्रत रहने वाले, पुरे भारत में इंदौर का नाम रोशन करने वाले, निडर समाजसेवी, बाल्यकाल से ही ऊर्जावान, संघ के निडर सिपाही, युवा नेता, प्रखर वक्ता, महाँकाल के परमभक्त, सरल ह्रदय के स्वामी, याददास्त के धनी, युवा क्रांतिकारी, गरीबी से लड़ने वाले, एक बार प्रधानमंत्री से हाथ मिलाने वाले, मुख्यमंत्री के साथ फ़ोटो खिंचाने वाले, विधायक के सीधे हाथ, मीठी चटनी में समोसा खाने वाले, एक हाथ से उज्जैन से इंदौर तक टू-व्हीलर चलाने वाले, गर्मी में छांव करने वाले, घनघोर बारिश में भी पानी बांध देने वाले, ऐसे हमारे बड़े या छोटे भाई साब को जन्मदिन की भोत-भोत शुभकामनाएं...


इन्दौर गजब है - सब से अलग है ।